वे 6 दरिंदे कौन? जिन्हें 100 लड़कियों के रेप का पाया गया दोषी, 32 साल बाद हुई सजा
Rajasthan Ajmer Sex Scandal: अजमेर में 32 साल पहले हुए देश के सबसे बड़े स्कैंडल मामले में पोक्सो कोर्ट ने 6 दोषियों को 20 अगस्त को उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके साथ ही कोर्ट ने उन पर 5-5 लाख का जुर्माना भी लगाया है। पोक्सो कोर्ट ने इस मामले में नफीस चिश्ती (54), नसीफ उर्फ टारजन (55), सलीम चिश्ती (55), इकबाल भाटी (52), सोहिल गनी (53), सैयद जमीर हुसैन (60) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सजा सुनाते समय सभी दोषी कोर्ट में थे। ऐसे में आइये जानते हैं कौन थे ये 6 आरोपी जिन्हें कोर्ट ने दी ये सजा।
इस सेक्स स्कैंडल का सरगना फारूक चिश्ती था। उसके साथ नफीस और अनवर चिश्ती भी शामिल थे। तीनों ही यूथ कांग्रेस के नेता थे। फारूक अध्यक्ष पद पर था। इन तीनों की पहुंच दरगाह के खादिमों तक थी। ऐसे में ये लोग धार्मिक और राजनीतिक रूप से ताकतवर थे। रेप की शिकार लड़कियां हिंदू परिवारों से थी। वहीं रेप करने वाले अधिकतर मुस्लिम पुरुष थे।
नफीस चिश्ती- युवा कांग्रेस शहर का उपाध्यक्ष था। घटना के वक्त इसकी उम्र 25-28 साल के बीच थी। दरगाह के खादिम के परिवार का होने की वजह से ये धार्मिक और राजनीतिक तौर पर ज्यादा ताकतवर था। आज इसकी उम्र 54 साल है।
नसीम अहमद उर्फ टारजन- नसीम भी नफीस और फारूक चिश्ती का करीबी था। उस पर भी कई लड़कियों से गैंगरेप का आरोप था। फैसले के वक्त इसकी उम्र 55 साल है। वहीं घटना के वक्त यह 23 साल का था।
सलीम चिश्ती- यह भी फारूक, नफीस और अनवर का करीबी था। इसका ताल्लुक भी दरगाह के खादिम से था। घटना के वक्त इसकी उम्र भी 23 साल थी। जबकि आज यह 55 साल का हो चुका है।
इकबाल भाटी- इकबाल भाटी इसी मामले में ट्रायल के दौरान साढे़ 3 साल जेल में रह चुका है। घटना के वक्त यह 20 साल का था। आज इसकी उम्र 52 साल है। ये भी रसूखदारों के साथ सीधा संपर्क में था।
सोहिल गनी- इस मामले में सोहेल गनी डेढ़ साल जेल में काट चुका है। आज इसकी उम्र 53 साल है। इससे पहले घटना के समय यह मात्र 21 साल का था।
सैयद जमीर हुसैन- ये भी यूथ कांग्रेस के नेताओं का करीबी था। इसने भी कई लड़कियों केे साथ दुष्कर्म किया था। घटना के वक्त 28 साल का था। जबकि आज इसकी उम्र 60 साल हो चुकी है।
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18 मई 1998 को फास्ट ट्रैक कोर्ट में पहली बार इस मामले में फैसला सुनाया और सभी 18 आरोपियों को उम्रकैद की सजा मिली। 20 जुलाई 2001 को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया और 4 आरोपियों को बरी कर दिया। 19 दिसंबर 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने 4 दोषियों के उम्रकैद की सजा 10 साल कर दी। वहीं एक आरोपी अल्मास महाराज फरार है।
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