किरोड़ीलाल मीणा, सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़...पीएम मोदी ने राजस्थान के मंच से क्या दिए सियासी संदेश?
PM Modi Kotputli Kirodi Lal Meena Satish Poonia Rajendra Rathore: लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए 400 पार के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद मोर्चा संभाले हुए हैं। उन्होंने राजस्थान के कोटपूतली में विशाल जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने राजस्थान के मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के साथ ही पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और हरियाणा प्रभारी सतीश पूनिया और BJP नेता राजेंद्र राठौड़ से मुलाकात की। मंच पर ये सभी उनके साथ खड़े नजर आए। इस रैली से निकले पीएम मोदी के कुछ वीडियो सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं। एक वीडियो में वे सतीश पूनिया को बुलाकर कुछ चर्चा करते नजर आ रहे हैं, तो वहीं एक में किरोड़ीलाल मीणा से आत्मीयता से मुलाकात करते दिखे। पीएम मोदी की इस रैली से राजस्थान की राजनीति में सुगबुगाहट तेज हो गई है। इसके कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि पीएम मोदी ने राजस्थान के तीन बड़े नेताओं को मंच पर तवज्जो देकर क्या संदेश दिया...
सबसे पहले बात किरोड़ी लाल मीणा की...
किरोड़ी लाल मीणा प्रदेश के धाकड़ बीजेपी नेता हैं। इससे पहले वह राज्यसभा सांसद थे। उन्हें इस बार विधानसभा चुनाव लड़ाया गया, जिसमें उन्होंने शानदार जीत दर्ज की। किरोड़ी लाल की छवि जमीनी नेता की है। वह कांग्रेस सरकार के समय जमीनी आंदोलनों में सबसे आगे रहते थे। हालांकि जब सीएम के नाम की चर्चा होने लगी तो उनके समर्थकों ने किरोड़ी लाल को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की, लेकिन ये मांग पूरी नहीं हो सकी।
फिर कुछ लोगों ने बीजेपी के खिलाफ सोशल मीडिया ट्रेंड चलाए, लेकिन किरोड़ी लाल ने साफ कर दिया कि उनकी आलाकमान से कोई नाराजगी नहीं है और वे एक भाजपा सिपाही के तौर पर काम करते रहेंगे। बाद में उन्हें कैबिनेट में मंत्री बनाया गया। अब पीएम मोदी ने उनसे 'आत्मीय मुलाकात' कर लोकसभा चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं की थोड़ी बहुत बची नाराजगी को दूर करने की कोशिश की है।
किरोड़ी लाल को मंच पर 'सम्मान' दिए जाने से उनके समर्थक काफी खुश नजर आ रहे हैं। वैसे भी कहा जाता है कि सियासत में पद से ज्यादा 'सम्मान' का महत्व होता है। ऐसे में पीएम मोदी ने किरोड़ी लाल को 'सम्मान' देकर अनुसूचित जनजाति वर्ग को साधने की पूरी कोशिश की है। जिसे भजनलाल शर्मा के सीएम बनने के बाद से ही नाराज बताया जा रहा है। किरोड़ी ने खुद कहा है कि ''मोदी जी का यह स्नेह ही उन्हें सर्वथा लोकनायक बनाता है।'' ऐसे में पीएम मोदी की ओर से उनकी मुलाकात को बेहद खास बताया जा रहा है।
अब बात सतीश पूनिया की...
सतीश पूनिया बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष रह चुके हैं। अब उन्हें लोकसभा चुनाव में हरियाणा का प्रभारी बनाया गया है। पीएम मोदी ने उन्हें सीएम के भाषण के बीच मंच पर अपने पास बुलाया। फिर कुछ देर तक चर्चा की। कहा जा रहा है कि सतीश पूनिया लोकसभा चुनाव में टिकट मांग रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। हालांकि पीएम मोदी की सभा में उन्हें तवज्जो खूब मिली।
सतीश पूनिया जाट बिरादरी से आते हैं। वह इस बार विधानसभा चुनाव हार गए थे। तब भारी मन से उन्होंने राजनीति से ब्रेक लेने की बात कही थी। हालांकि बाद में उन्होंने कहा था कि मैंने ये फैसला भावुक होकर लिया था। सतीश पूनिया को मंच पर तवज्जो देकर पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं को एकजुट रहने और किसी भी तरह की नाराजगी को दूर करने का संदेश दिया है। यानी पीएम मोदी ने साफ किया है कि भले ही किसी को टिकट मिले न मिले, एक कार्यकर्ता के तौर पर उसकी तवज्जो पार्टी में हमेशा बनी रहेगी।
सबसे आखिर में बात राजेंद्र राठौड़ की...
राजेंद्र राठौड़ की गिनती राजस्थान के उन धाकड़ नेताओं में होती है, जिनके बयानों को आज भी विधानसभा में याद किया जाता है। इस बार राजेंद्र राठौड़ चूरू जिले की तारानगर विधानसभा से चुनाव हार गए थे। कभी वसुंधरा राजे के खासमखास रहे राजेंद्र राठौड़ को बीजेपी आलाकमान के सामने आज भी उतनी ही तवज्जो मिलती नजर आ रही है। राठौड़ भी चाहते हैं कि उनकी प्रासंगिकता वसुंधरा राजे के सीएम न बनने के बाद भी बनी रहे। क्या पता कल को उन्हें भी कोई बड़ी जिम्मेदारी दे दी जाए। पीएम मोदी ने राठौड़ से भी आत्मीय मुलाकात की। सतीश पूनिया के बाद पीएम मोदी ने उन्हें भी अपने पास बुलाया।
ये वही राजेंद्र राठौड़ हैं, जिन पर पूर्व बीजेपी नेता और अब कांग्रेस के टिकट से चूरू से लोकसभा चुनाव लड़ रहे राहुल कस्वां के टिकट कटवाने का आरोप लगाया जाता है। हालांकि पीएम मोदी ने मंच से संदेश दे दिया है कि राजेंद्र राठौड़ भले ही चुनाव हार गए हों या उन पर कितने ही आरोप लगे हों, लेकिन पार्टी में उनका सम्मान आज भी बरकरार है। बताते चलें कि राजेंद्र राठौड़ राजपूत समाज से आते हैं। जिन्हें राजस्थान की राजनीति में निर्णायक माना जाता है। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी ने जाट, राजपूत और अनुसूचित जनजाति के वोटरों को एक ही मंच से साधने की पूरी कोशिश की है। जिन्हें निर्णायक की भूमिका में माना जाता है।
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