Maharashtra Politics: उद्धव ठाकरे को CM फेस घोषित करने पर अड़ी शिवसेना, MVA में घमासान
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। उद्धव ठाकरे, शरद पवार की अगुवाई वाला एमवीए गठबंधन सीट बंटवारे का फाॅर्मूला तय करने में जुटा है। इसके लिए बीते दिनों उद्धव ठाकरे कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मिले। इस बीच खबर है कि गठबंधन में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर विवाद शुरू हो गया है। एमवीए गठबंधन में कांग्रेस, शरद पवार की एनसीपी और उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना शामिल हैं।
सूत्रों की मानें तो कुछ दिनों पहले दिल्ली आए उद्धव ठाकरे ने सोनिया गांधी से मिलकर कहा कि एमवीए की ओर से सीएम फेस वहीं होंगे। हालांकि जैसे ही खबर मीडिया में आई कांग्रेस ने बयान जारी कर कहा कि विधानसभा चुनाव में एमवीए ही चेहरा होगा। चुनाव के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा कि सीएम कौन बनेगा? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि चुनाव के समय महाविकास अघाड़ी का कोई चेहरा नहीं होगा। विधानसभा चुनाव के बाद सीटों के आधार पर सीएम का फैसला होगा। वहीं संजय राउत ने डिमांड कि है कि उद्धव ठाकरे को ही सीएम फेस घोषित किया जाए। ऐसे में अब एमवीए में घमासान तेज हो गया है।
उद्धव को सीएम फेस घोषित करने पर अड़े संजय राउत
एमवीए की दूसरी सहयोगी शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने साफ कर दिया है कि चुनाव में एमवीए के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा। ऐसे में जब उद्धव गुट के संजय राउत इस बात पर डटे हैं कि उद्धव ही सीएम फेस होंगे लेकिन दोनों सहयोगी इस बात से सहमत नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले एमवीए में दरार पड़ चुकी है।
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एमवीए के चेहरे पर ही लड़ेंगे चुनाव
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि उद्धव ठाकरे सीएम फेस तय करने के लिए दिल्ली नहीं गए थे। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में एमवीए ही चेहरा होगा। मामले में पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि हम चुनाव में बिना सीएम फेस के उतरेंगे और घोषणापत्र के दम पर चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में अब संजय राउत ने इसे लेकर मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे को सीएम फेस घोषित करना चाहिए।
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राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष बनने से आया बदलाव
संजय राउत ने कहा कि राहुल गांधी को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाने के बाद से ही देश में आत्मविश्वास जगा है। अगर राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में विपक्ष का चेहरा होते तो हम लोग आसानी से बीजेपी को हरा सकते थे। ऐसे में विपक्ष और सत्ताधारी पार्टी दोनों को हमेशा से ही चेहरे की जरूरत होती है।