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Ahoi Ashtami 2024: 24 या 25 अक्टूबर, कब है अहोई अष्टमी? जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Ahoi Ashtami 2024: हर साल माताएं अपने बच्चों की दीघार्यु, तरक्की और खुशहाली के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं। हालांकि इस बार कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी अहोई अष्टमी की सही तिथि को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। चलिए जानते हैं इस बार 24 अक्टूबर या 25 अक्टूबर, किस दिन अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाएगा।
07:55 AM Oct 12, 2024 IST | Nidhi Jain
कब है अहोई अष्टमी?
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Ahoi Ashtami 2024: माताएं अपने बच्चों की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए हर साल अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं। इस शुभ दिन अहोई माता की पूजा करने के साथ-साथ निर्जला व्रत रखा जाता जाता है। जहां कुछ लोग इस व्रत का पारण तारों को अर्घ्य देने के बाद करते हैं, तो कुछ लोग सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कार्तिक माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। चलिए जानते हैं अहोई अष्टमी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

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अहोई अष्टमी कब है?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 24 अक्टूबर 2024 को प्रात: काल 01 बजकर 08 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 25 अक्तूबर 2024 को सुबह 01 बजकर 58 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर अहोई अष्टमी का पर्व 24 अक्टूबर 2024, दिन गुरुवार को मनाया जाएगा।

देश के कई राज्यों में अहोई अष्टमी को अहोई आठें के नाम से भी जाना जाता है। इस शुभ दिन माताएं अपने बच्ची की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। साथ ही अहोई माता और स्याही माता की पूजा की जाती है। इसी के साथ अहोई अष्टमी व्रत की कथा सुनना व पढ़ना भी जरूरी होता है।

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अहोई अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

24 अक्टूबर 2024 को अहोई अष्टमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम में 05 बजकर 42 मिनट से लेकर 06 बजकर 59 मिनट तक है। वहीं तारों को देखने का समय शाम में 06 बजकर 06 मिनट है, जबकि चंद्र देव को अर्घ्य देने का समय रात में 11 बजकर 55 मिनट  है।

अहोई अष्टमी की पूजा विधि

  • अहोई अष्टमी के दिन माताएं सूर्योदय से पहले उठें।
  • स्नान आदि कार्य करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
  • अहोई माता की पूजा करें। साथ ही उन्हें दीप, धूप, फल, फूल, अक्षत, दूध और मिठाई अर्पित करें।
  • दो मोतियों और धागे की मदद से पेंडेंट बनाएं, जिसे गले में धारण करें।
  • व्रत की कथा सुनें।
  • घी का दीपक माता के सामने जलाएं और फिर उनकी आरती करें।
  • तारों या चंद्रमा को जल से अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Ahoi Ashtami puja vidiAhoi Ashtami vratAstrology
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