खेलवीडियोधर्म
मनोरंजन | मनोरंजन.मूवी रिव्यूभोजपुरीबॉलीवुडटेलीविजनओटीटी
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियास्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस

एक से ज्यादा अलार्म लगाकर जागना पड़ सकता है महंगा, मेमोरी-क्रिएटिविटी पर पड़ता है असर

Multiple Alarms Is Bad For Health: सुबह-सुबह बेड छोड़ना भला किसको पसंद है, लेकिन घर के काम, ऑफिस और स्कूल-कॉलेज के लिए नींद से जगना ही पड़ता है। ऐसे में अगर आप सारे अलार्म सेट करके सोते हैं, तो ये सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।   
02:42 PM Jun 30, 2024 IST | Deepti Sharma
Advertisement
Multiple Alarms Is Bad For Health: सुबह उठने के लिए हर कोई अलार्म लगाकर सोते हैं। आपको कहीं भी समय से पहुंचने के लिए नींद से जगना जरूरी है। कई लोगों को टाइम से उठने की आदत होती है, लेकिन कुछ लोगों को नहीं होती है। इसलिए ज्यादातर कई सारे अलार्म लगाकर सोते हैं। क्योंकि लगभग सभी लोगों की नींद अलार्म से ही खुलती है, लेकिन क्या आपको पता है कि सुबह-सुबह कई सारे अलार्म की आवाज आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है।

अगर आपको सुबह उठने के लिए एक से ज्यादा अलार्म लगाने पड़ते हैं तो यह आपके दिमाग के लिए अच्छी बात नहीं है। इससे दिमाग की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। दरअसल, अधिकतर लोग जागने के तय समय से पहले 8-10 मिनट के अंतराल के 3 से 4 अलार्म लगाते हैं।

Advertisement

अमेरिका के न्यूरोलॉजिस्ट ब्रैंडन पीटर्स के मुताबिक, कई अलार्म लगाकर उठना और दोबारा झपकी लेना भले अच्छा लगता हो, लेकिन ये नींद की गुणवत्ता को खराब और कमजोर करता है। ऐसे लोग ज्यादातर समय नींद सही से ले नहीं पाते हैं। दरअसल, नींद के अंतिम घंटों में लोग आमतौर पर स्लीप साइकल के चौथे और आखिरी स्टेज में होते हैं, जिसे रैपिड आई मूवमेंट (Rapid Eye Movement) स्लीप के रूप में जाना जाता है। नींद में आरईएम मेमोरी और क्रिएटिविटी के लिए जरूरी है। नींद के इस चरण में खलल पड़ने से दिमाग पर असर हो सकता है। पीटर्स कहते हैं कि इसलिए एक अलार्म लगाना चाहिए, जिससे जागने तक गहरी नींद बिना रुकावट जारी रहे।

रोज एक समय सोना और जागना मददगार

स्लीप डिसऑर्डर की थेरेपिस्ट एलिशिया रॉथ बताती हैं कि जागने के लिए एक अलार्म सबसे अच्छा है। हालांकि, कुछ लोगों के लिए ऐसा कर पाना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में इस तरह की अलार्म घड़ियों का यूज करें, उन्हें बंद करने के लिए बिस्तर से बाहर निकलना पड़े। इसके अलावा अपनी सोने की आदतों का आकलन करें। एक ही समय सोने जाना और जागना मददगार साबित हो सकता है।

Advertisement

जागते समय सोचने की घटती है क्षमता 

नींद से जुड़े डिसऑर्डर के कारण कुछ लोगों को जागने के लिए एक से ज्यादा अलार्म की जरूरत पड़ सकती है। इन डिसऑर्डर में जागते समय धीमी प्रतिक्रिया, अस्थायी तौर पर कम याददाश्त और सोचने की क्षमता के साथ-साथ मूड में बदलाव शामिल है, जिससे नींद से बाहर निकलना कठिन हो जाता है। ऐसी कंडीशन में व्यक्ति अलार्म बजने पर उसे बंद करने के लिए जागने के बाद दोबारा सो जाता है।

ये भी पढ़ें-  जोड़ों को मजबूत बनाते हैं ये 4 योगासन, दर्द कम करने के साथ-साथ मसल्स होंगे ठीक

Advertisement
Tags :
lifestyle news
वेब स्टोरी
Advertisement
Advertisement