इंफोसिस से इनविटेशन मिलते ही क्यों चौंक गए थे रतन टाटा, फिर नारायण मूर्ति से पूछा ये सवाल?
Narayan Murthy Statement On Ratan Tata : टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार की रात को 86 साल की आयु में निधन हो गया। उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन से भारतीय उद्योग जगत के एक युग का अंत हो गया। इंफोसिस के को-फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति भी उनका सम्मान करते थे। बिजनेस में दोनों एक दूसरे प्रतिद्वंद्वी हैं। इसके बाद भी इंडियन कॉर्पोरेट जगत में उनका रिश्ता आपसी सम्मान का प्रतीक बन गया।
एनआर नारायण मूर्ति ने पर्सनल और प्रोफेशनल स्थितियों में रतन टाटा के व्यवहार की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी असहमति में सहमति होती थी। चाहे वह किसी प्रशंसक किशोर से बात कर रहे हों या किसी बहुत सम्मानित सीनियर बिजनेसमैन से, उनकी ईमानदारी, नॉलेज, देशभक्ति और उनका शिष्टाचार सहजता से झलकता था।
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निमंत्रण पाकर चौंक गए थे रतन टाटा
मूर्ति ने रतन टाटा से जुड़े एक किस्से को याद करते हुए कहा कि उन्होंने साल 2004 में इंफोसिस कैंपस में जमशेदजी टाटा कक्ष का उद्घाटन करने के लिए रतन टाटा को आमंत्रित किया था। शुरुआत में रतन टाटा निमंत्रण पाकर से आश्चर्यचकित हुए, लेकिन बाद में उन्होंने टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा की विरासत का सम्मान करने के महत्व को पहचानते हुए सहमति व्यक्त की। इंफोसिस के को-फाउंडर ने इस घटना को याद करते हुए बताया कि रतन टाटा ने उनसे पूछा कि उन्होंने इंफोसिस के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी को कैंपस में क्यों आमंत्रित किया?
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मूर्ति ने रतन टाटा के सवाल का दिया ये जवाब
इस पर नारायण मूर्ति ने रतन टाटा से कहा कि जमशेदजी टाटा ने व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता को पार कर लिया था। वह सबसे पहले एक महान देशभक्त थे। उनका मानना था कि जमशेदजी की विरासत का सम्मान करने के लिए रतन टाटा आदर्श व्यक्ति थे। इसके लिए रतन टाटा को 2008 में भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।