लड़की के अंडरगारमेंट उतारना या निर्वस्त्र होना, दुष्कर्म का प्रयास है या नहीं? पढ़ें हाईकोर्ट का अहम फैसला
Rajasthan High Court Verdict: लड़की के सभी कपड़े उतार देना, उसे पूरी तरह निर्वस्त्र कर देना। खुद को भी पूरी तरह निर्वस्त्र कर देना, दुष्कर्म करने का प्रयास नहीं है। इसलिए आरोपी को राहत दी जाती है। यह फैसला राजस्थान हाईकोर्ट ने 33 साल पुराने एक केस में दिया है। जस्थान हाईकोर्ट ने 1991 में दर्ज किए गए यौन शोषण के केस का निपटारा किया।
जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने कहा कि लड़की के इनरवियर उतारना और खुद के भी कपड़े उतारकर बिल्कुल नंगा हो जाना दुष्कर्म करने का प्रयास करना नहीं माना जाएगा। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 और धारा 511 के तहत कोई अपराध भी नहीं है, बल्कि इसे धारा 354 के तहत महिला का शील भंग करने के लिए उस पर हमला करने का अपराध होगा।
यह भी पढ़ें:वो जानवर पसंद नहीं, घिन्न आती है…उससे अच्छा बिजली के झटकों से मरूं; डोनाल्ड ट्रंप का अजीबोगरीब बयान
हाईकोर्ट ने 2 राज्यों के केस का हवाला दिया
जस्टिस अनूप कुमार ढांड की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाते हुए सिट्टू बनाम राजस्थान स्टेट केस का हवाला दिया। उस केस में जबरन कपड़े उतारकर लड़की को निर्वस्त्र किया गया। विरोध करने के बावजूद आरोपी ने लड़की के साथ शारीरिक संबंध बनाने का प्रयास किया। इस कृत्य को दुष्कर्म करने का प्रयास करने का अपराध माना गया। दामोदर बेहरा बनाम ओडिशा केस भी ऐसा ही है।
इस केस के आरोपी ने महिला की साड़ी उतार दी थी, लेकिन वह शोर मचाने पर जुटी भीड़ को देखकर भागा गया था। इस मामले को दुष्कर्म करने का प्रयास करने का मामला नहीं माना गया। बल्कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 के तहत शील भंग करने को हमला करने का प्रयास माना गया। राजस्थान वाले केस में 6 साल की बच्ची से दुष्कर्म करने का प्रयास करने के आरोप लगे हैं।
यह भी पढ़ें:पप्पू यादव वसूल रहा रंगदारी! बिजनेसमैन बोला- पूर्णिया में रहने को एक करोड़ मांगे, दी मारने की धमकी
33 साल में पूरी हो चुकी साढ़े 3 साल की सजा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, साल 9 मार्च 1991 का मामला है। आरोपी सुवालाल उस समय 25 साल का था। उसने 6 साल की बच्ची के सारे कपड़े उतार दिए थे। अपने भी सारे कपड़े उतार दिए थे। बच्ची ने शोर मचाया तो आरोपी फरार हो गया। टोंक की अदालत ने सुवालाल को दुष्कर्म का प्रयास करने का दोषी ठहराया। सुनवाई के दौरान वह ढाई महीने जेल में रहा।
अंतिम फैसला सुनाते हुए निचली अदालत ने सुवालाल को 3 साल 6 महीने की कठोर कारावास की सजा सुनाई। थी। उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन 33 साल चली लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुवालाल को दोष मुक्ति मिली है, लेकिन इन 33 सालों में सुवालाल ने जो मानसिक, शारीरिक और आर्थिक नुकसान झेला, उसकी भरपाई नहीं की जा सकती।
यह भी पढ़ें:BJP और बंगाल में भूचाल; अमित मालवीय पर यौन शोषण के आरोप, RSS नेता को भेजा 10 करोड़ का नोटिस