whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.
Advertisement

न जड़ सूखती है, न पत्ते झड़ते हैं, यह पेड़ सालभर रहता है हरा

Ever Green Tree: कभी आपने ऐसा पेड़ देखा है जो हमेशा हरा-भरा रहता है, न उसकी जड़ें सूखती हैं, न ही पत्ते झड़ते हैं? आइए जानते हैं इस पेड़ के बारे में कुछ खास बातें, जो इसे अद्भुत बनाती हैं।
06:18 PM Jan 30, 2025 IST | Ashutosh Ojha
न जड़ सूखती है  न पत्ते झड़ते हैं  यह पेड़ सालभर रहता है हरा
Khejri Tree

Ever Green Tree: राजस्थान और गुजरात के रेगिस्तानी इलाकों में एक ऐसा पेड़ है, जो गर्मी, सूखा, और अकाल के बावजूद कभी नहीं सूखता। यह पेड़ हमेशा हरा-भरा रहता है और इसके नीचे रहने वालों के लिए यह जीवन का सहारा बनता है। रेगिस्तान में इसकी छांव और इसके फल, फूल, पत्ते, लकड़ी सबकुछ जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। क्या आप जानते हैं, इस पेड़ ने एक समय अकाल के दौरान इंसानों और जानवरों का पेट भी भरा था? आइए जानते हैं इस अद्भुत पेड़ के बारे में...

Advertisement

Khejri Tree

इस पेड़ का क्या नाम है

दुनिया में एक ऐसा पेड़ है, जो गर्मी या अकाल के बावजूद कभी नहीं सूखता। यह पेड़ हमेशा हरा-भरा रहता है और इसके पत्ते पूरे साल निकलते रहते हैं। इस पेड़ का नाम है खेजड़ी, जिसे शमी के पेड़ भी कहते हैं। यह पेड़ खासतौर पर राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे रेगिस्तानी इलाकों में पाया जाता है। खेजड़ी का पेड़ न केवल प्राकृतिक रूप से हरा-भरा रहता है, बल्कि यह रेगिस्तान में रहने वाले लोगों और जानवरों के लिए जीवनदायिनी साबित होता है।

Advertisement

Khejri Tree

Advertisement

खेजड़ी का महत्व रेगिस्तानी इलाकों में

खेजड़ी के पेड़ का महत्व रेगिस्तान में रहने वाले लोगों के लिए अत्यधिक है। चाहे गर्मी कितनी भी बढ़ जाए, यह पेड़ धूप से बचने का ठिकाना देता है और उसके नीचे छांव मिलती है। इसके फल, फूल और पत्ते लोग खाते हैं। खेजड़ी के फूल को मींझर और फल को सांगरी कहा जाता है, जो खासतौर पर सब्जी बनाने में इस्तेमाल होते हैं। जब फल सूखकर खोखा बन जाते हैं, तो इसे मेवा के रूप में खाया जाता है। इसके अलावा, खेजड़ी के पेड़ की लकड़ी भी बहुत मजबूत होती है, जो जलाने और फर्नीचर बनाने के काम आती है।

Khejri Tree

अकाल के समय खेजड़ी का योगदान

अकाल के समय, खेजड़ी के पेड़ ने रेगिस्तान के लोगों को बहुत मदद दी है। 1899 में छपनिया अकाल के दौरान लोग इस पेड़ के तनों के छिलके, फूल और फल खाकर जिंदा रहे थे। इसके अलावा, खेजड़ी के पेड़ के नीचे अनाज की पैदावार भी ज्यादा होती है, जिससे किसानों को फायदा होता है। इस पेड़ के महत्व को देखते हुए यह कहा जाता है कि रेगिस्तान में खेजड़ी का पेड़ जीवन का सहारा है।

Khejri Tree

खेजड़ी पेड़ की रक्षा में बलिदान

इस पेड़ को बचाने के लिए एक प्रचलित कहानी भी है। सन् 1730 में, जोधपुर के महाराजा अभय सिंह ने खेजड़ी के पेड़ों को काटने का आदेश दिया था। लेकिन खेजड़ली गांव की अमृता देवी और उनके परिवार ने इन पेड़ों की रक्षा के लिए अपनी जान दे दी। उनके बलिदान को देखकर गांव के 363 लोगों ने भी अपनी जान दी, ताकि खेजड़ी के पेड़ बच सके। इस घटना को आज भी लोग श्रद्धा से याद करते हैं और यह दर्शाता है कि खेजड़ी के पेड़ का जीवन में कितना महत्व है।

Open in App Tags :
Advertisement
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो