'महाकवि कालिदास की रचनाएं हमारे देश की अमूल्य धरोहर', MP में बोले उप राष्ट्रपति धनखड़
Kalidas Samaroh In Madhya Pradesh: उप राष्ट्रपति धनखड ने 66 वें भव्य अखिल भारतीय कालिदास समारोह का विद्वतजनों की उपस्थिति में गरिमामय शुभारंभ किया। समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने की। मुख्यमंत्री मोहन यादव की समारोह में गरिमामय मौजूदगी रही।
उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि अद्भुत प्रतिभा के धनी महाकवि कालिदास की अमर कृतियां मानव तथा प्रकृति के अटूट संबंधों का अनुपम उदाहरण है। महाकवि की रचनाएं देश की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर हैं।
अखिल भारतीय कालिदास समारोह के गरिमामय आयोजन द्वारा मप्र शासन हमारी संस्कृति और विरासत को सेव और प्रिजर्व करने का सराहनीय काम कर रहा है। महाकवि कालिदास की रचनाएं हमारे जीवन मूल्यों को सदैव प्रेरित करती रहेंगी।
इस अवसर पर सारस्वत अतिथि के रुप में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास अयोध्या के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरीजी महाराज मौजूद थे। सांसद अनिल फिरोजिया, संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र सिंह लोधी, कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री गौतम टेटवाल भी मंचासीन थे।
उप राष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि महाकवि कालिदास की अमर कृतियां मानवीय भावों को अद्भुत रूप से प्रदर्शित करती है और मानवीय मूल्य के लिए सदैव प्रेरणा स्रोत है। महाकवि कालिदास की रचनाओं में मानव तथा प्रकृति के बीच अद्भुत और अटूट संबंध देखने को मिलता है।
पृथ्वी को बचाना है- उप राष्ट्रपति धनखड़
महाकवि कालिदास ने अपनी रचनाओं में एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन का संदेश दिया है जो सदैव प्रासंगिक है। मेघदूतम जैसी उनकी कालजयी रचनाओं से प्रेरणा लेकर हमें अपनी पृथ्वी को बचाना होगा। पर्यावरण-संरक्षण, जलवायु-संरक्षण की दिशा में गंभीरता से प्रयास करने होंगे, क्योंकि रहने के लिए कोई दूसरी पृथ्वी उपलब्ध नहीं है।
उप राष्ट्रपति धनखड़ ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि अखिल भारतीय कालिदास समारोह हमारी सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। इस गरिमामय आयोजन के लिए मध्यप्रदेश शासन और मुख्यमंत्री मोहन यादव साधुवाद के पात्र हैं। राज्य शासन द्वारा कला, साहित्य और संस्कृति के संरक्षण में योगदान दिया जा रहा है।
उप राष्ट्रपति ने देश की सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने का आहवान करते हुए कहा कि हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत और धरोहरों को सदैव संभालकर रखना होगा। देश की सांस्कृतिक विरासत अत्यन्त प्राचीन है, हमारी संस्कृति की जड़े अत्यंत गहरी हैं, जो जीवन के उद्देश्य को बताती हैं।
उप राष्ट्रपति ने अपने उद्बोधन में कुटुंब प्रबंधन पर जोर देते हुए कहा कि कुटुंब प्रबंधन पर ध्यान देने से ही राष्ट्र का भी ध्यान हमारे मन-मस्तिष्क में सदैव रहेगा। अपने बच्चों के चारित्रिक और नैतिक विकास के लिए भी सदैव गंभीर रहना होगा। हमारे बच्चे अच्छे नागरिक बने, राष्ट्र निर्माण के साथ अपने कर्तव्यों का पूर्णता से निर्वहन करें।
प्रत्येक नागरिक को अपना कर्तव्य निभाना है- उप राष्ट्रपति धनखड़
हम सबको मिलकर नागरिक दायित्वों का निर्वहन करना होगा। भारतीयता हमारी पहचान है, राष्ट्र सर्वोपरि है, इसके लिए नागरिक कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए प्रत्येक नागरिक को अपनी आहुति देना होगी। नारी सशक्तिकरण का जिक्र करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि महाकवि कालिदास की रचनाएं नारी सशक्तिकरण का महत्वपूर्ण उदाहरण है। उनकी रचना अभिज्ञान शाकुंतलम् को संदर्भ के रूप में देखा जा सकता है।
उप राष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में प्रत्येक व्यक्ति के पास अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन का अवसर है। देश में तकनीक का विकास सारी दुनिया को अचंभित कर रहा है। पर्यावरण-संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री द्वारा “एक पेड़ मां के नाम’’ अभियान संचालित किया गया है। यह अभियान वैसी ही क्रांति लाएगा जैसी स्वच्छता के क्षेत्र में आई है। आने वाले वर्ष 2047 में हमारा भारत दुनिया का सिरमौर बनेगा।
कार्यक्रम में अखिल भारतीय कालिदास सम्मान से अलंकृत होने वाली प्रतिभाओं को बधाई देते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि इन प्रतिभाशाली व्यक्तियों के द्वारा हमारी संस्कृति के श्रेष्ठ तत्वों को सहेजने के साथ प्रदर्शित करने का श्रेष्ठ कार्य किया जा रहा है।
