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बारिश अच्छी, उपज भी अच्छी, लेकिन भाव कम; कहीं महाराष्ट्र में नेताओं की राजनीति न बिगाड़ दे 'सोयाबीन'

Soybean Big Issue In Maharashtra Election : महाराष्ट्र चुनाव में इस बार सोयाबीन बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। सोयाबीन की अच्छी कीमत नहीं मिलने से किसानों में नाराजगी है। आइए जानते हैं कि अच्छी उपज के बाद भी किसानों को क्यों नहीं मिल पा रहा अच्छा भाव?
05:18 PM Nov 11, 2024 IST | Deepak Pandey
महाराष्ट्र चुनाव में बड़ा मुद्दा बना सोयाबीन।
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Soybean Big Issue In Maharashtra Election : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हैं। पार्टियों के वरिष्ठ नेता जनता के बीच जाने लगे हैं और अपने उम्मीदवारों के लिए वोट मांग रहे हैं। इस चुनाव में खेती-किसानी का एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। प्याज, गन्ना के साथ इस बार अब सोयाबीन का मसला उठ रहा है। बारिश अच्छी हुई और पिछले साल से इस बार पैदावार भी ज्यादा हुई, लेकिन मंडी में भाव कम मिल रहा है, जिससे किसान नाराज हैं। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि कहीं महाराष्ट्र में सोयाबीन पार्टियों की राजनीति न बिगाड़ दे।

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39 वर्षीय किसान शिवाजी शिंदे ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत करते हुए सोयाबीन को लेकर अपना दर्द बयां किया। उन्होंने कहा कि अपनी कुल 45 एकड़ जमीन में से 30 एकड़ पर सोयाबीन की खेती की थी और उन्हें 300 क्विंटल सोयाबीन मिला। पिछले साल की तुलना में 7 क्विंटल उपज अधिक है, लेकिन वे खुश नहीं हैं। इस वक्त लातूर एपीएमसी (कृषि उपज बाजार समिति) मंडी में सोयाबीन का भाव 4,200 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि पिछले साल यह 4,900 रुपये था। वहीं, सरकार का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,892 रुपये है।

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2021 में 10,000 रुपये प्रति क्विंटल में बिका था सोयाबीन

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शिंदे ने कहा कि दो साल पहले सोयाबीन का भाव 5,800-5,900 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि अगस्त 2021 में यह 10,000 रुपये को भी पार कर गया था। उन्होंने इस उम्मीद में साल 2023 और 2022 के उपज को स्टॉक कर रखा है, ताकि उन्हें 8,000 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत मिल सके, लेकिन इस बार किसानों को 4,500 रुपये प्रति क्विंटल से सोयाबीन बेचना पड़ रहा है।

कीमत के आधार पर बढ़ाएंगे सोयाबीन की खेती

शिंदे ने कहा कि उन्होंने 15 एकड़ में गन्ना भी उगाया है और वे सोयाबीन की कीमत के आधार पर आने वाले सीजन में सोयाबीन की खेती 40 एकड़ में करने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि उनके पास तवारजा बांध और खुद के बोरवेल से सिंचाई की सुविधा है। वहीं शिंदे की तरह दूसरे किसान महादेव पवार ने कहा कि उनके पास सिंचाई की पर्याप्त सुविधा नहीं है, इसलिए उन्होंने सिर्फ 10 एकड़ की जमीन पर सोयाबीन बोया है।

विधानसभा चुनाव में सोयाबीन की कीमत बड़ा मुद्दा

श्रवण शिंदे ने कहा कि चुनाव में सोयाबीन की कीमत एक बड़ा मुद्दा है। धाराशिव जिले के उमरगा तालुका के कासगी गांव के छह एकड़ के किसान ने लातूर एपीएमसी मंडी में 4,270 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से 27 क्विंटल सोयाबीन बेचा। 80 किलोमीटर की यात्रा करने के बाद यह कीमत मिली और सोयाबीन में सिर्फ 10 प्रतिशत नमी थी। अधिक नमी वाली फसल 4,000 रुपये या उससे कम में बिक रही है।

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सरकारी एजेंसियां नहीं खरीद रहीं सोयाबीन

महाराष्ट्र में सरकारी एजेंसियों ने भी अब तक एमएसपी पर बमुश्किल 2,000 टन सोयाबीन खरीदा है। यह तब है जब केंद्र सरकार ने राज्य से 13.08 लाख टन खरीद को मंजूरी दी है। महाराष्ट्र के किसानों ने इस खरीफ सीजन में 50.52 लाख हेक्टेयर (एलएच) क्षेत्र में सोयाबीन की बुवाई की।

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Maharashtra Assembly Election 2024
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