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देर तक काम, जरूरत से ज्यादा दबाव... किस तरह EY कर्मचारी की मौत ने बेनकाब किया बड़ी कंपनियों का 'जहरीला' वर्क कल्चर

Anna Sebastian Perayil Death Case: पुणे की सीए अन्ना सेबेस्टियन पेरायिल की मौत का मामला एक बार फिर गरमा गया है। जुलाई के मामले में लगातार अब सोशल मीडिया पर वर्किंग कंपनियों की कार्यशैली को लेकर बहस तेज हो गई है। इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
09:12 PM Sep 19, 2024 IST | Parmod chaudhary
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CA Anna Sebastian Perayil Death Case: पुणे में Ernst & Young (EY) में जॉब मिलने के 4 महीने बाद 26 साल की चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की मौत ने चार कंपनियों की कुख्यात कार्यशैली के रहस्य उजागर किए हैं। श्रम मंत्रालय ने मामले की जांच की बात कही है। कथित तौर पर काम के दबाव में लड़की की जान गई है। मामला जुलाई का है, लेकिन जिन चार कंपनियों का जिक्र अब हो रहा है, उनमें डेलोइट, PwC, KPMG और EY शामिल हैं। अर्न्स्ट एंड यंग (EY) इंडिया बड़ी वैश्विक लेखा फर्म मानी जाती है। अन्ना सेबेस्टियन पेरायिल की मां का एक लेटर भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर वायरल हो रहा है। जिसके बाद लोगों में प्रमुख लेखा कंपनियों में व्याप्त शोषणकारी माहौल को लेकर बहस तेज हो गई है। लोग अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।

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बेटी की मौत पर मां का लेटर वायरल

अन्ना की शोक संतप्त मां अनीता ऑगस्टीन के लेटर में बेटी की मौत के लिए काम को लेकर तनाव और लंबी वर्किंग को जिम्मेदार ठहराया गया है। जिसके कारण जुलाई में उसकी मौत हो गई थी। मां ने अर्न्स्ट एंड यंग इंडिया के चेयरमैन राजीव मेमानी को पत्र लिखकर गुहार लगाई है कि अपनी वर्किंग कल्चर में बदलाव करें। अन्ना के अंतिम संस्कार में कंपनी की ओर से कोई नहीं आया। इसको लेकर भी मां ने दुख जाहिर किया है। सोशल मीडिया पर इस लेटर को लेकर हंगामा मचा है। जिसके बाद श्रम मंत्रालय ने जांच की बात कही है।

श्रम मंत्री ने कहा, जांच होगी

श्रम राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने एक्स पर लेटर को लेकर प्रतिक्रिया दी है। जिसमें लिखा है कि वे अन्ना सेबेस्टियन पेरायिल की मौत से दुखी हैं। उनके आरोपों की जांच चल रही है। कंपनी का जवाब भी आया है। जिसमें लिखा है कि वे अपनी कंपनी की कर्मचारी की मौत से दुखी हैं। स्वस्थ कार्यस्थल प्रदान के तरीके खोजने के उनके प्रयास जारी रहेंगे। अन्ना की मौत के बाद चार फर्मों की कार्यशैली को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

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एक यूजर ने लिखा कि उसकी बहन को दांत में दर्द हुआ। वह डेंटिस्ट के पास गई। लेकिन बॉस ने उसके ऊपर दबाव डाला कि वह काम करे। जवाब देने पर वह चिढ़ गया। एक अन्य यूजर ने भी इन कंपनियों को लेकर लिखा है। आरोप लगाया कि प्रबंधक लोगों को नाम से संबोधित नहीं करते। वे उनको सिर्फ संसाधन समझते हैं। जो किसी सहानुभूति के लायक नहीं हैं। जो लोग शाम को 6-7 बजे काम बंद करने की सोचते हैं, उनकी आधी सैलरी काटने की बात कही जाती है।

14-16 घंटे काम क्यों?

लंबे समय तक काम और अधिक दबाव झेलने वालों को ये फर्में पैसा तो देती हैं, लेकिन आराम नहीं। सप्ताह में रोजाना 16 घंटे काम, लगातार बैठकें और लास्ट में क्लाइंट पिच तैयार करने की अपेक्षा की जाती है। इस प्रवृत्ति के कारण अब युवा पेशेवर नौकरी छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। एक अन्य यूजर लिखता है कि उन लोगों से 14-16 घंटे काम की उम्मीद की जाती है।

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