'भुला दिया, फेंक दिया; क्या फर्क पड़ता है...', मंत्री न बनाने से नाराज छगन भुजबल का छलका दर्द
Maharashtra Cabinet Expansion: फडणवीस सरकार में मंत्री न बनाए जाने से नाराज छगन भुजबल नागपुर में एनसीपी के सम्मेलन मे नहीं पहुंचे। न ही वे विधानभवन में हुए शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। सोमवार को छगन नागपुर में शुरू हुए महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन विधानभवन पहुंचे। यहां उन्होंने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की। पत्रकारों ने जब भुजबल से पूछा कि क्या आप नाराज हैं? भुजबल ने कहा कि वे नाराज हैं। उन्होंने खुद को सामान्य कार्यकर्ता बताया। उन्होंने कहा कि मुझे भुला दिया, फेंक दिया, क्या फर्क पड़ता है? मंत्री पद आया गया, लेकिन भुजबल खत्म नहीं हुआ। अजीत पवार के साथ उनकी चर्चा नहीं हुई, इसकी जरूरत भी नहीं है।
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बता दें कि नाराज छगन भुजबल अपने गृह क्षेत्र नासिक के लिए रवाना होने वाले हैं। दरअसल 33 साल बाद किसी सरकार का शपथ ग्रहण समारोह नागपुर में हुआ है। 33 साल पहले एक ही मंत्री ने नागपुर में शपथ ली थी। वे मंत्री छगन भुजबल ही थे, जिन्होंने बाल ठाकरे का साथ छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन की थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री सुधाकर राव नाइक के नेतृत्व में दिसंबर 1991 में भुजबल ने शपथ ली थी।
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भुजबल ने कहा कि मनोज जरांगे से भिड़ने का तोहफा उन्हें मिला है। नाराज भुजबल अब ओबीसी के बड़े संगठन समता परिषद के कार्यकर्ताओं से बात करके आगे की रणनीति जाहिर करेंगे। भुजबल ने कहा कि लाडली बहन योजना और ओबीसी गठजोड़ के कारण महायुति को प्रदेश में बड़ी जीत हासिल हुई है। मुझे मंत्री क्यों नहीं बनाया, यह जिम्मेदारी तय करने वाले लोगों से पूछो। पिछले एक साल से एनसीपी (अजित गुट) छगन भुजबल को दरकिनार करती नजर आ रही है। सबसे पहले पार्टी से भुजबल ने राज्यसभा की सीट मांगी थी। लेकिन एनसीपी ने उनकी मांग ठुकरा दी।
भुजबल राज्यसभा जाएंगे!
दरअसल भुजबल राज्यसभा जाकर अपनी परंपरागत येवला विधानसभा सीट बेटे पंकज के लिए खाली करना चाहते थे। जब लोकसभा चुनाव का वक्त आया तो छगन भुजबल ने एनसीपी के टिकट पर नासिक सीट से लड़ने की इच्छा जताई थी। लेकिन यह चुनाव क्षेत्र शिवसेना (शिंदे) के खाते में चला गया। भुजबल के अनुसार एनसीपी अगर सीट बंटवारे में थोड़ी ताकत और लगाती तो यह सीट मिल जाती। सूत्रों के मुताबिक एनसीपी ने भुजबल की नाराजगी दूर करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। उनको राज्यसभा भेजा जा सकता है। राज्यसभा सांसद नितिन पाटील की जगह अब छगन भुजबल का नाम चल रहा है। लेकिन सवाल ये है कि क्या वे राज्यसभा जाने के लिए तैयार होंगे?