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Budget 2025: आम आदमी खुश, जीडीपी को मिलेगी गति, किसे-कितना फायदा?

Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में बजट 2025 पेश किया। इस बार का बजट हर किसी के लिए कैसा है, चलिए एक नजर Budget 2025 पर डालें...
04:31 PM Feb 01, 2025 IST | Deepti Sharma
budget 2025  आम आदमी खुश  जीडीपी को मिलेगी गति  किसे कितना फायदा
Budget 2025

पूरन डावर, फर्स्ट जेनरेशन एंटरप्रेन्योर

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Budget 2025: वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए आज एक फरवरी 2025, दिन शनिवार को बजट पेश किया गया। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा सदन में बजट पेश किया। यह लंबे समय बाद ऐसा बजट है जिसे न तो चुनावी बजट कह सकते हैं और न लोक लुभावन, फिर भी आम आदमी से लेकर अर्थशास्त्री तक, रेहड़ी वालों से लेकर लघु और मध्यम उद्योग, हेवी उद्योग से कैपिटल मार्केट तक खुश हैं।

नौकरी पेशा और छोटे-मंझोले व्यापारी भी खुश हैं। उनकी अपेक्षा से अधिक आयकर में राहत मिली है और अधिक से अधिक 10 लाख तक कर मुक्त की उम्मीद थी। वह 12 लाख तक कर मुक्त हो गए और 12 लाख से 25 लाख तक आय वाले लोगों की जेब में 80 हजार से लेकर 1.10 लाख तक अतिरिक्त आएंगे, खर्च में वृद्धि होगी जिससे जीडीपी को गति मिलेगी। वह अपने कार लोन की ईएमआई भर सकते हैं और घर के लोन की ईएमआई भी भर सकते हैं।

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कहां-कहां कितना खर्च 

पर्यटन पर बड़ा खर्च, 50 नए पर्यटन स्थल, हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को इंफ्रा का दर्जा, अर्बन डेवलपमेंट, ग्राम विकास, पर्यावरण सुधार, रिन्यूएबल एनर्जी, एआई केंद्रों, कैंसर जैसे इलाज जो आम आदमी की पहुंच से बहुत दूर होते थे। कैंसर डिटेक्ट होते ही मौत का फरमान मिल जाता था।

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3 साल के अंदर हर सरकारी अस्पताल में मुहैया कराना आम आदमी के लिए बड़े संवेदनशील कदम है। सरकार चुनौतियों के बावजूद 2024-25 के आर्थिक सर्वे उत्साहजनक न होते हुए भी बड़े निर्णय ले रही है। सरकार अच्छी तरह जानती है कि जीडीपी की वर्तमान दर 6.3 या 6.8 से हम विकसित भारत के लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकते हैं।

जीडीपी वृद्धि दर कम से कम 8 और फिर डबल डिजिट पर लेकर जानी होगी। इसके लिए फूंक-फूंक कर कदम उठाने होंगे, महंगाई की दर सीमित रखनी होगी, आर्थिक घाटा सीमित रखना होगा, लेकिन गति पकड़ने के लिए दो उपाय हैं: एक आम आदमी की क्रय शक्ति को बढ़ाना, और कर के अतिरिक्त अन्य स्रोत विकसित करना, जैसे एसेट मॉनेटाइजेशन, विनिवेश या पीपीपी। सारे प्रयास इस बजट में किए गए हैं। अब देखना है कि जनता इन सबका कितना लाभ लेती है और धरातल पर कितना क्रियान्वयन होता है। देश का हर व्यक्ति अपने लिए या फिर सोच बदलकर किस तरह देश के लिए खड़ा होता है।

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