हिंदू मंदिरों को सरकार के कब्जे से मुक्त करने की मांग तेज, अब VHP चलाएगी ये अभियान
VHP Campaign: विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने हिंदू मंदिरों को सरकारी कब्जे से मुक्त करवाने के लिए अभियान शुरू करने का ऐलान किया है। इस अभियान को 'जागरण अभियान' नाम दिया गया है। ANI की रिपोर्ट के अनुसार वीएचपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने बताया कि पहले परिषद की ओर से 'सांसद संपर्क अभियान' चलाया गया था। वीएचपी के पदाधिकारी सरकारी कब्जे से मंदिरों की मुक्ति को लेकर लगभग 350 सांसदों से चर्चा कर चुके हैं। मंदिरों से सरकारी नियंत्रण को खत्म करना समय की डिमांड है। उन्होंने सवाल किया कि जब कोई मदरसा, मस्जिद, मजार या चर्च सरकार के नियंत्रण में नहीं हैं तो मंदिरों के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है?
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हिंदू समाज में इसको लेकर आक्रोश है। विहिप की ओर से पिछले कई दशकों से मंदिरों को मुक्त करने को लेकर आवाज उठाई जा रही है। जिसके बाद ही अब 'जागरण अभियान' शुरू करने का फैसला लिया गया है। जल्द वीएचपी की ओर से ऐलान किया जाएगा कि अभियान का प्रारूप क्या होगा और इसे कैसे चलाया जाएगा? बंसल ने कहा कि उनके पदाधिकारियों ने कई प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और विभिन्न राजनीतिक दलों से सहयोग मांगा है। इससे पहले वीएचपी ने जो सांसद संपर्क अभियान चलाया था, उसमें मंदिरों की मुक्ति, हिंदू समाज के विशेषाधिकारों का विस्तार और वक्फ संशोधन विधेयक जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई है। शीतकालीन सत्र के दौरान 350 सांसदों से हिंदू समाज से जुड़े 3 बड़े विषयों पर चर्चा की गई है।
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विश्व हिंदू परिषद के महासचिव बजरंग लाल बागड़ा के अनुसार अलग-अलग राज्यों में जाकर अलग-अलग पार्टियों के नेताओं, संप्रदायों, संस्थाओं से भी बातचीत की गई है। जिसमें संविधान के अनुच्छेद-29 और 30 के तहत अल्पसंख्यकों को दिए गए विशेषाधिकारों को हिंदू समाज तक बढ़ाने का सुझाव रखा गया है। इस अभियान को 2 से 20 दिसंबर के बीच चलाया गया है। 2-6 दिसंबर तक दक्षिणी राज्यों में पहला चरण पूरा हुआ। विहिप पदाधिकारी तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश के अलावा ओडिशा, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में 114 लोकसभा और राज्यसभा सांसदों से मिले।
ऐसे चला अभियान
वहीं, 9 से 13 दिसंबर तक दूसरा चरण पूरा हुआ। जिसमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के 139 सांसदों से संपर्क किया गया। तीसरे चरण में 16 दिसंबर से उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड और त्रिपुरा के सांसदों से मुलाकात की गई। विहिप के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने सितंबर में तर्क दिया था कि मंदिरों को नियंत्रित करने वाली राज्य सरकारें संविधान का उल्लंघन करती हैं। उनका इशारा तिरुपति मंदिर की ओर था, जहां 'प्रसाद' बनाने में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल के आरोप लगे थे।