तिरुपति लड्डू विवाद के बाद होगा ये बड़ा बदलाव, आया मंदिर प्रशासन का बयान, बोर्ड ने दी सफाई
के जे श्रीवत्सन
Tirupati Laddu Controversy TTD Statement: आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डू प्रसाद का मामला सुर्खियों में बना हुआ है। लड्डू में गाय की चर्बी और मछलियों का तेल मिलाने की बात सामने आई है। इस विवाद के बीच अब तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) बोर्ड ने भी अपनी ओर से सफाई दी है। मंदिर के एग्जीक्यूटिव ऑफिसर ने प्रसाद की गुणवत्ता में समझौता नहीं किए जाने की बात कही है। टीटीडी बोर्ड ने व्यवस्था में बड़ा बदलाव करते हुए कहा है कि जल्द ही मंदिर में सप्लाई होने वाली चीजें जांच से गुजरेंगी। मंदिर परिसर में ही सप्लाई होने वाली चीजों की जांच के लिए 75 लाख रुपये की लागत से एक लैब बनाई जाएगी।
घी की क्वालिटी से समझौता नहीं
वेंकटेश्वर स्वामी को चढ़ाए जाने वाले लड्डू प्रसादम की पवित्रता सुनिश्चित हो सके, इसके लिए टीटीडी के ईओ जे श्यामला राव ने कहा कि लड्डू बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले घी की गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। दुनियाभर से लाखों तीर्थयात्री अत्यंत भक्ति के साथ श्री वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन करने के लिए तिरुमाला मंदिर जाते हैं। हमें तिरुमाला दिव्यक्षेत्रम और लड्डू प्रसादम की पवित्रता और दिव्यता की रक्षा करने की आवश्यकता है।
बाहरी प्रयोगशाला में घी की जांच
शुक्रवार को तिरुमाला में अन्नामैया भवन के बैठक कक्ष में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए ईओ ने कहा- आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने स्पष्ट रूप से कहा है कि शुद्ध गाय के घी का उपयोग करके लड्डू प्रसादम की गुणवत्ता और स्वाद को सुनिश्चित करने और पवित्रता को बहाल करने की जरूरत है। इसमें दुनियाभर के लाखों भक्तों की भावनाएं शामिल हैं। इसके बाद हमने नए टीटीडी प्रशासन के कार्यभार संभालने के बाद से ही लड्डुओं की गुणवत्ता और स्वाद में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है। पिछले कुछ साल में लड्डुओं की खराब गुणवत्ता पर तीर्थयात्रियों से प्रतिक्रिया प्राप्त करने और पहली बार पोटु श्रमिकों (लड्डू निर्माताओं) के साथ बातचीत करने के बाद टीटीडी ने मिलावट परीक्षण के लिए एक बाहरी प्रयोगशाला में घी की आपूर्ति भेजी है।
ये भी पढ़ें: क्या होता है Beef Tallow? जिस पर गर्माई सियासत, तिरुपति वेकेंटेश्वर मंदिर की प्रसाद में मिलावट के आरोप
ऐसा रहा घी खरीदने का पूरा प्रॉसेस
टीटीडी को घी के 5 आपूर्तिकर्ता थे। इसकी कीमतें 320 रुपये से 411 रुपये के बीच थीं। नाम हैं- प्रीमियर एग्री फूड्स, कृपाराम डायरी, वैष्णवी, श्री पराग मिल्क और ए. आर. डेयरी। प्रशासन के अनुसार, ये दरें शुद्ध घी की आपूर्ति के लिए व्यवहार्य नहीं हैं। प्रशासन द्वारा सभी को अच्छी गुणवत्ता वाला घी सुनिश्चित करने की चेतावनी दी गई है। इसके साथ ही नमूने मिलावट बाहरी प्रयोगशालाओं में भेजे जाएंगे और सकारात्मक पाए जाने पर उन्हें ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा।
इस तरह चला मिलावट का पता
चेतावनी के बाद भी ए. आर. फूड्स द्वारा भेजे गए 4 घी टैंकर घटिया गुणवत्ता के पाए गए। प्रतिष्ठित एन. डी. डी. बी. सी. ए. एल. एफ. आनंद को भेजे गए नमूने पर किया गया एस-वैल्यू विश्लेषण मानक सीमा से बाहर था। जिससे सोयाबीन, सूरजमुखी, ताड़ की गुठली की चर्बी, यहां तक की चर्बी और गोमांस जैसी विदेशी वसा की उपस्थिति का पता चलता है।
यह भी पढ़ें: प्रसाद में बीफ मिलाने वालों को हो फांसी…Tirupati Mandir विवाद पर क्या बोले बालमुकुंद आचार्य
जनवरी तक शुरू होगी लैब
गुणवत्ता की कमी का कारण इन-हाउस प्रयोगशाला नहीं होना है। आपूर्तिकर्ताओं ने इन कमियों का लाभ उठाया। एनडीडीबी घी मिलावट परीक्षण उपकरण दान करने के लिए आगे आया है, जिसकी लागत 75 लाख रुपये होगी, जो स्थायी समाधान के रूप में दिसंबर या जनवरी तक आने की संभावना है। ई. ओ. ने यह भी कहा कि अन्न प्रसादम के स्वाद और गुणवत्ता को लेकर भक्तों की ओर से शिकायतें आ रही हैं। इसलिए टीटीडी ने विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया है और पाया है कि गुणवत्ता में कमियां हैं। आपूर्ति अस्थायी रूप से रोक दी गई थी। विशेषज्ञों के साथ गहन जांच के बाद यह निर्णय लिया जाएगा कि इसे बहाल किया जाए या नहीं।
यह भी पढ़ें: तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलाया गया था बीफ और मछली का तेल! TDP के दावों के पीछे सच्चाई क्या?