इंश्योरेंस क्लेम के लिए बीमार अंग की तस्वीर भेजने की सरकारी स्कीम पर बवाल, ऐसे में प्राइवेट पार्ट की पिक भेजना भी जरूरी!
Rajasthan CM Ayushman Health Insurance Scheme: प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना की तर्ज पर राजस्थान सरकार ने भी मुख्यमंत्री आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत बेशक गरीबों का मुफ्त में इलाज किया जाता है। मगर इलाज की शर्त सुनकर हर किसी के कान खड़े हो जाते हैं।
योजना का लाभ उठाने के लिए मरीजों को चेहरे के साथ बीमारी वाले अंग की तस्वीर भी जमा करनी होती है। यह नियम महिलाओं पर भी लागू होते हैं। ऐसे में अगर किसी महिला के प्राइवेट पार्ट में समस्या होगी तो इलाज से पहले महिला को अपने उस अंग की फोटो इंश्योरेंस कंपनी के पास जमा करनी होगी। तभी महिला का इलाज होगा, वरना क्लेम खारिज कर दिया जाएगा।
फोटो वायरल होने का डर
सरकारी योजना पर चल रही इस मनमानी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। ऐसे में इलाज से पहले महिलाओं का घबराना स्वाभाविक है। दरअसल कई महिलाएं ब्रेस्ट, हिप्स और आंतरिक अंगों से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो जाती हैं। वहीं मुख्यमंत्री आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत जब महिलाएं अपना इलाज करवाने अस्पताल पहुंचती हैं तो मरीज के चेहरे के साथ बीमार अंग की भी फोटो खींची जाती है।
यह फोटो डॉक्टर की बजाय कोई नॉन क्लीनिकल व्यक्ति लेता है। मोबाइल में फोटो खींचने के बाद कर्मचारी इसे कम्प्यूटर में डाल देते हैं और फिर इसे इंश्योरेंस कंपनी की वेबसाइट पर अपलोड करते हैं। क्लेम पास नह होने तक यह फोटो कर्मचारी के कम्प्यूटर में मौजूद रहती है। जाहिर है कि फोटो खींचना मरीजों की निजता का उल्लंघन करना है। इन तस्वीरों के वायरल होने का भी डर बन रहा है।
फोटो अपलोड न होने पर नहीं मिलेगा क्लेम
बता दें कि मुख्यमंत्री आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मरीजों का 5 लाख तक इलाज मुफ्त होता है। हालांकि इश्योरेंस क्लेम करने के लिए फोटो विद फेस की शर्त का पालन करना अनिवार्य है। पहले यह शर्त सिर्फ निजी अस्पतालों तक सीमित थी।
अब इसे सरकारी अस्पतालों में भी लागू किया गया है। बेशक स्कीम में सिर्फ चेहरे की फोटो देने का जिक्र है, मगर बीमारी वाले अंग की तस्वीर न डालने से इश्योरेंस क्लेम को रद्द कर दिया जाता है। कई लोगों ने इस मांग के खिलाफ आपत्ति दर्ज करवाई है।
सरकार नहीं ले रही संज्ञान
जोधपुर के मथुरादास अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर नवीन किशोरिया के अनुसार, कई यूनिट हेड ने इस संबंध में लिखित शिकायत दर्ज की है। राज्य सरकार को भी इस बारे में पत्र लिखा गया।
पोर्टल पर फोटो अपलोड करने का काम स्टेट हेल्थ इंश्योरेंस का है, मगर जब तक राज्य सरकार की तरफ से मामले पर संज्ञान नहीं लिया जाता, तब तक योजना में बदलाव होना संभव नहीं है।
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