यूपी की 69000 शिक्षक भर्ती में क्यों फंसा पेंच? लखनऊ में रातभर बवाल, आरक्षण घोटाले के लगे आरोप
Uttar Pradesh Teachers Recruitment Protest for 69000 Posts: उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती को लेकर मचा हंगामा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। 69000 शिक्षकों की भर्ती पर पेंच फंसा हुआ है। इसे लेकर अभ्यार्थियों ने राजधानी लखनऊ में जोरदार प्रदर्शन शुरू किया, तो प्रशासन भी हरकत में आ गया। धरने पर बैठी युवतियों को पुलिस ने गाड़ी में बैठाकर रवाना कर दिया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
रात भर हुआ धरना प्रदर्शन
दरअसल बीती रात लखनऊ में शिक्षक भर्ती को लेकर छात्र हंगामा कर रहे थे। सभी ने अपने फोन की फ्लैश लाइट जला रखी थी। तेज बारिश के बीच लखनऊ की सड़कों पर अभ्यार्थियों के नारे के आवाज गूंज लगी। "पिछड़े दलितों की है यही पुकार नियुक्ति दे सरकार" जैसे नारों के साथ अभ्यार्थियों का धरना प्रदर्शन जारी था। इसी बीच पुलिस प्रशासन ने धरनास्थल पर मौजूद महिलाओं को गाड़ी में बैठाकर रवाना कर दिया। हालांकि बाकी अभ्यार्थी भीगते हुए उसी जगह पर खड़े रहे। देर रात हुए अभ्यार्थियों के हंगामे ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है।
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क्या है पूरा मामला?
बता दें कि अखिलेश यादव की सरकार में 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनाया गया था। मगर सुप्रीम कोर्ट ने अखिलेश सरकार के इस फैसले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने योगी सरकार को इन पदों पर नई भर्ती करने के आदेश दिए। योगी सरकार ने दो बार में पदों को भरने का फैसला किया। पहली बार 2018 में 68500 पदों पर शिक्षक भर्ती निकाली गई। दूसरी बार 2019 में 69000 पदों पर भर्ती हुई।
आरक्षण घोटाले के लगे आरोप
हालांकि दूसरी भर्ती में आरक्षण को लेकर पेंच फंस गया। अभ्यार्थियों का आरोप है कि ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत की बजाए सिर्फ 3.86 फीसदी पदों पर नौकरी दी गई। 69000 में 18598 सीटें ओबीसी के खाते में आनी चाहिए, लेकिन सरकार ने सिर्फ 2637 सीटें ही ओबीसी वर्ग को दी हैं। वहीं सरकार का दावा है कि ओबीसी वर्ग से 31 हजार शिक्षकों की नियुक्ति की गई है।
अभ्यार्थियों की मांग
विवाद गंभीराने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया। कोर्ट का आदेश आने के बाद अभ्यार्थी फिर से सड़क पर उतर आए और सरकार से फौरन नियुक्ति पत्र देने की मांग करने लगे। अभ्यार्थियों का कहना है कि उन्हें सरकार और प्रशासन पर भरोसा नहीं है। इसलिए जब तक उन्हें यह नहीं बताया जाएगा कि नियुक्ति किस तारीख को होगी, काउंसलिंग और नियुक्ती की डेट कन्फर्म होने के बाद ही वो धरना प्रदर्शन बंद करेंगे।
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