दशहरा के दिन यहां होती है रियल फाइट, सिर से खून निकलने पर विजेता घोषित, क्या है वज्रमुष्टि कलगा?
What is Vajramushti Kalaga: दशहरा को असत्य पर सत्य की जीत के लिए जाना जाता है। इस दिन भगवान राम ने रावण का अंत कर दुनिया को बड़ा संदेश दिया था। भगवान राम ने 87 दिन तक चले युद्ध में पराजित किया था। इसे दशहरा के त्योहार के तौर नाम से मनाया जाता है। दशहरा के इस खास पर्व पर आज भी भारतीय संस्कृति में दशहरे पर कई परंपराएं जीवित हैं। जहां रियल फाइट तक का नजारा देखने को मिलता है। आज हम आपको एक ऐसी ही परंपरा से रूबरू करवाने जा रहे हैं। जिसे वज्रमुष्टि कलगा कहा जाता है।
यहां होती है रियल फाइट
हम बात कर रहे हैं मैसूर के मशहूर दशहरा उत्सव की। इस ऐतिहासिक समारोह का आयोजन मैसूर पैलेस के अलावा कई अन्य जगहों पर किया जाता है। इस पारंपरिक मार्शल आर्ट प्रतियोगिता को वज्रमुष्टि कलागा के नाम से जाना जाता है। हालांकि मार्शल आर्ट की यह प्रतियोगिता अब विलुप्त हो चुका है और केवल दशहरा के दौरान ही इसका आयोजन किया जाता है।
इस खास हथियार से लड़ते हैं प्रतिभागी
प्रतियोगिता के दौरान दर्शकों की जय-जयकार होती है और पहलवान या लड़ाके उत्साह से भरे माहौल में अपना दम दिखाते हैं। 'वज्र मुष्टि' का अर्थ वज्रपात वाली मुट्ठी होता है। इस फाइट में पहलवान दांव पेंच दिखाने के साथ-साथ छोटे धातु के हथियार का उपयोग करते हैं। जिसे नक्कलडस्टर से पहचाना जाता है। यह आमतौर पर जानवरों के सींग या लकड़ी से बना होता है। इसे पहलवान उंगलियों में पहनते हैं।
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सिर से खून निकलने पर घोषित होता है विजेता
खास बात यह है कि इस फाइट में जो पहलवान दूसरे प्रतिद्वंद्वी के सिर से सबसे पहले खून निकालता है, उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है। कई बार तो फाइट सिर्फ 30 सेकंड में खत्म हो जाती है। विजयनगर शासकों के काल में वज्र मुष्टि काफी लोकप्रिय था। जिसे 14वीं और 17वीं शताब्दी के बीच खेला जाता था।
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