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केरल में क्यों हुआ लैंडस्लाइड? 150 लोगों ने गंवाई जान, स्टडी कर चुकी हैं चौंकाने वाले खुलासे

Kerala Wayanad Landslide Reasons: केरल के वायनाड में भीषण लैंडस्लाइड क्यों हुआ? इसे लेकर हुई रिसर्च में चौंकाने वाले खुलासे वैज्ञानिक कर चुके हैं। 14 साल पहले सरकार को चेताया गया था, लेकिन सिफारिशें आज तक लागू नहीं की गईं।
11:30 AM Jul 31, 2024 IST | Khushbu Goyal
Kerala Wayanad Landslide
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What Caused Wayanad Landslide: केरल के वायनाड में बीते दिन भीषण लैंडस्लाइड हुआ। पहाड़ दरकने से पानी के साथ मलबा आया हो मेप्पडी गांव डूब गया। मलबे के नीचे से अभी तक 150 से ज्यादा लोगों की लाशें निकाली जा चुकी हैं। वहीं 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 3000 हजार से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू करके सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। लैंडस्लाइड मंगलवार अलसुबह करीब 2 बजे और 4 बजे हुआ।

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मलबे के नीचे मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांव दब गए। घर, पुल, सड़कें, गाड़ियां सबकुछ बह गया। इंडियन आर्मी, इंडियन एयरफोर्स, NDRF, SDRF, पुलिस और डॉग स्क्वॉड ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। 150 लोगों की मौत के शोक में आज केरल में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहा, लेकिन वायनाड में इतना भीषण लैंडस्लाइड क्यों हुआ? एक स्टडी में इसे लेकर कुछ खुलासे हुए हैं, जो देशवासियों की आंखें खोल सकते हैं और उन्हें लैंडस्लाइड होने की वजह भी बता सकते हैं।

 

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30 भूस्खलन प्रभावित जिलों में 10 केरल जिले के

पिछले कुछ साल से केरल में एक स्टडी चल रही थी, जिसकी रिपोर्ट भी प्रकाशित हो गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन, नरम सतह वाला भूभाग और वन क्षेत्र खत्म होने से वायनाड में विनाशकारी भूस्खलन होने के हालात बने। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर द्वारा पिछले वर्ष जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 30 सबसे ज्यादा भूस्खलन प्रभावित जिलों में से 10 जिले केरल के थे और वायनाड 13वें स्थान पर था।

इसमें कहा गया है कि पश्चिमी घाट और कोंकण पहाड़ियों (तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र) में 0.09 मिलियन वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र भूस्खलन की दृष्टि से काफी संवेदनशील है। पश्चिमी घाटों में जनसंख्या भी बहुत अधिक है, विशेष रूप से केरल में काफी लोग रहते हैं। स्प्रिंगर द्वारा 2021 में प्रकाशित एक स्टडी में कहा गया है कि केरल में सभी भूस्खलन हॉटस्पॉट पश्चिमी घाट क्षेत्र में थे और इडुक्की, एर्नाकुलम, कोट्टायम, वायनाड, कोझीकोड और मलप्पुरम जिलों में केंद्रित थे।

 

कम समय में ज्यादा बारिश होने से भूस्खलन हुआ

रिपोर्ट में कहा गया है कि केरल में अब हुए भूस्खलन में से 59 प्रतिशत हादसे बागानों में हुए हैं। वायनाड में घटते वन क्षेत्र पर 2022 में एक स्टडी हुई थी। इस स्टडी से पता चला कि 1950 और 2018 के बीच जिले में 62 प्रतिशत जंगल गायब हो गए, जबकि वृक्षारोपण वाले एरिया में लगभग 1800 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायरनमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित स्टडी में कहा गया है कि 1950 के दशक तक वायनाड का लगभग 85 प्रतिशत एरिया जंगली था।

जलवायु परिवर्तन के कारण पश्चिमी घाट में भूस्खलन होने की संभावना लगातार बढ़ रही है। कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (CUSAT) में अनुसंधान केंद्र के निदेशक एस अभिलाष कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण अरब सागर के गर्म होने से गहरे बादल बन रहे हैं, जिससे केरल में थोड़े समय अत्यधिक भारी बारिश हो रही है और भूस्खलन होने की संभावना बढ़ रही है। पहले ऐसी बारिश मैंगलोर के उत्तरी कोंकण क्षेत्र में होती थी।

 

14 साल पहले की गई सिफारिशें लागू नहीं हुईं

वायनाड में बीते दिन हुए भूस्खलन ने पारिस्थितिकीविद् माधव गाडगिल के नेतृत्व में सरकार द्वारा बनाए गए पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों की याद एक बार फिर दिला दी, जिन पर ध्यान नहीं दिया गया। पैनल ने 2011 में केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें सिफारिश की गई कि केरल में बनी पर्वत श्रृंखला को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया जाए तथा उनकी पारिस्थितिक संवेदनशीलता के आधार पर उन्हें पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में विभाजित किया जाए।

पारिस्थितिकी दृष्टि से संवेदनशील जोन-1 में खनन, बिजली संयंत्रों, बिजली परियोजनाओं और पवन ऊर्जा परियोजनाओं पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश भी की गई थी, लेकिन राज्य सरकारों, उद्यमियों और स्थानीय समुदायों के प्रतिरोध के कारण 14 वर्षों के बाद भी पैनल की सिफारिशें लागू नहीं की गई हैं।

 

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