गडकरी को PM पद का ऑफर किसने दिया? संजय राउत ने कर दिया इशारा, बोले- त्याग करने से ही बचेगी स्वतंत्रता
Nitin Gadkari News: बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के खुलासे पर शिवसेना उद्धव ठाकरे के नेता संजय राउत ने कहा है कि त्याग करने से ही स्वतंत्रता बचेगी और किसी विरोधी दल के नेता ने ऐसा ऑफर दिया होगा, तो इसमें कुछ गलत नहीं है। दरअसल नितिन गडकरी ने रविवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि लोकसभा चुनावों के दौरान विपक्ष के एक नेता उन्हें प्रधानमंत्री पद का ऑफर दिया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया।
इसी मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय राउत ने कहा कि नितिन गडकरी बीजेपी के सर्वमान्य नेता हैं और प्रधानमंत्री पद के लिए जोड़-तोड़ करो, ऐसा उन्हें किसी ने कहा होगा, ऐसा मुझे नहीं लगता। लेकिन इस देश में जिस तरह से तानाशाही चल रही है, और पिछले दस साल से जिस तरह की इमरजेंसी है। उससे जुड़ाव मत रखो... अगर इस तरह की भूमिका उनके सामने किसी विपक्षी नेता ने रखी होगी, तो इसमें मुझे कुछ गलत नहीं लगता। नितिन गडकरी लोकतंत्र को चोट पहुंचाने वालों के खिलाफ मुखर रहे हैं, इसलिए अगर कोई विरोधी पक्ष का प्रमुख नेता, जिस नेता को वह बहुत मानते हैं, उन्होंने कोई सलाह दी होगी, तो इसमें किसी को कोई ज्यादा दर्द नहीं होना चाहिए।
राउत ने कहा कि 1977 में जगजीवन राम ने कांग्रेस पार्टी से इन्हीं मूल्यों के चलते इस्तीफा दिया था और इंदिरा गांधी की हार हुई थी। अगर देश में स्वतंत्रता, लोकतंत्र और न्यायपालिका को बनाए रखना है तो कुछ लोग, जो सत्ता में हैं, उनका त्याग करने से ही स्वतंत्रता मिलेगी।
'पीएम पद के लिए हम आपका सपोर्ट करेंगे'
गडकरी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता, लेकिन एक व्यक्ति ने मुझसे कहा था कि यदि आप प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं तो हम आपका सपोर्ट करेंगे। मैंने कहा, आप हमारा सपोर्ट क्यों करेंगे और मैं आपका सपोर्ट क्यों लूं। मेरे जीवन का लक्ष्य प्रधानमंत्री बनने का नहीं है। मैं अपनी विचारधारा और संगठन के प्रति ईमानदार हूं और मैं किसी पद के लिए इससे समझौता नहीं करूंगा, क्योंकि मेरी प्रतिबद्धता मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। गडकरी ने कहा कि ये प्रतिबद्धता ही भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है।
हालांकि नितिन गडकरी ने बहुत विस्तार से नहीं बताया कि उन्हें किस विपक्षी नेता ने ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में जब ऐसा लग रहा था कि बीजेपी अपने दम पर बहुमत नहीं हासिल कर पाएगी, और सरकार बनाने के लिए उसे किसी पार्टी के समर्थन की दरकार होगी, तब उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए सपोर्ट का ऑफर मिला था।