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Iqbal Chagla कौन? सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बनने से किया था इनकार, 85 की उम्र में ली आखिरी सांस

Advocate Iqbal Chagla Death: न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले मशहूर वकील इकबाल छागला का देहांत हो गया है। बीमारी के चलते उन्होंने आखिरी सांस ली। उन्होंने अपने कार्यकाल में जिस तरह से काम किया, उसके लिए वे देशभर के अग्रणी वकीलों में शामिल थे।
09:41 AM Jan 13, 2025 IST | Khushbu Goyal
iqbal chagla कौन  सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बनने से किया था इनकार  85 की उम्र में ली आखिरी सांस
Iqbal Chagla

Renowned Advocate Iqbal Chagla Death: देश के मशहूर वकील इकबाल छागला का निधन हो गया है। वे काफी समय से बीमार थे, जिसके चलते उन्होंने 85 साल की उम्र में आखिरी सांस ले ली। देश के अग्रणी वकीलों की सूची में शामिल इकबाल छागला के निधन को देश के लिए बड़ी क्षति माना जा रहा है, क्योंकि उन्होंने बॉम्बे बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहते हुए अपने ही पेशे में, न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी और 6 वर्किंग जस्टिस के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए थे और उनके इस्तीफे दिलवाए। बॉम्बे बार एसोसिएशन ने उनके निधन पर शोक जताया और लोगों को उनके बारे में अवगत कराया। उनकी इमेज, वर्किंग, पर्सनैलिटी और अचीवमेंट के बारे में दुनिया को बताया। आइए विस्तार से बात करते हैं...

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3 बार बॉम्बे बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे

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1939 में जन्मे एडवोकेट छागला ने सेंट मैरी स्कूल से पढ़ाई की। कैम्बिज यूनिवर्सिटी से हिस्टी और लॉ में पोस्ट ग्रेजुएशन की। उनके पिता MC छागला बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे। उनके बेटे RI छागला बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस थे। उन्हें भी बॉम्बे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस का पद ऑफर हुआ था, लेकिन उन्होंने दोनों पद लेने से इनकार कर दिया था।

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छागला 1990 से 1999 तक 3 बार बॉम्बे बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे। 1970 के दशक में छागला सीनियर वकील बने थे। वे दीवानी और कंपनियों के केस हैंडल करते थे। उन्हें 39 साल की उम्र में ही वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। वे अपने पहनावे और भाषण कला के लिए मशहूर थे। कोर्ट में उनकी बहस सुनने के लिए भीड़ जुटती थी। वे म्यूजिक सुनने और गोल्फ खेलने के शौकीन थे।

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चेतावनी के बावजूद पारित किए थे प्रस्ताव

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में छागला ने द इंडियन एक्सप्रेस के लिए ही एक कॉलम लिखा था, जिसमें उन्होंने बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के बारे में बात की थी। उन्होंने लिखा कि 1990 में बॉम्बे हाईकोर्ट के 5 मौजूदा जजों के खिलाफ़ प्रस्ताव लाने की जिम्मेदारी मुझ पर आई, जिसमें उनकी ईमानदारी पर सवाल उठाया गया और उनके इस्तीफ़े की मांग की गई।

मुझे दोस्तों ने चेतावनी दी थी कि यह स्पष्ट रूप से आपराधिक अवमानना ​​है और मौजूदा कानून के तहत कोई बचाव नहीं है। हालांकि बहुत तीखी बहस हुई, लेकिन प्रस्ताव पारित किए गए। एक जज ने इस्तीफा दे दिया, 2 का तबादला कर दिया गया और 2 को आगे कोई न्यायिक कार्य करने से मना कर दिया गय। 5 साल बाद उन्हें एक और प्रस्ताव लाना पड़ा। इस बार बॉम्बे हाईकोर्ट के एक मौजूदा मुख्य न्यायाधीश पर भ्रष्टाचार के आरोप थे और उनके इस्तीफे की मांग की गई थी। इन न्यायाधीश को बाद में इस्तीफा भी देना पड़ा।

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