क्या पीएम मोदी महसूस करते हैं अकेलापन? पॉडकास्ट में दिया ये जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकन AI रिसर्चर लेक्स फ्रिडमैन के बीच 3 घंटे का पॉडकास्ट इंटरव्यू रविवार को रिलीज किया गया। इस दौरान पीएम मोदी ने पाकिस्तान, चीन, ट्रंप, दुनिया की राजनीति, खेल, राजनीति और RSS समेत निजी जीवन से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए। इस दौरान लेक्स फ्रिडमैन ने पीएम मोदी से अकेलेपन को लेकर भी सवाल किया।
'परमात्मा और 140 करोड़ भारतीयों का समर्थन'
पीएम मोदी ने इसके जवाब में कहा कि 'मैं कभी अकेला महसूस नहीं करता। मैं 1 1 की थ्योरी में विश्वास करता हूं। उन्होंने बताया कि एक मोदी है और दूसरा परमात्मा है। मैं कभी भी वास्तव में अकेला नहीं हूं क्योंकि भगवान हमेशा मेरे साथ हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके लिए 'जन सेवा ही प्रभु सेवा' है। उन्हें परमात्मा और 140 करोड़ भारतीयों का समर्थन प्राप्त है।
' मेरे लिए देश ही देव और नर ही नारायण हैं'
पीएम मोदी ने कहा, देखिए मुझे कभी अकेलापन महसूस नहीं होता। क्योंकि मैं हमेशा अपने साथ किसी को खड़ा देखता हूं। और जब मुझे लगता है मेरे कोई साथ है तो इससे मेरा दिमाग हमेशा स्थिर रहता है। लोग सोचेंगे कि मेरे साथ कौन है? तो मैं कहता हूं, 'मेरे साथ और कोई नहीं, ईश्वर हैं।' मैं कभी अकेला नहीं होता वह हमेशा मेरे साथ होते हैं। मैं हमेशा उसी भाव में रहता हूं। मैंने स्वामी विवेकानंद के सिद्धांतों को अपनाया है कि मानव जाति की सेवा ही भगवान की सेवा है। मेरे लिए देश ही देव हैं और नर ही नारायण हैं। मैं इस विश्वास के साथ इस पथ पर चलता हूं कि लोगों की सेवा करना भगवान की सेवा करना है।
ये भी पढ़ें:- जीवन पर स्वामी विवेकानंद का प्रभाव, गरीबी और उपवास पर पॉडकास्ट में क्या बोले पीएम मोदी
कोरोना काल का दिया उदाहरण
पीएम मोदी ने कहा कि इसलिए मुझे कभी अकेलापन लगा हो, ऐसा कभी मेरे साथ नहीं हुआ है। पीएम मोदी ने कहा, मैं कोरोना काल का एक उदाहरण देता हूं। सारे प्रतिबंध लगे थे, यात्रा बंद थी। मैंने लॉकडाउन में अपने समय का ज्यादा से ज्यादा सदुपयोग करने का एक तरीका निकाला। मैंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के द्वारा सरकार चलाने का मॉडल बना दिया। मैंने घर से काम करना शुरू किया, मीटिंग घर से की। मैं ऐसे ही व्यस्त रहा। मैंने उन लोगों से संपर्क किया जिनके साथ मैंने अपने पूरे जीवन में काम किया था। देशभर में मेरी पार्टी के कार्यकर्ता हैं, मैंने 70 और उससे अधिक उम्र के लोगों की एक सूची बनाई।
'एक छोटे से छोटे कार्यकर्ता को भी याद किया'
उन्होंने कहा कि मैंने कोविड के समय एक छोटे से छोटे कार्यकर्ता को भी याद किया। मैंने व्यक्तिगत रूप से 70 वर्ष से अधिक उम्र वाले कार्यकर्ताओं को फोन किया। और कोविड के समय मैं उनके परिवार और उनकी तबियत के बारे में पूछता था। उनके आस-पास की व्यवस्था कैसी है। मैं यह सारी बातें उनके साथ करता था। तो मैं भी एक प्रकार से उनसे जुड़ जाता था। पुरानी यादें ताजा हो जाती थी। उनको भी लगता था कि इतनी बड़ी जिम्मेदारी वाला इंसान बीमारी के समय मेरा हाल-चाल पूछ रहा है। और मैं हर दिन औसतन 30-40 फोन करता था और पूरे कोरोना-काल में मैंने ऐसा ही किया। पीएम मोदी ने कहा कि मुझे खुद को भी पुराने लोगों से बात करने का आनंद मिलता था। यह अकेलापन नहीं था, बस खुद को व्यस्त रखने के तरीका था। उन्होंने कहा कि मुझे बातचीत करने का काफी अभ्यास है। मेरे हिमालय में बिताए वे पल, मेरी इन चीजों में काफी मदद करते हैं।
क्या आप कभी थकते नहीं हैं?
इसके बाद लेक्स फ्रिडमैन ने कहा कि मैंने कई लोगों से सुना है कि जितने लोगों को वे जानते हैं, उनमें आप सबसे ज्यादा मेहनती हैं, इसके पीछे आपकी क्या सोच है? आप हर दिन कई घंटे काम करते हैं। क्या आप कभी थकते नहीं हैं? इन सब इन सब चीजों के दौरान आपकी ताकत और धैर्य का स्रोत क्या है?
'मैं नहीं मानता हूं कि मैं ही काम करता हूं'
पीएम मोदी ने जवाब में कहा कि पहली बात तो यह है कि मैं नहीं मानता हूं कि मैं ही काम करता हूं। मैं अपने आसपास लोगों को देखता हूं और हमेशा सोचता हूं तो पता चलता है कि वे मुझसे ज्यादा काम करते हैं। मैं जब किसान को याद करता हूं तो मुझे लगता है किसान कितनी मेहनत करता है। खुले आसमान के नीचे कितना पसीना बहाता है। मैं अपने देश के जवान को देखता हूं तो मुझे विचार आता है कि अरे, कोई बर्फ में, कोई रेगिस्तान में, कोई पानी में, दिन-रात कितने घंटे काम कर रहा है। मैं किसी मजदूर को देखता हूं तो मुझे लगता है, यह कितनी मेहनत कर रहा है।
'मेरी जिम्मेदारी मुझे आगे बढ़ाती है'
पीएम मोदी ने आगे कहा कि मैं हमेशा सोचता हूं कि हर परिवार में मेरी माताएं-बहनें, परिवार के सुख के लिए कितनी मेहनत करती हैं। सुबह सबसे पहले उठ जाती हैं, रात को सबसे बाद में सोती हैं और परिवार के हर व्यक्ति की देखभाल करती हैं, सामाजिक रिश्तों को भी संभालती हैं। तो जब मैं इनके बारे में सोचता हूं तो मुझे लगता है कि अरे, लोग कितना काम करते हैं? मैं कैसे सो सकता हूं? मैं कैसे आराम कर सकता हूं? तो मुझे स्वाभाविक प्रेरणा, मेरी आंखों के सामने जो चीजें हैं, वही मुझे प्रेरित करती रहती हैं। दूसरा, मेरी जिम्मेदारी मुझे आगे बढ़ाती है। जो जिम्मेदारी देशवासियों ने मुझे दी है, मुझे हमेशा लगता है कि मैं पद पर मौज-मस्ती करने के लिए नहीं आया हूं। मेरी तरफ से मैं पूरा प्रयास करूंगा। हो सकता है मैं दो काम न कर पाऊं लेकिन मेरे प्रयास में कमी नहीं रहेगी। मेरे परिश्रम में कमी नहीं रहेगी।