चंपई सोरेन को लेकर क्या है BJP की रणनीति? इन 10 पॉइंट्स में समझिए
Former Jharkhand CM Champai Soren: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने रविवार से दिल्ली में डेरा डाला हुआ है। उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच झारखंड की राजनीति गर्माई हुई है। लेकिन अब चंपई ने तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया है। उन्होंने बीजेपी में शामिल होने की अटकलों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि वे निजी काम से दिल्ली आए हैं। न ही वे किसी से मिलने आए हैं। चंपई ने कहा है कि पता नहीं कौन उनके बारे कुछ भी कह रहा है? चुनाव लड़ने की बात पर उन्होंने कहा कि वे अपनी बात रख चुके हैं।
एक सोशल मीडिया पोस्ट में चंपई ने कहा था कि सीएम के रूप में उन्होंने कड़वे अनुभवों को महसूस किया है। जिसके बाद लगने लगा था कि वे झामुमो से अलग हो सकते हैं। उनके बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगने लगी थीं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बीजेपी चंपई को लेकर जल्दबाजी नहीं दिखा रही है। यह पार्टी की खास रणनीति हो सकती है। चंपई सोरेन का फायदा झारखंड में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिल सकता है। आखिर बीजेपी की रणनीति क्या है? आपको 10 खास पॉइंट्स से समझाते हैं।
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- चंपई को शामिल करवाने को लेकर बीजेपी कोई हड़बड़ी नहीं दिखाना चाह रही है। पार्टी उनको लेकर गहन मंथन कर रही है।
- उनको शामिल करवाने से पहले बीजेपी इससे होने वाले फायदे और नुकसान का आकलन कर रही है। क्योंकि झामुमो के कोर वोटर में सेंध आसान नहीं है।
- बीजेपी की प्राथमिकता होगी कि चंपई अपनी पार्टी बनाएं और बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ें। इसको ज्यादा फायदेमंद माना जा रहा है।
- ऐसा नहीं होने पर बीजेपी उनको शामिल करने पर विचार कर सकती है। लेकिन उसके लिए उनको राज्य में अपने लिए विक्टिम कार्ड खेलना होगा। ताकि उनके पक्ष में आदिवासी वोटों का ध्रुवीकरण हो सके।
- विक्टिम कार्ड से मतलब ये है कि अपने कार्यकाल के दौरान किए गए कामों और हेमंत सोरेन द्वारा अचानक हटाए जाने के मुद्दे को लेकर अपने समाज के लोगों के बीच सहानुभूति बटोरें।
- चंपई आज से झारखंड जाकर जेएमएम और खासकर हेमंत सोरेन के खिलाफ माहौल बनाएं। जिससे झामुमो के वोटबैंक में सेंध लग सके।
- एक हफ्ते तक बीजेपी उनकी गतिविधियों को परखेगी कि जमीनी स्तर पर वे कितना प्रभाव दिखा रहे हैं? क्या वाकई उनके पक्ष में माहौल बन रहा है?
- बीजेपी किसी भी तरह से ये नहीं चाहती है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा को तोड़ने का आरोप उसके माथे पर लगे। इससे उसके खिलाफ भी लहर बन सकती है।
- आगे चंपई क्या करेंगे? उनकी रणनीति क्या होगी? कितने नेता उनके साथ आएंगे? उसको देखते हुए भी BJP भविष्य का फैसला लेगी।
- इस पूरे मसले को करीब से हैंडल करने वाले बीजेपी नेता और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा चंपई के रेगुलर टच में हैं। पार्टी के स्थानीय नेताओं की राय भी सुनी जाएगी।