Maharashtra Chunav 2024: विदर्भ की 62 सीटें तय करेगी जीत का रास्ता, दांव पर दिग्गजों की साख
Maharashtra Chunav 2024: कहा जाता है कि अगर महाराष्ट्र की सत्ता में काबिज होना है तो विदर्भ में जीत दर्ज करना जरूरी है। बीजेपी ने 2014 और 2019 में लगातार दो चुनावों में विदर्भ में अपना दबदबा कायम रखा। 2024 के चुनाव में किसानों की नाराजगी बीजेपी को झेलनी पड़ी और परिणाम हम सभी के सामने हैं। 2024 के चुनाव में कांग्रेस अपना खोया हुआ जनाधार पाने में सफल रही। विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी और कांग्रेस का फोकस विदर्भ पर है। कांग्रेस ने शिवसेना से लड़कर विदर्भ की सीटें अपने पास रखी है, ऐसे में उसे भी वहां पर अपने आपको साबित करना है। कांग्रेस और बीजेपी के कई दिग्गज इसी क्षेत्र से आते हैं। इतना ही नहीं बीजेपी का मातृ संगठन आरएसएस का भी गढ़ यही क्षेत्र है।
बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस, अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले, विपक्षी नेता विजय वडेट्टीवार और प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले इसी क्षेत्र से आते हैं। ऐसे में इन दिग्गजों की साख भी चुनाव में दांव पर हैं। इस क्षेत्र में विधानसभा की 62 सीटें आती हैं, जिनमें से 35 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है। जबकि 6 सीटों पर शिवसेना और 7 सीटों पर एनसीपी के धड़ों में टक्कर हैं।
2014 और 2019 में रहा बीजेपी का किला
2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी विदर्भ की 62 में से 44 सीटें जीतने में कामयाब रही। परिणाम यह हुआ कि पार्टी को सत्ता मिली। वहीं 2019 के चुनाव में पार्टी ने यहां 29 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि कांग्रेस ने 15 सीटें अपने पाले में की। बीजेपी के लिए 10 साल से मजबूत विदर्भ का दुर्ग अब कमजोर होने लगा है। ऐसे में बीजेपी के लिए सियासी टेंशन बढ़ गई है। यह बात बीजेपी भी जानती है कि विदर्भ को जीते बिना महाराष्ट्र को नहीं जीता जा सकता।
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बीजेपी को लगा झटका
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का यह अभेद्य किला कांग्रेस ने ढहा दिया। विदर्भ की 10 लोकसभा सीटों में से बीजेपी को सिर्फ 2 सीटें मिली, जबकि कांग्रेस ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की। शरद पवार और उद्धव को भी 1-1 सीट पर जीत मिली। वहीं बीजेपी की सहयोगी शिंदे को भी एक ही सीट पर जीत मिली।
कुछ ऐसा है जातीय समीकरण
विदर्भ की सियासत में किसान, आदिवासी और दलित मतदाता तय करते हैं। विदर्भ में दलित वोटर्स की बड़ी आबादी है। महाराष्ट्र में अंबेडकरवादियों की कई पार्टियां है ऐसे में उनका विदर्भ के क्षेत्र में बड़ा आधार है। रामदास अठावले की पार्टी आरपीआई का भी क्षेत्र में बड़ा आधार है। कई सीटों पर दलित 23 प्रतिशत से लेकर 36 प्रतिशत तक है। ऐसे में आरक्षण के मुद्दे पर राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में सेंधमारी की कोशिश की। भाजपा विदर्भ में तेली, दलित और बंजारा समुदाय को एकजुट करने में जुटी है। जबकि कांग्रेस अपने परंपरागत दलित, मुस्लिम और कुनबी यानि ओबीसी वोट बैंक को साधने में जुटी है।
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