होमखेलवीडियोधर्म मनोरंजन..गैजेट्सदेश
प्रदेश | हिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारदिल्लीपंजाबझारखंडछत्तीसगढ़गुजरातउत्तर प्रदेश / उत्तराखंड
ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थExplainerFact CheckOpinionनॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

'आरक्षण के लिए धर्म नहीं बदल सकते...', SC ने महिला की अर्जी पर जारी किए ये आदेश

Supreme Court Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने नौकरियों में आरक्षण संबंधी एक महिला की याचिका पर फैसला सुना दिया है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि सिर्फ आरक्षण का लाभ लेने के लिए धर्म बदलने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इस मामले के बारे में विस्तार से जानते हैं।
09:56 PM Nov 26, 2024 IST | Parmod chaudhary
Advertisement

Supreme Court News: (प्रभाकर मिश्रा, नई दिल्ली) सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया है कि अगर कोई व्यक्ति सिर्फ आरक्षण का लाभ लेने के लिए धर्मांतरण कर रहा है तो इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। पुडुचेरी की महिला ने नौकरी में अनुसूचित जाति के तहत मिलने वाले आरक्षण का लाभ हासिल करने के लिए याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने महिला की याचिका खारिज करते हुए कहा कि नियमित तौर पर चर्च जाने और ईसाई धर्म की परंपरा का पालन करने वाला खुद को हिंदू बताकर अनुसूचित जाति के तहत मिलने आरक्षण का लाभ नहीं उठा सकता।

Advertisement

महिला के दावों को नकारा

कोर्ट ने कहा कि जहां तक इस महिला का सवाल है, वो ईसाई धर्म की परंपरा का पालन करती है। वो नियमित तौर पर चर्च जाती है। इसके बावजूद वो खुद को हिंदू बताते हुए नौकरी के मकसद से शेड्यूल कास्ट को मिलने वाले आरक्षण का फायदा उठाना चाहती है। इस महिला का दोहरा दावा अस्वीकार्य है। 'बापटिज्म' के बाद वो खुद हिंदू होने का दावा नहीं कर सकती। उसे अनुसूचित जाति के आरक्षण का फायदा नहीं दिया जा सकता। जस्टिस पंकज मित्तल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है।

यह भी पढ़ें:UK में सिरफिरे ने फैलाई दहशत, 30 साल के शख्स को 19 बार मारा पेचकस; जानें मामला

न्यायालय ने कहा कि संविधान के आर्टिकल-25 के तहत देश के हर नागरिक को अपनी मर्जी से किसी धर्म को चुनने और उसकी परंपराओं का पालन करने की स्वतंत्रता है। कोई अपना धर्म तब बदलता है, जब असल में वो किसी दूसरे धर्म के सिद्धांतों, परंपराओं से प्रभावित हो। हालांकि अगर कोई शख्स सिर्फ धर्मांतरण सिर्फ दूसरे धर्म के तहत मिलने वाले आरक्षण का फायदा लेने के लिए कर रहा है तो इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। ऐसा करना आरक्षण की नीति के सामाजिक सरोकार को धता बताना होगा।

Advertisement

पुडुचेरी की महिला ने दाखिल की थी याचिका

सुप्रीम कोर्ट में पुडुचेरी की एक महिला ने याचिका दाखिल की थी। महिला ने मांग की थी कि अनुसूचित जाति के तहत नौकरियों में मिलने वाले आरक्षण का उसको फायदा दिया जाए। बापटिज्म (Baptism) ईसाई धर्म में प्रचलित है। इसे एक धार्मिक अनुष्ठान भी कहा जाता है। इस अनुष्ठान को नई जिंदगी की शुरुआत, पापों से मुक्ति और भगवान के प्रति समर्पण के प्रतीक के तौर पर माना जाता है। कहा जाता है कि खुद ईसा मसीह ने ये अनुष्ठान किया था। जिसके बाद से ईसाई धर्म में इस परंपरा की शुरुआत हुई थी।

यह भी पढ़ें:चेहरे पर नकाब, पुलिस पर पथराव करते युवा; दुकानें फूंकती भीड़… संभल दंगों का नया वीडियो आया सामने

Open in App
Advertisement
Tags :
Supreme CourtSupreme Court Verdict
Advertisement
Advertisement