Buddha Purmima 2024: ‘ट्विन मिरैकल’ की घटना क्या है? जानें बौद्ध धर्म में इसका क्या महत्व
Buddha Purmima 2024: बौद्ध ग्रंथों में भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़ी एक ऐसी घटना का जिक्र मिलता है, जिसने लोगों को इतना प्रभावित किया था कि जो उनके अनुयायी या समर्थक नहीं थे, वे भी बुद्ध को भगवान मानने लगे थे। इस घटना को बौद्ध साहित्य में 'ट्विन मिरैकल' (Twin Miracle) यानी 'जुड़वां चमत्कार' ने नाम से जाना जाता है। आइए बुद्ध पूर्णिमा 2024 के मौके पर जानते हैं कि यह घटना क्या है और समझते हैं कि इस घटना का महत्व क्या है?
ट्विन मिरैकल घटना क्या है?
'ट्विन मिरैकल' यानी 'जुड़वां चमत्कार' भगवान बुद्ध के जीवन के सबसे प्रसिद्ध चमत्कारों में से एक है, जो दो स्वरूपों में और दो भागों में घटित हुई थी। बौद्ध ग्रंथों में घटना के पहले भाग में भगवान बुद्ध को आकाश में उड़ता हुआ बताया गया है, जो किसी मनुष्य के लिए असंभव बात है। ग्रंथों के वर्णन के अनुसार, हवा में उड़ते हुए बुद्ध एक 'जादुई मार्ग' बनाते हैं, जो जगमगाते रत्नों सुसज्जित था। भगवान बुद्ध को उड़ते देखकर देखने वाले पहले से ही आश्चर्यचकित थे, उस पर वह रत्न-जड़ित दिव्य मार्ग देखकर उनका सिर श्रद्धा से भगवान बुद्ध के आगे झुक जाता है।
घटना का दूसरा भाग
इस घटना का दूसरा भाग इससे भी अधिक आश्चर्यजनक है। बेशकीमती रत्नों से भरे जादुई मार्ग पर भगवान बुद्ध ने उड़ते हुए प्रकट होने के बाद ने जो काम किया, उसे उनकी दिव्य शक्तियों का प्रमाण माना जाता है। इस घटना में बुद्ध अपने शरीर के ऊपरी आधे हिस्से से आग और निचले आधे हिस्से से पानी का प्रवाह करते हैं और आकाश में ऊंचा उठते जाते हैं। ग्रंथों के वर्णन के मुताबिक, उनका यह रूप पूरे ब्रह्मांड को रोशन कर देता है। चूंकि यह घटना एकसाथ, एक के बाद एक घटी थी, इसलिए इसे जुड़वां चमत्कार या ट्विन मिरैकल (Twin Miracle) कहा गया है।
ये भी पढ़ें: Buddha Purnima 2024: असफलता से न हों निराश, पढ़ें भगवान बुद्ध के 10 बेस्ट कोट्स
ट्विन मिरैकल घटना का महत्व
बौद्ध धर्म में इस जुड़वां चमत्कार बुद्ध की दिव्य शक्तियों और ज्ञान का प्रमाण माना जाता है। यह घटना इस बात दर्शाती है भगवान बुद्ध भौतिक नियमों से परे हैं और आग और पानी पर भी उनका अधिकार है। माना जाता है कि इस घटना ने गौतम बुद्ध को भगवान बुद्ध के रूप में स्थापित करने में बहुत सहायता की थी। कहते हैं, भगवान बुद्ध ने यह चमत्कार दो बार, एक बार श्रावस्ती में और दूसरी बार कपिलवस्तु में, किया था।
ये भी पढ़ें: Buddha Purnima 2024: जब भगवान बुद्ध ने महान दार्शनिक को समझाया ‘मौन का महत्व’, पढ़ें इंस्पिरेशनल स्टोरी