महाराष्ट्र BJP के लिए क्यों अहम हैं रवींद्र चव्हाण? 5 पॉइंट में जानें सबकुछ
Ravindra Chavan News : महाराष्ट्र में आखिरकार देवेंद्र फडणवीस कैबिनेट का विस्तार हो गया। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कुछ पुराने चेहरे को अलविदा कहते हुए कुछ नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी। लेकिन, पुराने चेहरों में एक नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। वो हैं रवींद्र चव्हाण, जिन्हें शिंदे सरकार में पीडब्ल्यूडी जैसा अहम मंत्रालय मिला था, लेकिन इस बार उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। इसकी वजह यह है कि चव्हाण का कद अब पार्टी में बढ़ने वाला है। रवींद्र चव्हाण को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद का जिम्मा मिल सकता है।
रवींद्र चव्हाण सीएम देवेंद्र फडणवीस के बेहद करीबी माने जाते हैं। वे मुंबई से सटे डोंबिवली से लगातार चौथी बार विधायक बने। रवींद्र चव्हाण ने 76 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीता। 2014-2019 में देवेंद्र फडणवीस के तीसरे मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें साल 2016 में खाद्य, नागरिक आपूर्ति तथा उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बनाया गया था। इसके बाद एकनाथ शिंदे सरकार में भाजपा ने रवींद्र चव्हाण को लोक निर्माण मंत्री पद से नवाजा।
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बीजेपी के लिए क्यों अहम हैं रवींद्र चव्हाण?
1. साल 2017 में बीजेपी के साथ शिवसेना राज्य में सत्ता में थी, लेकिन कल्याण डोंबिवली महानगर पालिका के चुनाव में दोनों दल आमने-सामने थे, तब भाजपा अकेले दम पर लड़ी थी और उसने उद्धव की शिवसेना को हराकर कल्याण डोंबिवली महानगर पालिका में अपना मेयर बनाया था। इससे पहले इस महानगर पालिका पर शिवसेना का कब्जा था। रवींद्र चव्हाण ने इस पूरे चुनाव का नेतृत्व किया था।
2. लोकसभा चुनाव में कोंकण की रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग सीट पर शिवसेना यूबीटी का दबदबा था, लेकिन रवींद्र चव्हाण को इस सीट की जिम्मेदारी मिली। शिवसेना शिंदे गुट इस सीट के लिए अड़ा था। यहां शिवसेना शिंदे के मंत्री उदय सामंत के बड़े भाई किरण सामंत चुनाव लड़ने के इच्छुक थे। उन्होंने 2 साल पहले तैयारी शुरू कर दी थी। इतना सबकुछ होने के बावजूद फडणवीस की मदद से रवींद्र चव्हाण यह सीट अपने पास रखने में कामयाब रहे। जहां एक ओर बीजेपी महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव नतीजों में महाविकास अघाड़ी के सामने पस्त हुई तो वहीं दूसरी ओर रवींद्र चव्हाण ने रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग सीट से नारायण राणे को विजयी बनाने में अहम भूमिका निभाई।
3. इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग में जो जीत मिली, उसका श्रेय रवींद्र चव्हाण को जाता है। साथ ही पालघर जिले की नालासोपारा और वसई विधानसभा सीट पर बहुजन विकास अघाड़ी के दबदबे को खत्म करने में भी रवींद्र चव्हाण ने अहम भूमिका निभाई।
4. साल 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को एकनाथ शिंदे ने अलविदा कह दिया था और वे 3 दर्जन से ज्यादा विधायकों को लेकर सूरत से गुवाहाटी और फिर गोवा पहुंचे गए। तब इन विधायकों को लॉजेस्टिक सपोर्ट और अन्य मदद देने का जिम्मा रवींद्र चव्हाण के पास था।
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5. भाजपा में एक व्यक्ति एक पद का नियम है। महाराष्ट्र में आने वाले समय में स्थानीय इकाई यानी मिनी विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, जिनमें महानगर पालिका, नगर पालिका, जिला परिषद, पंचायत समिति, नगर पंचायत शामिल हैं। ऐसे चुनावी मौसम में महाराष्ट्र बीजेपी के सामने प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए रवींद्र चव्हाण के अलावा शायद ही कोई और नाम हो।