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IAS बनने के लिए 7 बार बदला नाम! सामने आया कारनामों का पूरा लेखा-जोखा, UPSC ने किया बैन

इस पूर्व आईएएस अधिकारी ने अपने सिविल सर्विस परीक्षाओं के आवेदन में न केवल अपना नाम बदला बल्कि अपने माता और पिता के लिए भी अलग-अलग नामों का इस्तेमाल किया था। उस पर अपनी तस्वीर, सिग्नेचर, ईमेल आईटी, पता और फोन नंबर भी बदलने का आरोप है।
06:33 PM Aug 02, 2024 IST | Gaurav Pandey
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एक विवादित पूर्व आईएएस अधिकारी को भविष्य में यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन यानी यूपीएससी की ओर से आयोजित होने वाली किसी भी परीक्षा में शामिल होने से प्रतिबंधित कर दिया गया है। इस पूर्व आईएएस अधिकारी पर आरोप है कि साल 2012 से 2023 के बीच सिविल सर्विसेज परीक्षाओं में शामिल होने के लिए उसने कम से कम 7 बार अपनी पहचान बदली। इसके अलावा इस पूर्व अधिकारी पर चीटिंग और फर्जीवाड़ा करने का आरोप भी है। अब तक आप समझ गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं पूजा खेडकर की, आइए जानते हैं उनके अब तक सामने आए हर कारनामे के बारे में।

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दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में गुरुवार को दिल्ली पुलिस ने रिकॉर्ड्स में दर्ज उन अनियमितताओं के बारे में बताया जिन्हें यूपीएससी परीक्षाओं के लिए पूजा खेडकर ने अंजाम दिया था। बता दें कि सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के लिए 6 मौके मिलते हैं। लेकिन इससे ज्यादा अवसर पाने के लिए खेडकर ने अपनी पहचान का फर्जीवाड़ा किया, खुद के ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) से होने का दावा किया और अपनी शारीरिक दिव्यांगता के बारे में भी झूठ बोला। इस रिपोर्ट में जानिए पूजा खेडकर के हर कारनामे के बारे में और यह भी जानिए कि कैसे उसका असली चेहरा दुनिया के सामने आ पाया।

2012 में किया था पहला कारनामा

पूजा खेडकर के फर्जीवाड़े की कहानी शुरू होती है साल 2012 की सिविल सेवा परीक्षा से। इस परीक्षा के लिए अपने एप्लीकेशन में उसने अपना नाम खेडकर पूजा दिलीपराव लिखा था। अपने पिता का नाम खेडकर दिलीपराव कोंडिबा और मां का नाम खेडकर मनोरमा दिलीपराव बताया था। इस आवेदन में उसने अपने PwBD यानी पर्संस विद बेंचमार्क डिसएबिलिटी श्रेणी में होने का उल्लेख नहीं किया था। आपको बता दें कि पूजा खेडकर के पिता का असली नाम दिलीप खेडकर है। वह महाराष्ट्र सरकार के पूर्व अधिकारी हैं और उनके पास करीब 40 करोड़ रुपये कीमत की संपत्ति है। उसकी मां का असली नाम मनोरमा खेडेकर है।

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साल 2018 में पूजा खेडकर ने फिर से सिविल सर्विसेज एग्जाम के लिए अप्लाई किया और इस बार उसने अपना नाम बदलकर पूजा दिलीप खेडेकर बताया। इस बार उसने अपने पिता का नाम खेजकर दिलीप कोंडिबा और मां का नाम बुधवंत मनोरमा जगन्नाथ कर दिया। इस बार उसने अपने PwBD कैटेगरी में होने का उल्लेख किया और दिव्यांगता के तौर पर ब्लाइंडनेस और कमजोर नजर का हवाला दिया। इसके अगले साल यानी 2019 में पूजा ने फिर से इस परीक्षा में आवेदन किया। इस बार उसने अपना नाम खेडकर पूजा दिलीपराव, पिता का नाम खेडकर दिलीपराव के और मां का नाम बुधवंत मनोरमा जे कर लिया।

2020 में किया दिव्यांगता का दावा

साल 2020 में उसने फिर से आवेदन किया लेकिन इस बार उसने अपना और अपने माता-पिता का नाम नहीं बदला। इस बार उसने PwBD कैटेगरी पर टिक करते हुए लो विजन यानी कमजोर नजर होने की बात कही। साल 2021 में अपने अगले प्रयास में खेडकर ने अपनी पहचान फिर बदली और आवेदन में अपना नाम पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर कर लिया। इस बार उसने अपने पिता का नाम दिलीप खेडकर और मां का नाम मनोरमा बुधवंत बताया। इस बार भी उसने PwBD वर्ग में आवेदन किया था मगर इस बार कारण बदल गए। उसने मानसिक बीमारी और कई शारीरिक दिव्यांगताओं के होने का उल्लेख किया।

साल 2022 में अपने छठे प्रयास में पूजा खेडकर ने अपना नाम तो सही रखा लेकिन अपने माता-पिता की पहचान बदल दी। इस बार अपने एप्लीकेशन में उसने अपने पिता का नाम दिलीप के खेडकर और मां का नाम मनोरमा जे बुधवंत कर दिया। इस बार भी उसने PwBD कैटेगरी में अप्लाई किया था और वहीं बातें बताई थीं जो उसके 2021 के एप्लीकेशन में थीं। पूजा खेडकर का आखिरी अटेम्प्ट साल 2023 में था जिसमें वह सेलेक्ट हो गई थी। इस बार उसने अपना नाम पूजा मनोरमा दिलीप खेडेकर, पिता का नाम दिलीप खेडेकर और मां का नाम मनोरमा बुधवंत बताया था। इस परीक्षा में पूजा खेडकर की ऑल इंडिया 841वीं रैंक आई थी।

आखिर कैसे सामने आई सच्चाई?

जुलाई में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पूजा खेडकर के खिलाफ सिविल सेवा परीक्षा में अपनी उम्मीदवारी सुरक्षित रखने के लिए दिव्यांगता और ओबीसी कोटा का दुरुपयोग करने के लिए एक केस दर्ज किया था। बीते बुधवार को यूपीएससी ने यह कहते हुए पूजा खेडकर के प्रोजिवजनल कैंडिडेचर को रद्द कर दिया था और भविष्य की सभी परीक्षाओं के लिए उसे स्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया था। यूपीएससी ने कहा कि हमने साल 2009 से 2023 के बीच सिविल सर्विसेज परीक्षाओं के फाइनली रिकमेंडेड 15,000 से ज्यादा अभ्यर्थियों के उपलब्ध डाटा की जांच की है। इस जांच के दौरान असलियत सबके सामने आ गई।

गुरुवार को ही दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने पूजा खेडकर कि अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने कहा था कि पूरी साजिश को सामने लाने के लिए आरोपी के साथ हिरासत में पूछताछ जरूरी है। पूर्व में पुणे जिला कलेक्टरेट में प्रोबेशनरी असिस्टेंट कलेक्टर रही खेडकर का जुलाई में दिव्यांगता को लेकर फर्जीवाड़ा करने के आरोप लगने के बाद वाशिम ट्रांसफर कर दिया गया था। पुणे में रहने के दौरान उस पर अपनी ताकत का दुरुपयोग करने का आरोप भी लगा था। इस समय पूजा खेडकर कहां है यह किसी को नहीं पता है। कहा जा रहा है कि वह गिरफ्तारी से बचने के लिए देश छोड़ चुकी है और दुबई चली गई है।

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