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बादल का फटना क्या है? क्यों होती है इतनी बारिश, आसान शब्दों में समझिए

What is cloud Burst: बादल फटने की घटनाएं पहाड़ों में ज्यादा होती हैं। पहाड़ी इलाकों में बादल आगे नहीं बढ़ पाते हैं। ऐसी स्थिति में एक जगह पर भारी मात्रा में नमी वाले बादलों के इकट्ठा होने के मौके बढ़ जाते हैं। परिणाम ये होता है कि पहाड़ों से टकराहट के चलते बादल फट जाते हैं।
02:39 PM Aug 01, 2024 IST | News24 हिंदी
पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं ज्यादा होती हैं।
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What is cloud Burst: हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बादल फटने की घटना ने बड़ी तबाही मचाई है। हिमाचल में 11 लोगों की मौत हो गई है। 50 से ज्यादा लोग लापता हैं। अभी तक 3 लोगों की लाशें मिली हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु राहत और बचाव कार्य में लगे हैं। दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद हिमाचल प्रदेश की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।

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भारी बारिश से मनाली-कुल्लू-लेह हाइवे ब्लॉक हो गया है। पार्वती नदी का जलस्तर बढ़ गया है। मलाणा में पावर प्रोजेक्ट का एक डैम भी टूट गया है। ये सब बादल फटने की वजह से हुई मूसलाधार बारिश के चलते हुआ है।

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उधर उत्तराखंड में भी बादल फटने की वजह से टिहरी में तीन लोग मलबे में बह गए हैं। टिहरी के साथ केदारनाथ में भी बादल फटने की घटना हुई है।

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बादल क्यों फटते हैं?

मानसून आते ही बादल फटने की घटनाएं होती हैं। मौसम विभाग के मुताबिक किसी एक जगह पर 1 घंटे में 10 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश को बादल का फटना कहते हैं। बादल फटने की घटना में खतरनाक बारिश होती है। इससे घंटे भर में ही बाढ़ आ जाती है।

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बादल फटने की घटना तब होती है, जब भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक जगह इकट्ठा हो जाते हैं। और उन्हें आगे बढ़ने और फैलने के लिए जगह नहीं मिलती है। ऐसी स्थिति में बादल में मौजूद पानी की बूंदें आपस में एक जगह इकट्ठा हो जाती हैं। बूंदों का भार इतना ज्यादा हो जाता है कि बादल का घनत्व बढ़ जाता है। घनत्व बढ़ने से जोरदार आवाज के साथ बादल फटता है और अचानक तेज बारिश शुरू हो जाती है।

पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं ज्यादा

उत्तराखंड, हिमाचल जैसे राज्यों में बादल फटने की घटनाएं ज्यादा होती हैं। इसी तरह अन्य पहाड़ी राज्यों में भी बादल फटने की घटनाएं मैदानी इलाकों की तुलना में ज्यादा होती हैं। नमी से भरे बादल जब हवा में तेजी से आगे बढ़ते हैं तो बीच में उनका पहाड़ों से सामना होता है।

पहाड़ों की ऊंचाई बादल को आगे नहीं बढ़ने देती है। टकराहट के चलते बादल अचानक फट पड़ता है। इससे बादल में मौजूद पानी अचानक बारिश के रूप में गिरने लगता है। बारिश इतनी तेज होती है कि इससे मजबूत पहाड़ भी ध्वस्त हो जाते हैं। अक्सर से घटना 12 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर होती है।

बादल फटने की बड़ी घटनाएं

साल 2013 में उत्तराखंड में बादल फटने की घटना में 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। हजारों लोग लापता हो गए थे। इसी तरह अगस्त 2010 में लेह में बादल फटने की घटना में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी, चार सौ से ज्यादा लोग घायल हुए थे। 9 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे।

 

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