8 हजार से 80 हजार रुपये तक कमाई, सॉफ्टवेयर इंजीनियर को पीछे छोड़ दिए युवा डॉग वॉकर
Dog Walkers Earning : आपको अक्सर देखने के लिए मिल जाता होगा कि लोग अपने घरों में पालूत जानवर पालते हैं। कोई गाय, भैंस, बकरी पालता है तो कोई कुत्ता। कोरोना महामारी के दौरान पालतू जानवरों के मालिक वर्क फ्रॉम होम करते थे। उन्हें कंपनी के काम के साथ जूम मीटिंग और घरेलू जिम्मेदारी संभालनी पड़ती थी। ऐसे में कुत्तों को संभालने के लिए डॉग वॉकर की डिमांड काफी बढ़ गई। इसके लिए युवा डॉग वॉकर को भारी भरकम पैसे भी दिए जाते हैं। युवा डॉग वॉकर प्रति महीने 8 हजार से लेकर 80 हजार रुपये तक कमाते हैं।
लॉकडाउन में कोई बाहर आ जा नहीं सकता था। ऐसे में कुत्तों की देखभाल करने वाले लोगों की मांग तेजी से बढ़ी। इसे लेकर द पेट नेस्ट कंपनी के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर चंद्रकांत यादव ने बताया कि उनकी कंपनी 2019 से पालतू जानवरों के मालिकों को कई तरह की सेवा दी रही है। जैसे कुत्तों को टहलाना, उसे नहलाना, समय-समय पर खाना देना और उसकी देखभाल करना। उन्होंने आगे कहा कि यह व्यवस्था भारत में अभी भी कम है, लेकिन अमेरिका, कनाडा और यूके जैसी जगहों पर अधिक है।
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डॉग वॉकर को आउटसोर्स भी करते हैं लोग
डॉग वॉकर वह व्यक्ति होता है, जो प्रतिदिन नियमित रूप से मालिकों की ओर से कुत्तों को सैर के लिए बाहर ले जाता है। वह कुत्तों को एक्टिव रखता है और उन्हें पर्याप्त सामाजिक संपर्क मिले, इसका भी ध्यान रखता है। कुत्तों को टहलाने और उसकी देखभाल की सेवा देने वाली कंपनी स्प्लूट की को-फाउंडर गरिमा कौशल ने कहा कि अब मालिक ऐसे लोगों को चाहते हैं, जो घरेलू काम के साथ कुत्तों की भी देखभाल कर सके। यही वजह है कि कई बार वे डॉग वॉकर को आउटसोर्स करते हैं।
कुत्तों की पूरी देखभाल करने वाले लोग चाहते हैं मालिक
पिंच के को-फाउंडर और सीईओ नितिन मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि जब कोई ग्राहक उनसे जुड़ता है तो यह सिर्फ़ उनके बारे में नहीं होता, बल्कि पूरे परिवार का ख्याल रखा जाता है। कोशिश करते हैं कि उनके पालतू जानवरों को घर के किसी भी अन्य सदस्य की तरह ही कोई व्यक्ति मिले, जो डॉक्टरों के पास ले जाने से लेकर नियमित रूप से तैयार होने तक पालतू जानवरों की देखभाल करे।
पार्ट टाइम में ये काम करते हैं लोग
शोध में पता चला है कि टियर 2 और टियर 3 शहरों में कुत्तों को टहलाना भले ही उतना आम न हो, लेकिन टियर 1 शहरों में मालिक अपने कुत्तों को समय पर टहलाते हैं। पश्चिम बंगाल के रहने वाले 30 वर्षीय अरुण कुमार दास ने कहा कि वे 5 साल पहले दिल्ली आए थे। नौकरी करने के बाद वे नोएडा की एक पॉश सोसायटी के कुत्तों को टहलाते हैं। वे दो बार जाते हैं और तीन से चार कुत्तों को टहलाते हैं। ये उनका पार्ट टाइम काम है।
ऐसे रखे जाते हैं डॉग वॉकर
चंद्रकांत यादव ने बताया कि वे तीन श्रेणियों के लोगों को काम पर रखते हैं। 18 वर्ष से अधिक आयु के छात्र जो पार्ट टाइम इनकम चाहते हैं। दूसरा- पेशेवर जो 9 से 6 बजे तक काम करते हैं। तीसरा- जो एक या दो साल से ये काम कर रहे हैं।
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जानें कितनी होती कमाई
द पेट नेस्ट के चंद्रकांत ने बताया कि उनकी कंपनी कमीशन पर काम करती है। जब कोई डॉग वॉकर जुड़ता है तो उसे कुल पैसे का 80 प्रतिशत मिलता है। वे सिर्फ 20 प्रतिशत लेते हैं। आपको बता कि इस काम में वेतन निर्धारित नहीं है। मुंबई के कुछ हिस्सों में एक कुत्ता घुमाने वाला व्यक्ति 80,000 रुपये प्रति माह से अधिक कमा सकता है, जबकि अन्य क्षेत्रों में यह 8,000 रुपये से भी कम हो सकता है।