छोटी उम्र में नहीं रहे पिता, झूठे बर्तन धोए, विदेशी जॉब को ठुकरा IPS बनीं Ilma Afroz
IPS Ilma Afroz Success Story On International Women's Day 2025: छोटी सी उम्र में पिता को खो दिया लेकिन हौसला बुलंद रहा। जिस बेटी की अम्मी ने सच्चाई ईमानदारी और पिता ने उसे उसकी जड़ों से जोड़े रखा। छोटे से गांव कुंदरकी में पली बढ़ी लड़की ने बड़े सपने देखना नहीं छोड़ा। उसने स्कॉलरशिप लेकर दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से लंदन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी तक सिर्फ ज्ञान ही ज्ञान बटोरा। विदेशी नौकरी को ठुकरा, हिंदुस्तान के लिए कुछ करने का पक्का इरादा किया और देश की सेवा के लिए IPS बनीं। हम बात कर रहे हैं इल्मा अफरोज की। महिला दिवस के मौके पर आज हम देश की आन-बान और शान इल्मा अफरोज के हौसले की दास्तान सुनाने जा रहे हैं वो भी उन्हीं की जुबानी।
बचपन में हुआ पिता का निधन
सादगी की मूरत इल्मा अफरोज के संघर्ष की कहानी बहुत ही इमोशनल है। जिंदगी विथ रिचा में इल्मा ने शिरकत की थी और वहां उन्होंने बताया था सिर्फ 11 साल की उम्र में उनके पिता का देहांत हो गया। ऐसे में हंसता-खेलता परिवार टूट कर बिखर गया। ऐसा लगा कि जैसे सिर के ऊपर से छत ही छिन गई हो। वो पिता जिन्होंने बेटी को बड़े सपने देखने सिखाये, वो पिता जिन्होंने तपती गर्मी में खेत में ले जाकर उन्हें जिंदगी की वो बारीकियां सिखाई जो उनके लिए सफलता की सीढ़ी बनीं।
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मां ने सिखाया जिंदगी का सबसे अहम सबक
इल्मा ने बताया कि पिता के इंतकाल के बाद आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। लेकिन मां ने कभी भी हिम्मत नहीं हारी और अपने बच्चों को पढ़ाया और उन्हें सिखाया कि हमेशा ईमानदारी की राह पर चलना। इल्मा से जब पूछा गया कि एक मुस्लिम परिवार से आने वाली लड़की के लिए पढ़ाई करना कितना मुश्किल था, जब उनके पिता भी नहीं रहे? इस पर इल्मा ने कहा कि बहुत मुश्किल था, पड़ोसी से लेकर रिश्तेदार तक यही कहते थे कि लड़की को पढ़ाकर क्या करेगी वो तो पराया धन है। लेकिन मां ने कभी भी किसी की परवाह नहीं की और बेटी और बेटे को पढ़ाया। गरीबी में पली बढ़ी इल्मा पढ़ाई में इतनी होशियार थीं कि उन्हें सेंट स्टीफन कॉलेज से लेकर लंदन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी तक स्कॉलरशिप लेकर पढ़ीं।
झूठे बर्तन साफ कर चलाया खर्च
इल्मा ने बताया कि पढ़ाई के लिए तो उन्हें स्कॉलरशिप मिली। लेकिन बाकी खर्च तो खुद निकालने होते थे। लंदन में ठंड भी बहुत पड़ती है ऐसे में कपड़े तक लेने के लिए पैसे नहीं थे। उन्होंने अपना खर्च निकालने के लिए झूठे बर्तन साफ किए। बच्चे पढ़ाए और भी कई छोटे-मोटे काम किए। इल्मा का कहना था कि काम कोई भी छोटा नहीं होता, बस वो कोई क्राइम न हो।
भाई ने दिया IPS बनने का हौसला
इल्मा ने बताया कि वो अपनी आगे की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति ले लंदन पढ़ने के लिए गईं। वहां उन्हें जॉब भी ऑफर हुई। लेकिन पिता ने सिखाया था कि हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहना है। ऐसे में उन्हें अपने देश अपनों के पास वापस आना था और देश के लिए कुछ करना था। लेकिन कभी यूपीएससी के बारे में नहीं सोचा था। भाई ने अपनी बहन का हौसला बढ़ाया और उसे यूपीएससी का पेपर देने के लिए प्रेरित किया। इल्मा ने बताया की आज वो जो भी है उसके पीछे उनकी मां और भाई का बहुत बड़ा हाथ है। पिता की सीथ काम आई और कभी भी मुश्किलों से हार नहीं मानी।
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