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दुनिया को डराने वाली भविष्यवाणी; इन 5 कारणों से होगा धरती का विनाश, बचाव में जुटे वैज्ञानिक

Prediction On The World End: धरती का विनाश और दुनिया का अंत निश्चित है। वैज्ञानिकों ने यह भविष्यवाणी की है। साथ ही वैज्ञानिकों ने वे कारक भी बताए हैं, जो धरती के विनाश, दुनिया के अंत और जीवन के खत्म होने का कारण बनेंगे। आइए जानते हैं उनके बारे में...
11:03 AM Dec 05, 2024 IST | Khushbu Goyal
दुनिया को डराने वाली भविष्यवाणी  इन 5 कारणों से होगा धरती का विनाश  बचाव में जुटे वैज्ञानिक
Representative Image (Pixabay)

Prediction On The World End: धरती के विनाश और दुनिया के अंत को लेकर भविष्यवाणी की जाती रही हैं, लेकिन यह विनाश और अंत कैसे होगा? इसे लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि प्रलय आने के तरीके अज्ञात हैं, लेकिन वैज्ञानिक समय-समय पर तरीके दुनिया को बताते रहते हैं। भू-वैज्ञानिक धरती, जीवन और दुनिया के अंत का कारण इंसान को बताते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि मानव निर्मित कारणों से जीवन का अंत होगा।

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ब्रह्मांड में होने वाली घटनाएं, प्राकृतिक आपदाएं भी धरती के विनाश का कारण बनेंगी। फिलहाल वैज्ञानिक 5 कारणों से धरती, जीवन और दुनिया का विनाश होने की भविष्यवाणी कर रहे हैं। इनमें धरती से क्षुद्रग्रहों की टक्कर, ज्वालामुख विस्फोट, जलवायु परिवर्तन, परमाणु युद्ध और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शामिल हैं। आइए जानते हैं कि यह पांचों तत्व दुनिया का अंत करने में कैसे और क्या भूमिका निभाएंगे?

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एस्ट्रॉयड से धरती का टकराव

दुनिया के अंत का एक कारण एस्ट्रॉयड बन सकते हैं। इतिहास इसका प्रमाण है, क्योंकि माना जाता है कि लगभग 65 मिलियन वर्ष पहले एक विशाल एस्ट्रॉयड धरती से टकराया था और डायनासोर विलुप्त हो गए थे। अगर आज ऐसी कोई घटना घटेगी तो यह विनाशकारी होगा। एस्ट्रॉयड के धरती से टकराते ही भारी मात्रा में ऊर्जा निकलेगी, जिससे वैश्विक विनाश और भीषण अग्निकांड होगा। भूकंप, तूफान, जलजला और सुनामी आएगी। अंतरिक्ष में छोड़ी गई धूल और मलबा सूरज की रोशनी को अवरुद्ध कर देगा, जिसके परिणामस्वरूप जलवायु बदल सकती है। इससे संभवत: धरती पर जीवन नष्ट हो सकता है। इसलिए अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा और दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां धरती के आस-पास मंडराने वाली चीजों की निगरानी कर रही हैं। लुइस अल्वारेज़ और उनके बेटे वाल्टर अल्वारेज़ ने दावा किया है कि क्षुद्रग्रह की टक्कर से ही डायनासोर विलुप्त हो गए थे।

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ज्वालामुखी विस्फोट

वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्वालामुखी विस्फोट एक प्राकृतिक आपदा है, जो दुनिया के अंत का संभावित कारण बन सकता है। ज्वालामुखी विस्फोट होने से धरती के अंदर से धधकता लावा, ज्वलनशील राख और गैसें निकलती हैं। यूं तो धरती पर ज्वालामुखी विस्फोट होते रहते हैं, लेकिन आखिरी बार सबसे भीषण ज्वालामुखी विस्फोट लगभग 74000 साल पहले इंडोनेशिया के टोबा काल्डेरा में हुआ था। इस विस्फोट के कारण ही धरती पर सर्दी-गर्मी का दौर शुरू हुआ था। आज यदि कोई सुपर ज्वालामुखी विस्फोट होता है तो उससे निकलने वाली राख सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध कर देगी। तापमान तेजी से नीचे गिरेगा। कृषि और खाद्य आपूर्ति पर बुरा असर पड़ेगा। भुखमरी और सामाजिक पतन होगा। स्टीफ़न सेल्फ और कई अन्य शोधकर्ताओं ने टोबा में हुए ज्वालामुखी विस्फोट के प्रभावों का अध्ययन किया है।

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क्लाइमेंट चेंज

वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन भी धरती पर जीवन के लिए खतरा है। ईंधन जलाने और जंगल काटने से जलवायु परिवर्तन होगा। जेम्स हेन्सन और माइकल ई. मान जैसे जलवायु वैज्ञानिक इसे धरती के विनाश का अहम कारण मानते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक तापमान बढ़ रहा है। इससे बर्फ पिघल रही है। समुद्र में पानी का लेवल बढ़ रहा है। मौसमी परिस्थितियां बदल रही हैं। अगर जलवायु परिवर्तन नहीं रोका गया तो इसे धरती जीवित प्राणियों के लिए निर्जन बन जाएगी। धरती पर भोजन और पानी की कमी हो जाएगी। तूफान, सूखा और हीटवेव जैसी घटनाएं धरती से जीवन खत्म कर देंगी।

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परमाणु युद्ध

परमाणु बम और परमाणु युद्ध धरती के विनाश का कारण बनेंगे। देशों द्वारा परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किए जाने पर होने वाले विस्फोट से न केवल धरती को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि जीवन की हानि होगी। परमाणु विस्फोट के कारण शहर और जंगल जलेंगे। इनसे निकलने वाला धुआं और राख सूरज की रोशनी को अवरुद्ध कर देगा, जिससे वैश्विक तापमान गिर जाएगा। इससे कृषि क्षेत्र का पतन होगा। भोजन-पानी की कमी से लोग मरेंगे। परमाणु विकिरणें पर्यावरण को दूषित करेंगी, जो बीमारियों का कारण बनेगा। कार्ल सागन और रिचर्ड पी. टर्को ने इस सिद्धांत को दुनिया के सामने रखा है। उनका सिद्धांत परमाणु विस्फोटों के कारण जलवायु पर पड़ने वाले प्रभावों की साइंटिफिक रिसर्च पर आधारित है।

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

दुनिया के अंत का एक कारण 21वीं सदी की टेक्नोलॉजी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी बन सकती है। हालांकि यह टेक्नोलॉजी मानव जीवन में क्रांति लाने का काम कर रही है, लेकिन विशेषज्ञों का दावा है कि जब सुपर इंटेलिजेंट मशीन बनाई जाएगी तो उसे कंट्रोल करना मुश्किल होगा। उसमें इंसान जितनी सोचने समझने की क्षमता नहीं होगा। अगर AI कंट्रोल से बाहर हो गया या विकसित हो गया तो यह मानव अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर सकता है। निक बोस्ट्रोम ने सुपरइंटेलिजेंस नामक AI के खतरे से दुनिया को आगाह किया है। सोशल नेटवर्किंग साइट X के फाउंडर एलन मस्क भी AI टेक्नोलॉजी से दुनिया को सतर्क रहने की सलाह दे चुके हैं।

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