शादी के बाद गैर मर्द या औरत के साथ संबंध बनाना वैध या अवैध? जानें कोर्ट का फैसला
High Court On Extra Marital Relations: आजकल एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के मामले काफी सुनने में आते हैं। इससे मिलता-जुलता एक और मामला सामने आया, जिसमें पत्नी का किसी गैर मर्द के साथ संबंध बनाने की जानकारी मिलने पर पति हाई कोर्ट पहुंच गया। इसपर राजस्थान हाई कोर्ट ने याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया कि अगर दो वयस्क अपनी-अपनी सहमति से आपस में संबंध बनाते हैं, तो वह कानूनी अपराध नहीं कहलाया जाएगा।
पत्नी की किडनैपिंग का मामला दर्ज करवाने गया था पति
राजस्थान में एक पति अपनी पत्नी की किडनैपिंग का मामला दर्ज करवाने गया लेकिन जब मामला कोर्ट पहुंचा तो पत्नी ने कहा कि उसे किडनैप नहीं किया गया था। बल्कि, वह अपनी मर्जी से उस मर्द के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही है। राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा पति की याचिका खारिज करते हुए यह कहा गया कि आईपीसी की धारा 497 के अंतर्गत व्यभिचार अपवाद था, जिसे पहले ही रद्द कर दिया गया है।
इस मामले पर जस्टिस बीरेंद्र कुमार ने कहा कि आईपीसी धारा 494 (द्विविवाह) के अंतर्गत मामला नहीं बनता क्योंकि दोनों में से किसी ने पति या पत्नी के जीवनकाल में दूसरी शादी नहीं की है। जब तक शादी साबित ना हो जाए, शादी जैसा रिश्ता, जैसे लिव-इन-रिलेशनशिप धारा 494 के अंतर्गत नहीं आता।
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याचिका दायर करने वाले पति के वकील क्या दलील रखी?
सुनवाई के दौरान याचिका दायर करने वाले पति के वकील ने दलील दी कि महिला ने माना है कि वह शादीशुदा होने के बावजूद संजीव के साथ लिव-इन-रिलेशन में रह रही है इसलिए आईपीसी की धारा 494 और 497 के अंतर्गत अपराध बनता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए सिंगल बेंच ने कहा कि यह सच है कि समाज में मुख्यधारा का विचार यह है कि शारीरिक संबंध सिर्फ शादीशुदा जोड़े के बीच हो लेकिन जब शादी से अलग दो व्यस्क अपनी-अपनी सहमति से संबंध बनाते हैं तो यह अपराध नहीं है।
कोर्ट द्वारा कहा गया कि एक व्यस्क महिला जिसके साथ चाहे शादी कर सकती है और जिसके साथ चाहे रह सकती है। बेंच ने कहा कि आवेदक (पति) की पत्नी ने आरोपी संजीव के साथ संयुक्त रूप से जवाब देते हुए कहा कि उसने अपनी मर्जी से घर छोड़ा है और संजीव के साथ लिव-इन-रिलेशन में है।
राजस्थान हाई कोर्ट में पेश हुई पत्नी
पति ने मामला दर्ज करवाया और कहा कि एक शख्स ने उसकी पत्नी को किडनैप कर लिया है। इसके बाद पत्नी हलफनामे के साथ हाई कोर्ट में पेश हुई और कहा कि उसका अपहरण नहीं हुआ बल्कि वह अपनी मर्जी से आरोपी संजीव के साथ लिव-इन-रिलेशन में है। इसपर अदालत द्वारा कहा गया कि आईपीसी की धारा 366 के तहत अपराध नहीं हुआ और एफआईआर रद्द की जाती है।
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