उप राष्ट्रपति ने अवंतिका नगरी के पौराणिक, आध्यात्मिक, धार्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उज्जैन में भगवान श्री कृष्ण ने सांदीपनि आश्रम में शिक्षा ग्रहण की है। यहां कालिदास और भृतहरि को ज्ञान का प्रकाश मिला है।
सम्राट विक्रमादित्य के जग प्रसिद्ध न्याय का आदर्श उदाहरण उज्जैन है। उप राष्ट्रपति ने कहा कि वे खुद उज्जैन आकर धन्य हुए हैं। यहां से प्राप्त अद्भुत अनुभव को जीवनभर संजोकर रखेंगे, यहां से एक नई ऊर्जा मिली है।
सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत करने का सराहनीय प्रयास
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि आध्यात्मिक चेतना के केंद्र उज्जैन में उप राष्ट्रपति धनखड़ का हृदय से स्वागत है। उनकी उपस्थिति ने आयोजन को और अधिक भव्यता प्रदान की है। राज्यपाल ने कहा कि अखिल भारतीय कालिदास समारोह के माध्यम से महाकवि कालिदास की महान रचनाओं तथा सांस्कृतिक विरासत को विश्व पटल पर प्रस्तुत करने का सराहनीय प्रयास किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि एक महत्वपूर्ण गौरवशाली परंपरा के रूप में उज्जैन में अखिल भारतीय कालिदास समारोह का आयोजन किया जाता रहा है। इस समारोह में विभिन्न क्षेत्रों की जिन प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया है वे बधाई की पात्र हैं। उज्जैन आगमन पर उप राष्ट्रपति का हृदय से स्वागत एवं अभिनंदन है।
मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि महाकवि कालिदास और विक्रमादित्य की उज्जयैनी नगरी का प्रत्येक काल और युग में सदैव अस्तित्व रहा है। कई जन्मों के पुण्य, फलों के बाद हमें यह गौरव मिला है कि यहां आकर कुछ समय बिताएं।
उप राष्ट्रपति ने आज अखिल भारतीय कालिदास समारोह का शुभारम्भ कर समारोह के गौरव में अभिवृद्धि की है। हम सबका यह सौभाग्य है कि इस समारोह के आयोजन का अवसर उज्जैन को सदैव मिलता है। मुख्यमंत्री ने समारोह के सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं।
समारोह में स्वामी गोविंददेव गिरी ने अपने उद्बोधन में महाकवि कालिदास के व्यक्तित्व और कृतित्व का वर्णन करते हुए कहा कि ऐसा कोई अन्य कवि विश्व में नहीं हो सकता जिसकी महाकवि कालिदास से तुलना की जा सके, कालिदास अद्भुत और अनुपम है। स्वामीजी ने अपने उद्बोधन में कालिदास की अलग-अलग रचनाओं का वर्णन करते हुए महाकवि द्वारा रचित साहित्य को अमूल्य बताया।
उप राष्ट्रपति धनखड़ ने दीप प्रज्ज्वलन तथा महाकवि कालिदास के चित्र पर माल्यार्पण कर समारोह का शुभारंभ किया। समारोह में राष्ट्रगान भी हुआ। मुख्यमंत्री यादव द्वारा उप राष्ट्रपति का पुष्पहार से स्वागत किया गया। कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति को स्मृति चिन्ह भी भेंट किया गया। समारोह का प्रारंभ सरस्वती वंदना से हुआ। कार्यक्रम का संचालन वृंदा अजमेरा ने किया।
विभूतियों को किया राष्ट्रीय कालिदास सम्मान से अलंकृत
उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने समारोह में अलग-अलग क्षेत्रों में योगदान देने वाली विभूतियों को राष्ट्रीय कालिदास सम्मान अलंकरण से सम्मानित किया। शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में साल 2022 के लिए पंडित उदय भवालकर पुणे तथा संध्या पूरेचा मुंबई और साल 2023 के लिए पं. अरविंद पारीख मुंबई को सम्मानित किया गया। रुपंकर कलाएं साल 2022 के लिए पीआर दारोच नई दिल्ली, रुपंकर कलाएं साल 2023 के लिए रघुपति भट्ट मैसूर, रंगकर्म साल 2022 के लिए भानु भारती अजमेर, रंगकर्म साल 2023 के लिए रुद्रप्रसाद सेनगुप्ता कोलकाता को सम्मानित किया गया।
शास्त्रीय नृत्य के लिए गुरु कलावती देवी मणीपुर सम्मानित की गई। इसके अलावा इंदौर के आचार्य मिथिलाप्रसाद त्रिपाठी राष्ट्रीय कालिदास श्रेष्ठ कृति अलंकरण एवं ग्वालियर के आचार्य बालकृष्ण शर्मा को प्रादेशिक भोज श्रेष्ठ कृति अलंकरण से सम्मानित किया गया।
उप राष्ट्रपति ने किया अकादमी के ग्रंथों का विमोचन
उप राष्ट्रपति धनखड़ ने समारोह में कालिदास अकादमी उज्जैन द्वारा प्रकाशित दस ग्रंथों/प्रकाशनों का विमोचन किया। इनमें व्याकरण सिद्धांत कोमुदी, संज्ञा परिभाषा प्रकरण, श्रीधार भास्कर वर्णेकर विरचित्तम कालिदास रहस्यम, हरिरामचन्द्र दिवेकर विरचित कालिदास महोत्सहम्, कालिदास साहित्य में वनस्पति, पीयूष वर्धिनी क्षिप्रा कल आज और कल, वृत्तांत (पत्रिका), राष्ट्रीय चित्र एवं मूर्ति कला प्रदर्शनी (केटलॉग) 2023, श्रेष्ठ कृति अलंकरण, कार्यक्रमों की विवरणिका एवं राष्ट्रीय चित्र एवं मूर्ति कला प्रदर्शनी (केटलॉग) 2024 सम्मिलित हैं। सभी ग्रंथों एवं प्रकाशनों के प्रधान सम्पादक कालिदास संस्कृत अकादमी निर्देशक डॉ. गोविन्द गंधे हैं।
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