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सुहागरात को पत्नी ने शारीरिक संबंध न बनाए तो कोर्ट पहुंचा पति, 11 साल बाद आया फैसला

Madhya Pradesh News: एमपी हाई कोर्ट ने 11 साल बाद पति के पक्ष में फैसला लेते हुए कहा कि पत्नी का शारीरिक संबंध से मना करना पति के लिए मानसिक क्रूरता की निशानी है। आइए जान लेते हैं क्या है पूरा मामला.. 
06:05 PM Jun 21, 2024 IST | Deepti Sharma
एमपी हाई कोर्ट का फैसला
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Madhya Pradesh News: हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला लेते हुए एक महिला के द्वारा शादी के बाद संबंध बनाने से मना करना पति के लिए मानसिक क्रूरता को दिखाती है। कार्यवाहक की मुख्य जज शील नागू और जस्टिस अमरनाथ केशरवानी की पीठ ने तलाक के लिए पति के आवेदन को अनुमति देने वाले एक फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की। फैमिली कोर्ट के आदेश को लेकर इसके खिलाफ महिला ने हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की थी।

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क्या है पूरा मामला 

दरअसल ये मामला तब सामने खुलकर आया जब पत्नी के द्वारा क्रूरता के आधार पर जनवरी 2018 में तलाक के लिए याचिका दायर की थी। याचिका में पति ने कहा था कि शादी 2013 में ही हुई थी, लेकिन पहली रात से ही पत्नी ने उससे शारीरिक संबंध बनाने से साफ मना कर दिया था। पति ने बताया कि वह उसे पसंद नहीं करती थी। इसके अलावा मां-बाप के प्रेशर में महिला ने शादी की थी। महिला को उसके भाई ने परीक्षा दिलवाने के बहाने उसे घर वापस लेकर चला गया। जब महिला का पति उसे वापस ले जाने के लिए ससुराल गया तो माता पिता ने भेजने से मना कर दिया। तब के बाद से उसकी पत्नी घर वापस नहीं आई।

पत्नी ने लगाए ये आरोप 

वहीं, दूसरी और महिला ने पति के घरवालों पर आरोप लगाया है कि शादी के बाद उसका पति और उसकी फैमिली वाले उसे प्रताड़ित करते थे। यहां तक की दहेज की मांग करते थे। इसलिए वो वापस ससुराल नहीं गई। इन्ही सारे आधार पर पति द्वारा दायर तलाक की याचिका को लेकर खारिज करने की मांग की और कहा कि वह अपने पति के साथ वापस जाने को तैयार है।

इस मामले पर फैमिली कोर्ट के जज ने दोनों पक्षों की दलील सुनकर तलाक का आदेश पारित कर दिया। फिर इसके बाद महिला ने फैमिली कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी और कहा कि पति के खराब रवैया के चलते वो अपने माता पिता के साथ रहती थी, उसने अपने पति का साथ नहीं छोड़ा था।

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कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया 

इस पूरे मामले पर पति के द्वारा दायर याचिका को पत्नी ने खारिज करने की मांग की। चीफ जस्टिस ने दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद तलाक के आदेश को पारित कर दिया। अब महिला ने हाई कोर्ट में चुनौती दी और बताया कि दहेज की मांग के चलते वह अपने पति और उसके परिवार वालों के खराब व्यवहार की वजह से वो अपने मां-बाप के साथ उनके घर पर रह रही है।

उधर, पति के अनुसार, उसकी पत्नी ने उसके खिलाफ दहेज का झूठा मामला दर्ज करवाया है। शादी के बाद केवल 3 दिनों के लिए अपने वैवाहिक घर में रही और उसके बाद उसने बिना किसी कारण ससुराल घर छोड़ दिया। तब से दोनों अलग रह रहे हैं। इसलिए फैमिली कोर्ट ने इस मामले पर जो फैसला लिया है वो ठीक था।

मामले के रिकॉर्ड और पक्षों द्वारा दी गई दलीलों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने कहा यह भी कहा कि उसने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सीधी (म.प्र.) की अदालत के सामने स्वीकार किया था कि दोनों के बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं बने थे।

कोर्ट ने ये भी कहा कि महिला के पति की कही हुई बातें सच साबित हो गई कि पहली रात को महिला ने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से साफ मना कर दिया था।

कोर्ट ने कहा कि यह साफ हो गया है कि पत्नी अपने ससुराल में बस 3 दिन के लिए रही। इस दौरान दोनों के बीच कोई संबंध नहीं बने। तब से इस मामले को करीब 11 साल हो गए। ऐसे में फैमिली कोर्ट के फैसले और आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं हैं। कोर्ट ने इसी बात को लेकर पत्नी की अपील खारिज कर दी।

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