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Rajasthan : विधानसभा में गूंजा जिले खत्म करने का मुद्दा, कांग्रेस की मांग पर सरकार 7 फरवरी को देगी जवाब

Rajasthan Politics : राजस्थान में जिले खत्म करने के मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने आ गई। इसे लेकर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। सरकार ने कहा कि मामला कोर्ट में है, इसलिए चर्चा न हो। इस पर विपक्ष ने कहा कि सिर्फ 2 जिलों का मामला अदालत में है। बाकी पर सरकार जवाब दे सकती है।
03:55 PM Feb 05, 2025 IST | Deepak Pandey
rajasthan   विधानसभा में गूंजा जिले खत्म करने का मुद्दा  कांग्रेस की मांग पर सरकार 7 फरवरी को देगी जवाब
राजस्थान विधानसभा में आमने-सामने बीजेपी-कांग्रेस।

Rajasthan Budget Session : जिस मुद्दे पर सरकार सड़क से लेकर विधानसभा तक में चर्चा करके जवाब देने से बचने की कोशिश कर रही थी, अब उसी मुद्दे पर 7 फरवरी को विधानसभा में चर्चा होगी। यह मुद्दा है पूर्ववर्ती अशोक गहलोत की सरकार में नए बने 9 जिलों और 3 संभागों को खत्म करने का। इसे लेकर लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं और इस मामले में राजस्थान हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई है।

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कैबिनेट बैठक के बाद भजनलाल सरकार ने जिलों और संभागों को रद्द करने का ऐलान कर दिया था। तर्क दिया गया कि जिलों को बनाने के लिए जनसंख्या, भौगोलिक सीमा, आर्थिक प्रावधान जैसे क्राइटेरिया का पालन नहीं किया गया और इसका राजनितिक लाभ लेने की कोशिश की गई। आरोप यह भी लगाया गया कि कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए जिले बना दिए, लेकिन विधानसभा चुनावों में यहां से उनके प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा।

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जानें नेता प्रतिपक्ष ने क्या दिया तर्क? 

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जिन जिलों को खत्म किया गया, वहां के 35 विधायकों ने सरकार से जवाब के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश किया और स्पीकर ने इसकी अनुमति दे दी. चर्चा शुरू होने से पहले संसदीय कार्य और विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी के फैसले पर आपत्ति जताई और कहा कि अदालत में मामला लंबित है, इसलिए इस मामले में सदन में चर्चा नहीं कराई जा सकती। इसे लेकर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने तर्क दिया कि महज 2 जिलों को खत्म करने को लेकर कोर्ट में जनहित याचिका लगी है। ऐसे में बाकी जिलों और संभागों को लेकर चर्चा कराई जा सकती है। तर्क यह भी दिया गया कि बिजली चोरी समेत कई मुद्दों पर अदालत में मामले चलते हैं, बावजूद इसके सदन में चर्चा होती है। ऐसे में अदालत के नाम पर सदन और विधायकों के अधिकार को खत्म नहीं किया जाना चाहिए।

डिप्टी सीएम भी नहीं उठा पा रहे सवाल

सरकार की तरह से मोर्चा संभालने वाले संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल बार-बार खड़े होकर चर्चा नहीं कराए जाने की सरकार की मंशा को लेकर अड़े रहे, जिसे लेकर जबरदस्त हंगामा हुआ। सत्ता और विपक्ष के विधायक बहस में उलझ गए। सबसे बुरी हालत उन भाजपा विधायकों की देखने को मिली, जिनके जिलों को खत्म कर दिया गया। इसके बाद भी वह अपनी सरकार से सवाल पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। यहां तक कि डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा का दुदू जिला भी खत्म कर दिया गया, लेकिन वे भी इस मुद्दे पर सवाल नहीं उठा पा रहे हैं।

स्पीकर ने कहा- 7 फरवरी को होगी चर्चा

विधानसभा में इस मुद्दे को लेकर हुए हंगामे के बाद स्पीकर ने कहा कि 7 फरवरी को आधे घंटे के लिए अलग से नए जिलों और संभागों को खत्म करने को लेकर सदन में चर्चा होगी और सरकार इसका जवाब देगी। बहरहाल, स्पीकर का यही फैसला अब सरकार के लिए मुश्किल का सबब साबित हो रहा है, क्योंकि जिलों को खत्म करने के मामले में पहली बार खुलकर सरकर को जवाब देना पड़ेगा, जिसका न सिर्फ अदालत में चल रहे मामले पर उसके रुख को भी समझने को मिलेगा, बल्कि उनका जवाब पहले से ही आंदोलन कर रहे इन क्षेत्रों के लोगों की नाराजगी को और भी बढ़ा सकता है।

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इन संभागों और जिलों को किया गया था खत्म

सरकार ने नए बनाए गए तीनों संभाग सीकर, पाली और बांसवाड़ा के साथ नए बने दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना, गंगापुर सिटी, जयपुर ग्रामीण, जयपुर ग्रामीण, अनूपगढ़, सांचौर जिले खत्म कर दिए। हालांकि, डीग, बालोतरा, खैरथल-तिजारा, ब्यावर, कोटपूतली-बहरोड़, डीडवाना-कुचामन, फलोदी और सलूंबर नए जिलों के रूप में यथावत रहेंगे।

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