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सुनक की हार और स्टार्मर की जीत का India-UK Free Trade Deal पर क्या होगा असर?

India Britain Relations: ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार कीर स्टार्मर का भारत को लेकर नजरिए मित्रतापूर्ण और सकारात्मक देखने को मिला है। लेकिन, मुक्त व्यापार समझौते को फाइनल करने के लिए इतना ही काफी नहीं होगा। दरअसल, इसे लेकर कई अहम मुद्दों पर दोनों देश सहमत नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में ब्रिटेन में सत्ता परिवर्तन का भारत के साथ इस समझौते पर क्या असर पड़ सकता है, समझिए इस रिपोर्ट में।
04:40 PM Jul 05, 2024 IST | Gaurav Pandey
Former UK PM Rishi Sunak, PM Narendra Modi And Next UK PM Keir Starmer
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India-UK Free Trade Deal : भारत और ब्रिटेन 38.1 बिलियन पाउंड ( लगभग 40,67,03,40,30,000 रुपये) की द्विपक्षीय ट्रेडिंग पार्टनरशिप को मजबूत करने के लिए एक समझौते पर काम कर रहे हैं। लेकिन, पहले भारत में और फिर ब्रिटेन में हुए आम चुनाव की वजह से इससे जुड़ी बातचीत चलती रही है। अब जब दोनों देशों में चुनाव संपन्न हो चुके हैं, माना जा रहा है कि मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर वार्ता फिर शुरू होगी जो करीब 2 साल से चल रही है। लेकिन, एक सवाल यह उठा है कि ब्रिटेन के चुनाव में भारतीय मूल के ऋषि सुनक की हार और लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर की जीत का इस पर क्या असर पड़ सकता है? जानिए इसी सवाल का जवाब।

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ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार कीर स्टार्मर का रुख अभी तक तो भारत हितैषी ही देखने को मिला है। खुद कीर स्टार्मर और उनकी लेबर पार्टी लगातार यह जाहिर करते आए हैं कि वह नरेंद्र मोदी की सरकार के साथ अच्छे संबंध बरकरार रखना चाहते हैं। चुनाव से पहले लेबर पार्टी की अध्यक्ष एनेलियस डॉड्स ने कहा था कि हमें पूरा भरोसा है कि हमने भारत के प्रति अतिवादी विचार रखने वाले सभी सदस्यों को अपने संगठन से बाहर कर दिया है। उल्लेखनीय है कि भारत के साथ इस मुक्त व्यापार समझौते को लेबर पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में भी स्थान दिया था। इसमें भारत के साथ एक नई स्ट्रैटेजिक भागीदारी को लेकर प्रतिबद्धता व्यक्त की गई थी।

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रुख पॉजिटिव लेकिन समस्याएं भी हैं

बता दें कि कीर स्टार्मर ने भारत के साथ नई कूटनीतिक भागीदारी की शुरुआत करने की बात कही है। इसके अलावा वह टेक्नोलॉजी, सिक्योरिटी, एजुकेशन और क्लाइमेट चेंज जैसे क्षेत्र में भी द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने का भी जिक्र कर चुके हैं। उनका इस तरह का रुख बताता है कि वह दुनिया की सबसे तेज रफ्तार से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक के साथ संबंध बेहतर करने के लिए उत्सुक हैं। इन सब पहलुओं को देखते हुए लगता है कि भारत और यूके के बीच यह कारोबारी समझौता जल्द अंतिम स्वरूप ले सकता है। लेकिन, इसकी राह में ब्रिटेन की ओर से लाया गया एक बड़ा पेच अभी भी फंसा हुआ है जिसे सुलझाना स्टार्मर के लिए आसान नहीं होगा।

इन मुद्दों पर नहीं बन पा रही सहमति

दरअसल, ब्रिटेन की ओर से टैरिफ कम करने पर जोर दिया जाता रहा है। यह टैरिफ खाद्यान्न और ऑटोमोबाइल जैसे प्रमुख निर्यात पर 150 प्रतिशत तक हो सकता है। यह मामला मुक्त व्यापार समझौते की वार्ता में एक बड़ी अड़चन बना हुआ है। इसके अलावा ब्रिटेन की इमिग्रेशन नीतियां भी वार्ता के लिए चुनौती बनी हुई हैं जो खास तौर पर भारतीय सर्विस सेक्टर के कर्मचारियों के लिए चिंता खड़ी करती हैं। इन मामलों को लेकर भारत ने ब्रिटेन के अधिकारियों के आगे अपना पक्ष रखा है।  दोनों देशों के अधिकारियों के बीच हुईं वर्चुअल बैठकों में भी इन समस्याओं को सुलझाने की कोशिश की गई है। ये मुद्दे सुलझ गए तो इस समझौते को फाइनल होनो में देन नहीं लगेगी।

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