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Basant Panchami 2025: 1 या 2 फरवरी, कब है बसंत पंचमी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Basant Panchami 2025: हर साल माघ मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। हालांकि इस बार पंचमी तिथि को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। चलिए जानते हैं वर्ष 2025 में 1 फरवरी या 2 फरवरी, किस दिन बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा।
09:46 AM Jan 14, 2025 IST | Nidhi Jain
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Basant Panchami 2025: सनातन धर्म के लोगों के लिए माघ मास का विशेष महत्व है, जिस दौरान बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी बसंत पंचमी को मां सरस्वती का अवतरण हुआ था। इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। मां सरस्वती को ज्ञान, शिक्षा, वाणी और कला की देवी माना जाता है।

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माना जाता है कि जिन लोगों के ऊपर मां सरस्वती की विशेष कृपा होती है, वो बुद्धिमान और ज्ञानी होते हैं। साथ ही साधक की कला के क्षेत्र में नाम कमाने की संभावना बढ़ जाती है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने के साथ-साथ वसंत ऋतु के आगमन का जश्न भी मनाया जाता है। चलिए जानते हैं साल 2025 में किस दिन बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। साथ ही आपको मां सरस्वती की पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में पता चलेगा।

2025 में कब है बसंत पंचमी?

वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार, इस बार पंचमी तिथि का आरंभ 2 फरवरी 2025 को सुबह 9 बजकर 14 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 3 फरवरी 2025 को प्रात: काल 6 बजकर 52 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर साल 2025 में 2 फरवरी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। देश के कई राज्यों में बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा और वसंत पंचमी आदि के नामों से भी जाना जाता है।

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2 फरवरी 2025 के शुभ मुहूर्त

  • सूर्योदय-  प्रात: काल 7:10
  • ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल में 05:33 से लेकर 06:21 मिनट तक
  • सरस्वती पूजा का मुहूर्त- प्रात: काल 07:09 से लेकर दोपहर 12:35 मिनट तक
  • मध्याह्न का क्षण- दोपहर 12:35
  • अभिजीत मुहूर्त- दोपहर में 12:18 से लेकर 01:02 मिनट तक

बसंत पंचमी की पूजा विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
  • स्नान आदि कार्य करने के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • मंदिर में एक चौकी रखें। उसके ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। कपड़े के ऊपर मां सरस्वती की मूर्ति या फोटो स्थापित करें।
  • मूर्ति या फोटो को गंगाजल से स्नान कराएं।
  • देवी को धूप, दीप, फल, पीले फूल और पीली मिठाई आदि का भोग लगाएं। इस दौरान मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करें।
  • अंत में आरती करके पूजा का समापन करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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