महाराष्ट्र में महायुति की जीत के 5 बड़े कारण, लोगों को पसंद आया शिंदे का काम
Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र में महायुति सरकार एक बार फिर वापसी करने जा रही है। बीजेपी की अगुवाई वाला गठबंधन यानि महायुति अब तक 216 सीटों पर आगे है। वहीं कांग्रेस की अगुवाई महाविकास अघाड़ी 52 सीटों पर आगे है। इन नतीजों से जाहिर है कि कुछ बड़ा उलटफेर जब तक ना हो तब तक ये ही नतीजे आखिरी होंगे। ऐसे में आइये जानते हैं लोकसभा चुनाव में हार के बाद महायुति ने कैसे विधानसभा चुनाव में दो तिहाई से अधिक बहुमत हासिल कर लिया है?
1.लोकसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी की रणनीति पर बड़े सवाल उठे। पार्टी ने 30 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन सिर्फ 9 सीटों पर जीत मिली। इसके बाद प्रदेश में एमपी मॉडल लागू किया गया और महिलाओं के लिए लाडकी बहना योजना की शुरुआत की। महाराष्ट्र में आज महायुति की सरकार अगर दूसरी बार रिपीट हो रही है तो इसकी वजह शिंदे सरकार की यह योजना है।
2.लोकसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी को इस बार संघ का साथ मिला। संघ ने अपने 70 से अधिक संगठनों के साथ मिलकर चुनाव की रणनीति बनाई और बताया कि लव जिहाद, घुसपैठ, आंतरिक सुरक्षा और बाह्य सुरक्षा के लिए कौन ज्यादा जिम्मेदार हो सकता है? कौन सी पार्टी की सरकार लोगों के लिए ज्यादा फायदेमंद हैं?
3.महाराष्ट्र में महायुति की जीत का एक कारण बीजेपी का एकनाथ शिंदे को सीएम बनाकर रखना भी है। शिंदे को सीएम बनाकर बीजेपी ने ऐसी गुगली फेंकी एमवीए को चारों खाने चित्त कर दिया। इसके अलावा जरांगे पाटिल के मराठा आंदोलन से एमवीए बहुत खुश था, लेकिन बीजेपी ने चुनाव एकदम पहले उन्हें भी मना लिया।
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4.बीजेपी में लोकसभा चुनाव में हार के बाद पीएम मोदो की छवि को सुरक्षित करने के लिए राज्यों स्थानीय नीति पर जोर देते हुए उन्हें आगे बढाया। पीएम मोदी के लिए यही रणनीति हरियाणा के नेताओं ने भी बनाई थी। इसका फायदा बीजेपी को मिला।
5.महाराष्ट्र में इस बार महायुति के उम्मीदवारों को मुस्लिम वोट भी ठीक ठाक मिले। बीजेपी के बंटेंगे तो कटेंगे अभियान पर अजित पवार की एनसीपी ने सधे हुए अंदाज में जवाब दिया। चुनाव से ठीक पहले एमवीए सरकार ने मदरसों के शिक्षकों की सैलरी बढ़ाकर गठबंधन की ओर से मुस्लिमों को संदेश दिया था। वहीं बीजेपी ने भी बंटेंगे तो कटेंगे नारे को मुस्लिमों से न जोड़कर विपक्ष की रणनीति से जोड़ा।
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