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मंद‍िर..ट्रेन में ब्‍लास्‍ट, जब काशी में बम रखकर आतंक‍ियों ने दी धमकी, 'भारतीयों को नहीं सोने देंगे चैन से..'

Varanasi Blast case: 7 मार्च 2006 में देर शाम पहला ब्लास्ट बीएचयू के पास संकटमोचन हनुमान मंदिर में हुआ। इसके बाद वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पर खड़ी ट्रेन में जोरदार धमाका हुआ। इस मामले में जून 2022 धमाकों के 16 साल बाद फैसला आया था।
07:00 AM Mar 07, 2024 IST | Amit Kasana
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Varanasi Blast case:वाराणसी में साल 2006 में एक के बाद एक सिलसिलेवार धमाके हुए थे। जिनमें कुल 28 लोगों की मौत हो गई थी और तकरीबन 101 लोग घायल हुए थे। पहला विस्फोट 7 मार्च को लंका एरिया में हुआ था। शाम करीब 6.15 बजे जब लोग ऑफिसों से अपने घर जा रहे थे तो यहां संकटमोचन मंदिर में धामाके की तेज आवाज के बाद अफरा तफरी मच गई।

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पूरे देश को हिला दिया था

मंदिर के समीप ही बीएचयू है। धमाके के लिए मंगलवार का दिन चुना गया, उस दिन मंदिर में बड़ी संख्या में लोग एकत्रित थे। मंदिर में धमाके बाद हर जगह धुंआ फैल गया, लोग मदद के लिए चिल्लाते हुए एक के ऊपर एक चढ़ते हुए बाहर की तरफ भागे। इसके बाद अभी दमकल विभाग और स्वास्थ्य विभाग के लोग मंदिर में पहुंचकर बचाव कार्य कर रही थे कि करीब 6.30 बजे शहर के दशाश्वमेध घाट के पास कुकर बम मिला।

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दर्ज की गई थीं तीन एफआईआर

अभी जांच एजेंसियां हालत को काबू करती इससे पहले वाराणसी रेलवे स्टेशन पर खड़ी शिव गंगा एक्सप्रेस ट्रेन में जोरदार धमाका हुआ। ट्रेन यात्रियों से खचाखच भरी हुई थी, वह दिल्ली जा रही थी। धार्मिक नगरी में हुए इन धमाकों ने सभी को हिला दिया। वाराणसी सिलसिलेवार हुए बम धमाकों में यूपी पुलिस ने तीन मुकदमें दर्ज किए थे। बाद में इस मामले आतंकी वलीउल्लाह को पकड़ा गया था। जानकारी के अनुसार वलीउल्लाह प्रयागराज के फूलपुर गांव का मूल निवासी था।

16 साल बाद फैसला

मामले की जांच में पता चला कि तीनों मामलों में वलीउल्लाह ने अपने साथियों के साथ मिलकर बम धमाकों की साजिश रची थी। इस मामले में जून 2022 धमाकों के 16 बाद मास्टरमाइंड वलीउल्लाह को गाजियाबाद कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। दरअसल, वाराणसी के वकीलों ने वलीउल्लाह की तरफ से केस लड़ने के लिए इनकार कर दिया था। जिसके बाद यह केस इलाहाबाद कोर्ट से गाजियाबाद ट्रांसफर किया गया था। वलीउल्लाह कश्मीर के आंतकी संगठन लश्कर-ए-कहर का सक्रिय सदस्य था।

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