डेयरी फार्मिंग में आगे बढ़ेगा पंजाब! राज्य में ये बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है मान सरकार
Punjab Govt Dairy Farming Big Project: पंजाब की भगवंत मान सरकार प्रदेश को हर एक सेक्टर में आगे ले जाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। इसी राज्य सरकार पंजाब को डेयरी फार्मिंग के सेक्टर में आगे ले जाना चाहती है, इसके लिए सरकार द्वारा एक प्रोजेक्ट शुरू करने वाली है। मान सरकार ने डेयरी फार्मिंग के लाभ को बढ़ाने के लिए होलस्टीन फ्रीजियन (HF) गायों के दूध की रिकॉर्डिंग क्षमता की पहचान करेगी। साथ ही डेयरी फार्मिंग की स्थापना के लिए एक प्रोजेक्ट शुरू करेगी, जिसके लिए सरकार ने पूरी तरह तैयार कर ली है। इस बात की जानकारी पंजाब के पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य पालन मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने दी है।
प्रोजेक्ट में 5.31 करोड़ रुपये की लागत
मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में 5.31 करोड़ रुपये की लागत लगेगी। दिसंबर 2024 के पहले हफ्ते में इस प्रोजेक्ट का शुरू किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को पशुपालन विभाग के स्थानीय कर्मचारियों द्वारा सुपरवाइज किया जाएगा। प्रोजेक्ट को सुपरवाइज करने के साथ- साथ ये कर्मचारी मिलकर दूध की रिकॉर्डिंग के लिए योग्य एचएफ नस्ल की गायों की भी पहचान करेंगे।
मिल्क प्रोडक्शन का डेटा
उन्होंने आगे कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 से लेकर 2025-26 तक पंजाब के लुधियाना, मोगा और फतेहगढ़ साहिब समेत 3 जिलों के 90 गांवों में करीब 13,000 होलस्टीन फ्रीजियन (एचएफ) नस्ल की गायों का दूध उत्पादन दर्ज किया जाएगा। किसान हमेशा की तरह अपने घरों में चयनित गायों का दूध निकालेंगे। इसमें जीपीएस-सक्षम स्मार्ट वजन पैमाने का उपयोग करके मिल्क प्रोडक्शन पर डेटा इकट्ठा करने के लिए एक मिल्क रिकॉर्डर प्रदान किया गया है। यह डेटा ऑटोमेटिक नेशनल डेटाबेस पर अपलोड किया जाएगा। इससे यह देश भर के किसानों, सरकारी एजेंसियों और बाकी हितधारकों के लिए सुलभ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि 10 महीने की अवधि के लिए, किसान की सुविधा के आधार पर, दिन में 2-3 बार पूरी दूध की रिकॉर्डिंग की जाएगी।
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दूध रिकॉर्डिंग क्षमता
गुरमीत सिंह खुडियां ने कहा कि इस पहल से पशुपालकों को अपनी गायों की आनुवांशिक क्षमता और जर्मप्लाज्म की पहचान करने में मदद मिलेगी, साथ ही उन्हें उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रजनन और प्रबंधन पर सूचित निर्णय लेने में सहायता मिलेगी, साथ ही इन गायों की दूध रिकॉर्डिंग क्षमता का पता लगाने में भी मदद मिलेगी।