Shraddha Murder Case: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आफताब की कोर्ट में हुई पेशी, 13 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा
दीपक दुबे, नई दिल्ली: श्रद्धा हत्याकांड मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आरोपी आफताब की कोर्ट में पेशी हुई। कोर्ट ने सुनवाई के बाद आरोपी को 13 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अब संभवत सोमवार को आरोपी का नार्को टेस्ट कराया जाएगा। जिसके बाद इस हत्याकांड से जुड़े राज से पर्दा उठ पाएगा।
प्री नार्को टेस्ट
शनिवार को अंबेडकर अस्पताल में आफताब के प्री नार्को टेस्ट की प्रक्रिया की गई। इसके लिए सभी जरूरी टेस्ट करवाए गए। दिल्ली पुलिस आफताब की कस्टडी खत्म होने से पहले आज आफताब को लेकर रोहिणी के अम्बेडकर अस्पताल गई जहां उसके नार्को से पहले होने वाले प्री नार्को टेस्ट हुए। यह जरूरी सभी टेस्ट नार्को टेस्ट से पहले कराए जाते हैं। जिसमें आफताब का ECG, बीपी चेक और कुछ और अन्य बॉडी चेकअप कराया गया।
एक और खुलासा
श्रद्धा हत्याकांड में रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं। वहीं आरोपी आफताब भी लगातार बयान बदल रहा है। अब इस केस में शनिवार को नया खुलासा करते हुए पुलिस ने कहा कि आफताब श्रद्धा को मारने के बाद जिस लड़की को अपने फ्लैट पर लेकर आया था, वो पेशे से डॉक्टर है। पुलिस ने उस महिला को ट्रेस कर लिया है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि जब वह डॉक्टर फ्लैट पर बुलाई गई तब श्रद्धा के शव के टुकड़े वहीं फ्रिज में रखे थे। इससे पता चलता है कि आफताब को श्रद्धा का मर्डर करने के बावजूद कोई टेंशन नहीं थी या फिर वह दिखावे के लिए नॉर्मल होने की कोशिश कर रहा था।
हुआ पॉलीग्राफ टेस्ट
इससे पहले शुक्रवार को आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट हुआ। ये टेस्ट करीब ढाई घंटे तक चला। FSL सूत्रों के मुताबिक अब तक का जो पॉलीग्राफ टेस्ट टेस्ट हुआ है, FSL टीम द्वारा उसका पूरा एनालिसिस किया जाएगा अगर उसके जवाबों से संतुष्टि होती है तो पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए नहीं बुलाया जाएगा, फिर नारको टेस्ट के लिए तैयारियां की जाएंगी, लेकिन अगर कहीं पर भी एनालिसिस में लगता है कि कुछ चीजें रह गई तो पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए फिर बुलाया जा सकता है। आफताब का रोहिणी स्थित फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) में पॉलीग्राफ टेस्ट हुआ।
वहीं दिल्ली पुलिस ने महरौली हत्याकांड के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला के फ्लैट से पांच चाकू बरामद किए हैं। बरामद चाकुओं को जांच के लिए एफएसएल भेजा गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इनका इस्तेमाल अपराध में किया गया था या नहीं।