लोकसभा में बढ़ी कांग्रेस की सीटें, तो टेंशन में आए उद्धव ठाकरे, अकेले लड़ सकते हैं विधानसभा चुनाव!
Maharashtra Politics Tension Between Congress and Uddhav Thackrey: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद अब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है। तीन-चार महीने में प्रदेश में चुनाव को लेकर ऐलान हो सकता है। एनडीए में जहां तीनों दल एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं तो वहीं इंडिया लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद टेंशन में है। वजहें कई हैं। ऐसे में अब देखना होगा कि विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने से पहले कौन-किसके पाले में रहता है? महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें है। बहुमत के लिए 145 सीटों की आवश्यकता होती है।
अब सबसे पहले जानिए इंडिया में क्या चल रहा है?
उद्धव ठाकरे इन दिनों कांग्रेस से रूठे हुए नजर आ रहे हैं। ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि वे क्या कदम उठाएंगे? लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद प्रदेश की राजनीतिक स्थिति तो नहीं बदली लेकिन इसके संकेत मिलने शुरू हो चुके हैं। सूत्रों की मानें उद्धव ठाकरे विधानसभा चुनाव अकेले लड़ सकते हैं। बुधवार को मुंबई में हुई पार्टी नेताओं की बैठक में उद्धव ठाकरे भी शामिल हुए। उन्होंने नेताओं से कहा कि सभी लोग विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस लें।
उद्धव नाराज क्यों है?
पार्टी सूत्रों की मानें इसकी तीन बड़ी वजहें हैं। पहली कांग्रेस का कम सीटों पर लड़कर सबसे बड़ी पार्टी बन जाना। सांगली सीट पर जीते निर्दलीय सांसद का कांग्रेस को समर्थन करना और तीसरा विधानपरिषद् में उम्मीदवारों को लेकर तनानती। जानकारों की मानें तो लोकसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे प्रदेश की 48 सीटों में से 21 सीटों पर चुनाव लड़े लेकिन उसे केवल 9 सीट से ही संतोष करना पड़ा। जबकि कांग्रेस ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा और 13 सीटों पर जीत दर्ज की। जबकि निर्दलीय समेत उसके सांसदों की संख्या 14 हो गई है।
नाना पटोले का फोन नहीं उठा रहे उद्धव
वहीं एनसीपी शरद पवार ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा और 8 पर जीत दर्ज की। कुल मिलाकर उद्धव ठाकरे का फायदा कांग्रेस और शरद पवार को मिला लेकिन शरद- कांग्रेस का फायदा उद्धव को नहीं मिला। ऐसे में यह आशंका है कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। वो उद्धव को नागवार गुजरेगा। ऐसे में वो अकेले लड़ने की योजना बना रहे हैं। वहीं विधानपरिषद् की 4 सीटों पर जून के आखिर में चुनाव होने हैं। सीट और प्रत्याशियों को लेकर दोनों दलों में तनातनी चल रही है। उद्धव ठाकरे तो नाना पटोले का फोन तक नहीं उठा रहे हैं। वहीं शिवसेना ने तो प्रत्याशियों का ऐलान भी कर दिया है।
इंडिया में भी हालात ठीक नहीं
वहीं दूसरी ओर एनडीए का विवाद किसी से छिपा नहीं है। एनडीए में हार के बाद तीनों दल एक-दूसरे काे कसूरवार बता रहे हैं। एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री का मुद्दा शांत भी नहीं हुआ कि संघ के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर की टिप्पणी से एनसीपी आग बबूला हो उठी। ऑर्गेनाइजर ने बीजेपी को कठघरे में खड़ा करते हुए पूछा कि पर्याप्त बहुमत होने के बाद भी अजित पवार से गठबंधन करने की आवश्यकता नहीं थी। इस बयान पर एनसीपी ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा।
वहीं एकनाथ शिंदे ने भी बीजेपी के 400 पार के नारे को हार का जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि चुनाव में 400 पार के नारे से बहुत ज्यादा नुकसान हुआ। उनकी वजह से लोगों के मन में आशंका पैदा हो गई। उन्होंने कहा कि नारे को लेकर विपक्ष ऐसा माहौल बना दिया कि अगर एनडीए को 400 से ज्यादा सीटें मिल गई तो वास्तव में संविधान बदल दिया जाएगा।
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