परिवार के साथ रहने का मौका, सांगानेर खुली जेल की क्या है हकीकत? जो अदालती लड़ाई में उलझी
Jaipur Sanganer Open Jail : लोग जेल के बारे में जरूर जानते होंगे, जहां कैदियों को रखा जाता है और बाहर जाने की इजाजत नहीं होती है। कई लोग ये नहीं जानते होंगे कि एक ऐसी भी जेल है, जहां दोषियों को परिवार के साथ रहने का मौका मिलता है और वे काम करने के लिए बाहर भी आते-जाते हैं। इसे खुली जेल के नाम जाना जाता है। आइए जानते हैं कि जयपुर की सांगानेर खुली जेल की क्या है हकीकत, जो अदालती लड़ाई में क्यों उलझी हुई है?
जेल सुधार पर अखिल भारतीय समिति, जिसे जस्टिस मुल्ला समिति के नाम से भी जाना जाता है ने अपनी सिफारिशों में कहा था कि राजस्थान की राजधानी जयपुर के सांगानेर में जिस तरह की खुली जेल है, वैसी जेल हर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विकसित होनी चाहिए। इस समिति की रिपोर्ट के बाद से सांगानेर खुली जेल में कई बदलाव हुए। यह दुनिया भर में सबसे अनोखी जेलों में से एक है।
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सांगानेर खुली जेल की क्या है हकीकत?
सांगानेर खुली जेल या सम्पूर्णानंद खुला बंदी शिविर 1963 में खोला गया था, तब से यह लगातार चल रहा है। यह जेल जयपुर से लगभग 15 किमी दूर स्थित है, जिसमें 422 कैदी हैं, जिनमें 14 महिलाएं और उनके परिवार शामिल हैं। यहां कैदी न सिर्फ अपनी पत्नी के साथ, बल्कि अपने बच्चों के साथ भी रह सकते हैं और यहां पुलिसकर्मियों की तैनाती काफी कम है।
बिजली-पानी का चार्ज खुद देते हैं कैदी
सांगानेर खुली जेल के कैदी बिजली और पानी का चार्ज खुद देते हैं। इसके लिए वे नौकरी या काम करने के लिए जेल से बाहर जाते हैं- जैसे कि किराने की दुकान चलाना। वे काम से जमा किए गए पैसों से अपने घर बनाते हैं और उनका जीर्णोद्धार करते हैं। जेल में बंदी पंचायतें भी हैं, जहां कैदियों ने स्वशासन के तरीके अपनाए हैं, जिसमें प्रतिदिन दो बार हाजिरी लगाना शामिल है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कैदी वापस आ जाएं। उनके पास फोन भी रहते हैं।
खुली जेल में किन कैदियों को मिलती है जगह
सांगानेर जेल के कैंपस में एक प्राथमिक विद्यालय है, जहां आसपास के इलाकों के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। साथ ही यहां एक आंगनबाड़ी केंद्र और एक खेल का मैदान भी है। इस जेल में उन्हीं कैदियों को रखा जाता है, जिनकी सजा कुछ सालों की बची होती है।
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अदालती लड़ाई में क्यों उलझी?
जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) ने सांगानेर में अस्पताल निर्माण के लिए जमीन आवंटित की है। सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को कहा था कि खुली जेलों का क्षेत्रफल कम नहीं किया जाना चाहिए। इस पर एक सामाजिक कार्यकर्ता प्रसून गोस्वामी ने अवमानना याचिका दायर की। याचिका में दावा किया गया है कि सरकार की योजना देश में खुली जेल को प्रभावित कर रही है। राज्य सरकार ने कहा कि खुली जेल के क्षेत्र को कम करने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने 25 नवंबर को कहा कि खुले सुधार गृह और अस्पताल की जरूरतों के बीच संतुलन होना चाहिए, जो आसपास के क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों की जरूरतों को पूरा करेगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त न्यायालय आयुक्त गुरुवार को देश की सबसे बड़ी सांगानेर खुली जेल का दौरा करेंगे।