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Modi 3.0 में क्या होगी बड़ी चुनौतियां? 5 मुद्दों पर बैकफुट पर आएगी मोदी सरकार?

Modi 3.0 Challenges: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार शपथ लेने को तैयार हैं। इसी के साथ देश में मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल शुरू हो जाएगा। मगर ये कार्यकाल बीजेपी के लिए काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। आइए जानते हैं मोदी 3.0 की 5 बड़ी चुनौतियां...
02:24 PM Jun 09, 2024 IST | Sakshi Pandey
Modi 3.0 BJP NDA PM Modi Oath Ceremony
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Modi 3.0 Challenges: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेने वाले हैं। हालांकि 2014 और 2019 के मुकाबले इस बार मोदी सरकार कमजोर हो गई है। 18वें आम चुनाव के नतीजों में बीजेपी को सिर्फ 240 सीटें मिली हैं। वहीं बीजेपी ने एनडीए के सहयोगी दलों के साथ मिलकर बहुमत की सरकार बनाई है। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल से लोगों को काफी उम्मीदें थीं। चुनाव प्रचार के दौरान भी बीजेपी नेताओं ने जनता से ढेरों वादे किए थे। अब सवाल ये है कि एनडीए के भरोसे टिकी मोदी सरकार के सामने कौन सी बड़ी चुनौतियां हो सकती हैं?

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1. एक देश एक चुनाव

लोकसभा चुनाव 2024 के घोषणा पत्र में बीजेपी ने एक देश एक चुनाव का जिक्र किया था। केंद्र सरकार ने इस संबध में एक कमेटी का भी गठन किया है। इस कमेटी की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद कर रहे हैं। वहीं एनडीए के सहयोगी दल जेडीयू ने भी वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन किया है। मगर बाकी सहयोगी दलों ने अभी इसपर चर्चा नहीं की है।

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2. सामान नागरिक संहिता

बीजेपी के चुनावी एजेंडे में सामान नागरिक संहिता (UCC) भी शामिल था। जिसके अंतर्गत समूचे देश में एक कानून लागू किया जाएगा। हालांकि इसपर सभी सहयोगी दलों की मंजूरी लेना बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती हो सकती है। जेडीयू ने भी पार्टी को सबकी राय लेने की सलाह दी है।

3. संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता

भारत काफी लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता पर जोर दे रहा है। पिछले 10 सालों से ये मुद्दा मोदी सरकार की विदेश नीति का अहम हिस्सा रहा है। हालांकि चीन हमेशा से भारत के रास्ते का रोड़ा बना रहा। अब तीसरे कार्यकाल में भी भारत को संयुक्त राष्ट्र का पर्मानेंट मेंबर बनाना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा।

आयुष्मान भारत योजना

आम चुनाव के दौरान स्वास्थय क्षेत्र की सबसे बड़ी योजना आयुष्मान भारत भी मोदी की गारंटी में शामिल थी। बीजेपी ने 70 साल से अधिक लोगों और ट्रांसजेंडर समुदाय को इस योजना का लाभ दिलाने का संकल्प लिया था। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि सहयोगी दलों पर निर्भर बीजेपी इस संकल्प को पूरा करने में कितना कामयाब होगी?

परिसीमन आयोग का गठन

सेंसेस (नागरिकों की गणना) होने के बाद देश में परिसीमन आयोग का गठन होना है। 2026 में सरकार डिलिमिटेशन कमीशन (परिसीमन आयोग) बनाने की तैयारी कर रही थी। मगर अब बहुमत के आंकड़े से चूकी बीजेपी शायद ही परिसीमन आयोग का गठन कर सकेगी। इससे वोट बैंक पॉलिटिक्स पर काफी असर पड़ेगा। ऐसे में एनडीए के कई सहयोगी दल इसका विरोध कर सकते हैं।

 

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