चंपई से बीजेपी को होंगे ये 5 फायदे, हेमंत के खिलाफ बनेंगे हथियार! कोल्हान में बदलेंगे समीकरण
Jharkhand Assembly Election 2024: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन कोयलांचल में कमल खिलाने के लिए कमर कस चुके हैं। सोमवार को दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात के बाद चंपई के भाजपा ज्वॉइन करने की अब औपचारिकता ही बची है। झारखंड के प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने चंपई सोरेन के 30 अगस्त को भाजपा में शामिल होने की जानकारी दी। हिमंता ने कहा था कि वह व्यक्तिगत रूप से चाहते थे कि चंपई सोरेन भाजपा में आएं। चंपई के बीजेपी में आने से पार्टी को ताकत मिलेगी। इस बीच खबर है कि चंपई सोरेन 28 अगस्त को हेमंत सोरेन कैबिनेट से इस्तीफा देंगे।
चंपई ने क्यों चुनी 28 अगस्त की तारीख
दरअसल चंपई सोरेन के 28 अगस्त की तारीख चुनने के पीछे एक बड़ा कारण है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस समय पूरे राज्य का दौरा करके महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री मईयां योजना के तहत लाभार्थी महिलाओं को सम्मान राशि बांट रहे हैं। इसी क्रम में 28 अगस्त को हेमंत सोरेन कोल्हान क्षेत्र के चाईबासा में एक कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। चंपई को कोल्हान क्षेत्र का दिग्गज नेता माना जाता है। और जब हेमंत सोरेन कोल्हान क्षेत्र में होंगे, चंपई सोरेन झामुमो से इस्तीफा देंगे। दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात के बाद चंपई सोरेन को जेड प्लस सुरक्षा दी गई है। जानकारी के मुताबिक चंपई के भाजपा ज्वॉइन करने के बाद अमित शाह चंपई सोरेन के गांव जिलिंगगोड़ा पहुंचेंगे और अभिनंदन समारोह में शामिल होंगे।
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चंपई से बीजेपी को क्या फायदा
1. चंपई सोरेन के बीजेपी में आने से पार्टी कोल्हान क्षेत्र में मजबूत होगी। कोल्हान क्षेत्र झामुमो का गढ़ है। चंपई कोल्हान के बड़े नेता हैं और उनके आने से बीजेपी को विधानसभा चुनावों में फायदा मिल सकता है।
2. चंपई सोरेन झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। झामुमो के बड़े नेता हैं। उनके बीजेपी ज्वॉइन करने से हेमंत सोरेन के खिलाफ चुनाव प्रचार में बीजेपी के पास एक बड़ा कद्दावर नेता होगा, जो सीधे हेमंत सोरेन को टारगेट कर सकता है।
3. हेमंत सोरेन के खिलाफ चंपई सोरेन भाजपा के स्टार प्रचारक की भूमिका में होंगे। चुनाव से कुछ समय पहले ही उन्होंने सीएम पद छोड़ा है। ऐसे में हेमंत सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चंपई सोरेन तीखा हमला बोल सकते हैं।
4. चंपई सोरेन संताली आदिवासी हैं। सोरेन परिवार की ताकत यही आदिवासी समूह है। चाहे वह संताल का इलाका हो या कोल्हान का, संताली आदिवासियों का वोट ही झामुमो की ताकत है। चंपई के बीजेपी में आने से संताली वोटर भाजपा का रुख कर सकते हैं।
5. स्टार प्रचारक के तौर पर चंपई सोरेन सरायकेला से दुमका तक आदिवासी वोटरों को साध सकते हैं। बतौर सीएम उन्होंने खुद की छवि बनाई है। उनके समर्थकों का नया वर्ग पनपा है। अब देखना ये है कि बीजेपी में जाने पर चंपई को संताली आदिवासियों का कितना समर्थन मिलता है।