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ब्यूटी प्रोडक्ट से भी कैंसर का खतरा, एक हजार महिलाओं ने कंपनियों पर किया केस

Beauty Products And Cancer: ज्यादातर ब्यूटी प्रोडक्ट्स में कुछ ऐसे केमिकल्स होते हैं, जो हमारी सेहत के लिए बिल्कुल भी सेफ नहीं होते हैं। अगर कोई लंबे टाइम तक ऐसे प्रोडक्ट्स का यूज करते हैं, तो हार्मोनल में गड़बड़ी से लेकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है। 
12:23 PM Jun 11, 2024 IST | Deepti Sharma
ब्यूटी प्रोडक्ट से कैंसर का खतरा Image Credit: Freepik
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Beauty Products And Cancer: बच्चे, किशोर, युवा, बुजुर्ग, महिला, पुरुष...हर किसी में बेहतर और सुंदर दिखने की चाह होती है और इसी कमजोरी का फायदा उठाती हैं ये कुछ ब्यूटी प्रोडक्ट कंपनियां। ये अक्सर ब्यूटी प्रोडक्ट के नाम पर आपको कई गंभीर बीमारियां दे सकती हैं, जिसका आपको अंदाजा भी नहीं होता है। इसी के चलते  इनका बिजनेस इस कदर फल-फूल रहा है कि इसके चलते सेहत से जुड़ी समस्याएं को लगातार अनदेखी हो रही है। इसी में जॉनसन एंड जॉनसन, एस्टी लॉडर एंड एवॉन जैसी कई बड़ी कॉस्मेटिक कंपनियों पर अमेरिका में हजारों महिलाओं ने केस कर दिया है।

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इन कंपनियों के ब्यूटी प्रोडक्ट की वजह से उन्हें मेसोथेलियोमा कैंसर हो गया है। दरअसल, इन कंपनियों के ब्यूटी प्रोडक्ट्स में एस्बेस्टस होता है, जिससे कैंसर का खतरा होता है। कंपनियां इसके बारे में अपने कस्टमर को नहीं बतातीं हैं। क्लिनिक ब्रांड वाली एस्टी लॉडर ने तो अपने प्रोडक्ट में एस्बेस्टस होने से साफ मना कर दिया, जबकि उस पर इस मामले में कोर्ट में कई मामले चल रहे हैं। कई में उसने समझौते किए हैं। खासतौर पर टैल्कम बेस्ड ब्यूटी प्रोडक्ट में इसकी मात्रा सबसे ज्यादा होती है।

ये फाउंडेशन, मस्कारा, लिपस्टिक से लेकर ड्राई शैंपू तक सब में होते हैं। दरअसल, टॉल्क नमी सोख लेता है और ब्यूटी प्रोडक्ट्स को खराब होने से रोकता है। यह खनिज जमीन से निकाला जाता है, लेकिन ज्यादातर जगहों पर इसमें एस्बेस्टस घुला रहता है। यही एस्बेस्टस हमारे शरीर में आ जाता है। जिन ब्यूटी प्रोडक्ट्स में टैल्कम मिलाया जाता है, उसमें एस्बेस्टस की मात्रा होने से ये सेहत के लिए खतरनाक हो जाते हैं।

हालांकि, ऐसे ब्यूटी प्रोडक्ट इस्तेमाल करने वाले सभी लोगों को मेसोथेलियोमा कैंसर नहीं होता, क्योंकि टॉल्क में एस्बेस्टस की मात्रा अलग-अलग होती है। यह इस पर निर्भर करता है उसका खनन कहां से हुआ है। यही कारण है कि जांच में भी कई कंपनियां बच जाती हैं। इसके कारण कई महिलाओं को ओवेरियन कैंसर भी हो गया है। हाल ही में प्रकाशित ब्रिटिश मेडिकल मनोविज्ञान टेस बर्ड और अमेरिका क्लिनिकल प्रोफेसर डेविड एजिलमैन की रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले मिनरल टॉल्क एस्बेस्टस फ्री नहीं हो सकता। उसकी मात्रा कम या ज्यादा हो सकती है। इसीलिए कंपनियां इसको टेस्ट करने के लिए एक्स-रे मेथड का इस्तेमाल करती हैं। इस तरीके से एस्बेस्टस की मात्रा बहुत ही ज्यादा होने पर पकड़ में आती है।

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एस्बेस्टस क्या है?

एस्बेस्टस एक मिनरल है जो चट्टान और मिट्टी में पाया जाता है। यह लंबे, पतले और रेशेदार क्रिस्टल से बना होता है। एस्बेस्टस के रेशे इतने छोटे होते हैं कि उन्हें देखने के लिए माइक्रोस्कोप की जरूरत होती है। एस्बेस्टस को सांस के साथ अंदर लेने या निगलने से शरीर में फाइबर फंस जाते हैं। दशकों तक फंसे एस्बेस्टस फाइबर सूजन, घाव और कैंसर का कारण बन सकते हैं। एस्बेस्टस के संपर्क में आना मेसोथेलियोमा का सबसे पहला कारण है। एस्बेस्टस के कारण एस्बेस्टस नामक फेफड़ों की बीमारी भी होती है। यह खनिज मुख्य रूप से रूस, कजाकिस्तान और चीन से आता है। यह जहरीला खनिज कभी पूरे उत्तरी अमेरिका में खनन किया जाता था।

कॉस्मेटिक कंपनियां खुद रिसर्च की फंडिंग करती हैं

कॉस्मेटिक कंपनियों ने डॉक्टरों का पैनल बना लिया है। ये पैनल दुनिया भर में टॉल्क मिनरल्स पर हो रहे ऐसे रिसर्च को गलत बताता है, जिसमें कॉस्मेटिक कंपनियां कठघरे में आती हैं। इसके लिए वे रिसर्च पर ही सवाल खड़े करते हैं। यहां तक कि कंपनियां अपनी पार्टी में रिसर्च को फंडिंग कर रही हैं। वे खुद भी ऐसे रिसर्च पेपर जारी कर रहे हैं, जिसमें कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स को पूरी तरह सेफ माना जा रहा है।

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