होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

ग्वालियर में शिक्षकों को मिली अनोखी ड्यूटी, भीख मांगने वाले बच्चों की होगी तलाश, 9 घंटे की जॉब

Gwalior Teachers to Find Beggars Child: सड़कों पर घूमकर भीख मांगने वाले बच्चों के लिए मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक नई मुहिम शुरू हुई है। ग्वालियर के जिला शिक्षा अधिकारी ने भीख मांगने वाले बच्चों को ढूंढने के लिए शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी है।
11:37 AM May 27, 2024 IST | Sakshi Pandey
Advertisement

Gwalior Teachers to Find Beggars Children: बच्चों को भीख मांगते हुए देखना बेहद दुखद अनुभव होता है। ट्रैफिक लाइट से लेकर सड़कों और रेलवे स्टेशनों पर कई बच्चे भीख मांगते दिखाई देते हैं। हालांकि सरकार ने बच्चों में बढ़ती भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए कई कानून पास किए हैं। मगर इसके बावजूद भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के ग्लावियर से एक बड़ी खबर सामने आई है। ग्वालियर के जिला शिक्षा अधिकारी ने शिक्षकों की ड्यूटी भिखारियों को ढूंढने में लगा दी है।

Advertisement

जिला शिक्षा अधिकारी का आदेश

दरअसल महिला बाल विकास विभाग ने बच्चों की बढ़ती भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए नया अभियान शुरू किया है। जिसके तहत ग्लावियर के जिला शिक्षा अधिकारी ने एक आदेश जारी कर दिया है। इस आदेश के तहत शिक्षकों को भीख मांगने वाले बच्चों की तलाश करनी है और उनके पुर्ननिवास का इंतजाम करके मुख्यधारा में लाने की बात कही कई है।

Advertisement

शिक्षकों में गुस्सा

इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारी ने औपचारिक पत्र जारी किया है। जिसके अनुसार सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक शिक्षकों को भीख मांगने वाले बच्चों को तलाशने की ड्यूटी मिली है। बेशक प्रशासन की ये पहल सराहनीय है। मगर इस फैसले से शिक्षकों में गहरा रोष देखने को मिल रहा है। कड़ाके की गर्मी और चिलचिलाती धूप में धूम-धूम कर बच्चों की तलाश करना शिक्षकों के लिए आसान नहीं है। 9 घंटे की ये नई ड्यूटी शिक्षकों के लिए मुसीबत बन गई है।

संविधान ने दिया अधिकार

बता दें कि भारतीय संविधान में भी 14 साल तक के बच्चों को पढ़ने का अधिकार प्राप्त है। 'शिक्षा का अधिकार' (Right to Education) पहले राज्य के नीति निदेशक तत्व के अनुच्छेद 45 में रखा गया था, जिसे मानने के लिए सरकारें बाध्य नहीं थीं। हालांकि 2002 में 86वें संविधान संशोधन के तहत 'शिक्षा के अधिकार' को मूल अधिकार (Fundamental Rights) बनाया गया। ऐसे में अनुच्छेद 21 ए के अंतर्गत 6 से 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा का अधिकार प्राप्त है। इसी कड़ी में 2009 में सरकार ने शिक्षा का अधिकार एक्ट (Right to Education Act) को भी हरी झंडी दिखा दी थी।

Open in App
Advertisement
Tags :
Gwalior NewsMadhya Pradesh News
Advertisement
Advertisement