Poacher Review: ना कॉमेडी...ना कोई सुपरस्टार, रिची मेहता की वेब सीरीज ने कैसे खींचा सभी का ध्यान?
Poacher Review: (by: Ashwani Kumar) आलिया भट्ट की वेब सीरीज पोचर (Poacher) ने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दस्तक दे दी है। सच्ची घटना पर आधारित इस वेब सीरीज को ओटीटी की बजाए बड़े पर्दे पर दिखाना नामुमकिन था। 8 एपिसोड वाली इस सीरीज में एमी अवॉर्ड विनर रिची मेहता ने जानवरों के दर्द को बखूबी बयां किया है।
पोचर का मतलब है शिकारी...वैसे को केरल अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर केरल को GOD’s OWN COUNTRY कहा जाता है। मगर क्या होगा जब पता चलेगा कि वही केरल जानवरों और खासकर हाथियों के लिए बिल्कुल महफूज नहीं है? रिची मेहता की वेब सीरीज इसी तरफ लोगों का ध्यान खींचती है। पोचर की कहानी हाथियों के शिकार पर आधारित है। इस सीरीज में हंसी-मजाक की कोई जगह नहीं है। कोई बड़ा सुपरस्टार भी कहानी का हिस्सा नहीं है। मगर बतौर एक्ज़ीक्यूटिव प्रोड्यूसर आलिया भट्ट का नाम इस सीरीज से जुड़ने का ही नतीजा है कि जानवरों पर हो रहे अत्याचार की कहानी हर किसी की जुबां पर आ चुकी है।
दुनिया भर में जंगल तेजी से खत्म हो रहे हैं। पेड़-पौधों को काटकर लोग बड़े-बड़े हाईवे और बिल्डिंग्स तैयार कर रहे हैं। वहीं जंगल में मौजूद हाथियों का शिकार भी धड़ल्ले से हो रहा है। रिची मेहता की पोचर में कहानी का हर एंगल मौजूद है। जिसे देखकर खुद पर शर्मिंदगी महसूस करना लाज़मी है।
केरल से दूर देश की राजधानी दिल्ली एक गैस चैंबर बन चुकी है। तो वहीं मुंबई का ट्रैफिक विश्वविख्यात है। पोचर की कहानी की शुरुआत एक इन्फॉर्मर से होती है। जो 18 हाथियों के शिकार की आंखों देखी कहानी बयां करता है। इन्फॉर्मर की बातें सुनकर पूरे वन विभाग के होश उड़ जाते हैं। मगर सवाल यह है कि क्या इसके पीछे सिर्फ कुछ शिकारियों का गिरोह है? जवाब है नहीं। शिकारी से लेकर इंटरनेशनल स्मगलिंग गैंग, मूर्तियां बेंचने वाले व्हाईट कॉलर आर्ट सेलर और मूर्तियों को खरीदने वाले अमीर लोगों तक, एक बड़ा नेटवर्क जंगल में हो रही पोचिंग का हिस्सा है।
सीरीज में ट्वीस्ट तब आता है जब केरल फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर माला जोगी के रूप में निमिषा सजयन की एंट्री होती है। माला के अंदर जानवरों को ना बचा पाने का पछतावा है। तो वहीं शिकारी पिता की बेटी होने का गुस्सा भी मौजूद है। ऐसे में जानवरों को शिकारियों से बचाने के लिए माला कुछ भी कर सकती है। वहीं माला के इस मिशन में उसका दोस्त एलन भी साथ है। वैसे तो एलन दिल्ली के एक एनजीओ में कम्प्यूटर प्रोग्रामर है मगर वास्तव में वो एक स्नेक एक्सपर्ट और वाइल्ड लाइफ़ ट्रस्ट एनलिस्ट है।
पोचर में नील बनर्जी ने रॉ के रिटायर्ड एजेंट का रोल निभाया है। खुद बीमारी से जूझने के बावजूद नील जानवरों को बचाने की कोशिश में लगा है। सीरीज में कई लोगों ने जाने-अनजाने में शिकारियों की सहायता की है और अब अपने किए पर शर्मिंदा हैं।
रिची मेहता की पोचर देखने के बाद अहसास होता है जंगल में जानवरों पर हो रहे गुनाहों के जिम्मेदार हम और आप भी हैं। यह कहानी सिर्फ केरल के जंगलों तक सीमित नहीं है। इसका असर दिल्ली से लेकर समूची दुनिया पर पड़ रहा है। जंगल में जानवरों का शिकार हो रहा है। तो सड़कों पर जानवर गाड़ी के नीचे आकर जान गवां देते हैं। कुछ जानवरों को बिजली के खंभों पर करंट लगने के कारण जान से हाथ धोना पड़ता है। पोचर के हर सीन में एक असली कहानी मौजूद है।
निमिषा सजयन ने माला का रोल बखूबी निभाया है। नील बनर्जी के किरदार में दिबेन्दु भट्टाचार्या ने भी बेहतरीन परफॉर्मेंस दी है। रौशन मैथ्यू ने एलन के रोल में जबरदस्त काम किया है। SHO दीना के रूप में कनी कुस्रुती ने भी कहानी में जान फूंकने का काम किया है। पोचर की पूरी स्टार कास्ट लाजवाब है।
हालांकि अगर आप मनोरंजन की तलाश में हैं। तो पोचर की कहानी आपको थोड़ी स्ट्रेच्ड लग सकती है। मगर इसे देखने के बाद हर किसी के जहन में पर्यावरण, जंगल और जानवरों का ख्याल जरूर आएगा। जाहिर है अगर हम जानवरों और जंगल के बारे में नहीं सोचेंगे तो हम खुद के साथ-साथ बच्चों की जिंदगी से भी खिलवाड़ कर कर रहे हैं। पोचर की कहानी में दिया गया संदेश एक बड़े बदलाव और बेहतर शुरुआत की पहल कर सकता है।