Namo Bharat Rapid Rail: नहीं पड़ेगी नए इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत, रेल नेटवर्क की यूं बदलेगी तस्वीर
Vande Bharat Train: 'वंदे मेट्रो' या 'नमो भारत रैपिड रेल' को रैपिड रेल का नया रूप माना जा रहा है। भुज और अहमदाबाद के बीच पहली वंदे मेट्रो शुरू भी हो गई है। इस हफ्ते ही इस ट्रेन को लॉन्च किया गया है। दोनों स्टेशनों के बीच लगभग 350KM की दूरी है। जिसको भारत की सबसे तेज ट्रेन 6 घंटे में पूरा करती है। लेकिन वंदे मेट्रो इससे कम समय में ये दूरी तय कर रही है। किराया भी 455 रुपये प्रति व्यक्ति है। इस ट्रेन में 12 कोच हैं, जिनमें 1150 लोग यात्रा कर सकते हैं। जो शहर भारत में 100, 200 या 300KM की दूरी पर हैं, वहां जाने के लिए लोगों को या तो निजी वाहन लेना पड़ता है या फिर बस और ट्रेन के जरिए जाना पड़ता है।
वंदे भारत ट्रेन अहम क्यों?
अभी भारत में तीन तरह की ट्रेनें चलती हैं। पहली है एक्सप्रेस या मेल, जो छोटे स्टेशनों पर नहीं रुकती। इसके बाद EMU चलती हैं। जो बड़े शहरों के लिए हैं। वहीं, तीसरे नंबर पर साधारण ट्रेनें हैं। बता दें कि ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम करने के लिए वंदे भारत मेट्रो को अहम माना जा रहा है। लोग भी समय के साथ स्मार्ट, फास्ट और आरामदायक साधनों को तवज्जो देने लगे हैं। पिछले साल ही रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) को मेरठ और दिल्ली के बीच लॉन्च किया गया था। जिसके पूरी तरह चालू होने के बाद दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ के बीच यात्रियों को अच्छी सुविधाएं मिलेंगी। RRTS और मेट्रो परियोजनाओं के निर्माण पर बड़ी राशि खर्च होती है।
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दिल्ली मेट्रो की बात करें तो एक किलोमीटर की लाइन बिछाने पर 200 से 600 करोड़ का खर्चा आया है। RRTS के लिए राशि 400 करोड़ जा सकती है। RRTS का प्रोजेक्ट 2005 में आया था। लेकिन इसको अपनाने में दो दशक का समय लग गया। भारतीय रेलवे के पास फिलहाल 62 हजार KM का ब्रॉड गेज (BG) नेटवर्क है। देशभर में हजारों स्टेशन हैं। शहरों में अभी मेट्रो या RRTS चलाने के लिए भारी निवेश की जरूरत है। जमीन भी चाहिए, लेकिन वंदे भारत मौजूदा पटरियों पर दौड़ने में सक्षम हैं। नए स्टेशन बनाने की जरूरत भी नहीं है। मौजूदा स्टेशनों से काम चल सकता है।
EMU/MEMU से बेहतर है वंदे भारत
बड़े शहरों में पीक ऑवर्स के दौरान लोगों के लिए EMU/MEMU बेहतर विकल्प है। लेकिन वंदे मेट्रो इन दोनों ट्रेनों से अच्छा विकल्प है। एक रेलवे अधिकारी के मुताबिक पुणे, लोनावाला, पालघर से मुंबई और मेरठ, बागपत, फरीदाबाद और गुरुग्राम से दिल्ली आने वाली ट्रेनों में काफी भीड़ होती है। यही हाल हल्दिया से कोलकाता और पुडुचेरी और तिरुपति से चेन्नई आने वाली ट्रेनों का है। वंदे भारत ट्रेनें यहां अच्छा विकल्प साबित हो सकती हैं। साथ ही यह अनारक्षित डिब्बों से भार कम करने में मददगार है। इन ट्रेनों में सभी सुविधाएं भी हैं। जो शहरी परिवहन व्यवस्था को पटरी पर लाने में कारगर हैं।