Operation Antivirus: अश्लील चैट-न्यूड वीडियो कॉल से करते हैं ठगी, कैसे साइबर क्राइम का दूसरा जामताड़ा बना मेवात?
(केजे श्रीवत्सन, जयपुर)
Rajasthan Cyber Crime News : राजस्थान में अब साइबर ठगों की खैर नहीं है। इसे लेकर पुलिस ने ऑपरेशन एंटीवायरस नाम से सर्जिकल स्ट्राइक शुरू की। भरतपुर के डीग और मेवात में हर रोज ठगी का तरीका बदलकर साइबर क्राइम को अंजाम दिया जा रहा है। ऑपरेशन एंटीवायरस के तहत पुलिस ऐसी आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है। तपती गर्मी के बीच राजस्थान पुलिस की एंटी टास्क फोर्स के साथ News24 इस खास ऑपरेशन का गवाह बना।
पुलिस को चुनौती दे रहे ठग
भरतपुर का डीग जिला और मेवात का क्षेत्र ऑनलाइन ठगी का दूसरा जामताड़ा बन गया है। यहां के शातिर ठग देश के किसी भी कोने में बैठे मोबाइल यूजर्स का पलक झपकते ही अकाउंट साफ कर देते हैं। साइबर ठग महंगी चीजों को सस्ते दामों में बेचने, धार्मिक जगहों पर कम दामों पर होटल दिलाने, सेक्सटॉर्शन जैसे नए-नए तरीकों से हर रोज पुलिस को चुनौती दे रहे हैं।
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सैलरी पर रखे जाते हैं साइबर ठग
ये ठग अलग-अलग नंबरों के जरिए कभी वीडियो तो कभी सीबीआई, कभी पुलिस अधिकारी तो कभी सोशल मीडिया अधिकारी बनकर लोगों को फोन करते हैं और उन्हें डिजिटल अरेस्ट या सामाजिक रूप से बदनाम करने की धमकी देकर पैसे वसूलते हैं। एटीएम, पेटीएम और बैंक केवाईसी अपडेट करने वाले फर्जी कॉल और लिंक भेजकर बैंक खातों से ऑनलाइन ठगी भी इनकी आदत में शुमार है। यहां पर ठगों को सैलरी पर रखा जाता है, जिनका काम लोगों को कॉल कर ठगी की घटना को अंजाम देना है।
साइबर ठगी के लिए बदनाम हैं मेवात के युवा
मेवात और गुरुग्राम में बहुत ज्यादा दूरी नहीं है, लेकिन इसके बावजूद ये देश के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक है। इसी पिछड़ेपन ने इसे देश का दूसरा 'जामताड़ा' भी बना दिया है। जामताड़ा की तरह ही मेवात के युवा भी साइबर ठगी के लिए बदनाम हैं। सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, 9 राज्यों के 32 इलाके साइबर क्राइम के सबसे बड़े अड्डे बन गए हैं, जिनमें राजस्थान का मेवात भी शामिल है। यहां पर कोचिंग सेंटर्स के जरिये ठगी की ट्रेनिंग लेने की भी बात सामने आई है।
राजस्थान और हरियाणा में फैला साइबर ठगों का नेटवर्क
साइबर क्राइम का सबसे बड़ा अड्डा भरतपुर में आने वाला मेवात ही है। देशभर में यह इलाका काफी चर्चित है, क्योंकि साइबर ठगी के 80 फीसदी से ज्यादा मामले यहीं से सामने आते हैं। राजस्थान और हरियाणा में साइबर ठगों का जबरदस्त नेटवर्क है। मेवात के गांव और ढाणियों तक साइबर ठग बैठे हुए हैं, जो मोबाइल और लैपटॉप आदि के माध्यम से लोगों के साथ फ्रॉड कर रहे हैं। साइबर फ्रॉड करने के लिए ये शातिर ठग नए-नए तरीके अपनाते हैं।
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अश्लील चैट और न्यूड वीडियो कॉल से ऐंठते हैं पैसे
इनके लिए सबसे आसान तरीका फेसबुक या इंस्टाग्राम पर लड़की के नाम से फर्जी आईडी बनाकर लोगों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजना और फिर उन्हें अपने जाल में फंसाकर रुपये वसूलना है। शिकंजे में आने पर फिर अश्लील चैट व न्यूड वीडियो कॉल करते हैं। इसके बाद अश्लील चैट और न्यूड वीडियो कॉल के स्क्रीन शॉट को सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करते हैं और रकम ऐंठते हैं।
55 साल से अधिक उम्र के लोगों को बनाते हैं शिकार
ठगों की नजर ज्यादातर 55 साल से ज्यादा या बुजुर्ग लोगों पर ही रहती है, क्योंकि युवा तो फंसते नहीं हैं। एक मोबाइल ऐप के जरिए मोबइल नंबर निकाल लेते हैं और फिर फोन लगाकर लोगों को फंसाते हैं। चूंकि, फोन से लेकर अकाउंट तक इनका सब कुछ फेक होता है, इसलिए पकड़ने जाने का कोई डर नहीं रहता है।
पुलिस के डर से बदल देते हैं अपराध के तरीके
पिछले दिनों पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई का भी साइबर ठगों पर कोई असर नहीं पड़ा। यही कारण है कि उनके खिलाफ ऑपरेशन एंटीवायरस नाम से एक स्पेशल मुहिम मार्च में शुरू की गई। शुरुआत में गौ तस्करों की तरह ही साइबर ठग भी पुलिस पर हमलावर होने लगे थे। जब पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू किया तो वो पथराव और फायरिंग करने लगे। पुलिस नई तकनीक का उपयोग कर इन तक पहुंचती है तो उससे पहले ही ये लोग अपने अपराध के ट्रेंड या तरीके बदल देते हैं।
बिना किसी पहचान के घटना को देते हैं अंजाम
साइबर ठग सेक्सटॉर्शन, ड्रीम 11, महिलाओं के शिकंजे में लोगों को फंसाने के लिए अलग-अलग नंबर का उपयोग करते हैं। इन ठगों ने अब साइबर फ्रॉड का नया ट्रेंड अपना लिया है। पुलिस, सेना या अन्य विभागों के अधिकारियों के फेसबुक अकाउंट हैक कर या फिर वाट्सएप डीपी पर अधिकारियों की तस्वीर लगाकर लोगों से ठगी कर रहे हैं। यही नहीं खुदाई में निकले सोने को सस्ते में बेचने का लोगों को फोन पर लालच देकर बुलाते हैं और फिर उन्हें पीतल की ईंट व बिस्किट थमाकर ठगी या फिर बंधक बनाकर लूटपाट करते हैं। ये अपराधी पर्दे के पीछे से बिना किसी पहचान के घटना को अंजाम देते हैं।
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ऑपरेशन एंटीवायरस के तहत 400 ठग हुए गिरफ्तार
साइबर अपराधियों की उम्र 18 से 35 साल बताई जा रही है। आमतौर पर तीन-चार लोग साथ मिलकर ये ठगी करते हैं। लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वर्क फ्रॉम होम की नौकरी का लालच भी देते थे और जैसे ही कोई फंसता था तो उससे रजिस्ट्रेशन, पैकिंग और बाकी दूसरी फीस के बहाने पैसे मांग लेते थे। देश का 82 प्रतिशत साइबर अपराध डीग जिले में होता है। ऑपरेशन एंटीवायरस के तहत अब तक 400 से ज्यादा साइबर ठगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। 50 से भी ज्यादा ऐसे गांव मिले, जहां पर इन लोगों ने अपना अड्डा बना रखा था।